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पुलिहोरा ११४५
पुष्पराग पुलिहोरा-संज्ञा, पु० (दे०) एक पकवान । पुष्कल-संज्ञा, पु० (सं०) भरत जी का पुत्र पुलोम-संज्ञा, पु० (सं०) एक दैत्य, इन्द्राणी अन्न मापने का मान । प्राचीन ), चार ग्रास का पिता ।
की भिक्षा, शिव । वि०-अधिक, परिपूर्ण, पुलोमजा--- संज्ञा, स्त्री० (सं०) शची. इन्द्राणी। श्रेष्ठ, पुनीत, उपस्थित प्रचुर, बहुत ।
" पुलोमजा वल्लभ-सूनुपत्नी "... लोलंव०। पुष्ट-वि० (स०) मोटा-ताजा तैयार, पालापुलोमही-संज्ञा, स्त्री० (सं०) अफ्रीम। पोषा हुआ. बलवान, मोटा-ताज़ा करने पुलोमा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) भृगुमुनि की स्त्री। वाला, बल बढ़ाने वाला, पक्का, दृढ़ । पुवा -संज्ञा, पु० दे० सं० पूप) मीठी पूड़ी। पुष्टई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पुष्ट + ई-हिं.. पुवार, पुषाल-संज्ञा, पु० दे० (सं० पलाल) | प्रत्य० ) बल, वीर्य या पौरुष बढ़ाने वाली पयाल, पलाल, पयार।
वस्तु या औषधि. पौष्टिक वस्तु ।। पुश्त-संज्ञा, स्त्री० (फा०) पीठ, पृष्ठ, पीछा, पुटता-संज्ञा स्त्री० (सं०) दृढ़ता मज़बूती । पीढ़ी, शाखा, वंश-क्रम में पिता, पितामह | पुष्टि-संज्ञा, स्त्री. (सं०) बढ़ती. बलिष्टता पुत्र, पौत्रादि का क्रम से स्थान । यौ०--पुश्त | दृढ़ता, पोषण, संतति-वृद्धि, बात-समर्थन । दर पुश्त-कई पीढ़ियों तक. पीढ़ी दर- पुष्टिकर, पुष्टिकारक-वि० सं० बलपीढ़ी। पुश्त-हा-पश्त-- वंश परम्परा में । वीर्य यापौरुष की उत्पादक वस्तु या श्रौषधि । पुश्तक-संज्ञा, स्रो० ( फ़ा० पुश्त ) दो लत्ती, | पुष्टिकारी, स्त्री० पुष्टिकारिणी।
घोड़े श्रादि का पिछले पैरों से मारना। | पुष्टिमार्ग-संज्ञा, पु० (सं०) वैष्णव-भक्ति मार्ग पुश्तनामा-संज्ञा, पु० (फा०) पीढ़ी पत्र, ईश्वर की कृपा ( बल्लभाचार्य-मत )। वंशावली कुरसी-नामा।
पुष्प- संज्ञा, पु० (सं०) पौधों का फूल मांस पुश्ता-संज्ञा, पु० (फा० पुश्तः ) पुट्ठा, पुस्तक (वाम) ऋतु वाली स्त्री का रज, नेत्र
की जिल्द का पिछला चमड़ा, दृढ़ता या रोग या फूली । पुहुप (दे०)। पानी की रोक के लिये दीवार से लगा मिट्टी पुष्पक-संज्ञा, पु. (सं०) फूल, आंख की या इट का लालू टीला बाँध, मेड़। फूली, कुबेर का विमान जिसे रावण ने छीना पुश्ती संज्ञा, स्त्री. (फा०) सहारा, थाम, फिर रावण से राम ने छीन कर कुबेर को टेक, पृष्ठ-रक्षा, बडा तकिया, पत. सहायता।
दे दिया। पुश्तैनी--वि० ( फा० पुश्त ) कई पीढ़ियों से पुष्प-चाप- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कामदेव चला पाने वाला, पुराना, पुश्त हा-पुश्त | पुष्पदंत संज्ञा, पु. यो० (सं०) वायु-कोण का का, आगे पीढ़ियों तक जाने वाला। दिग्गज, शिव-सेवक एक गंधर्व । पुष्कर- संज्ञा, पु० (सं०) पानो, तालाब, पुष्पधन्वा-संज्ञा, पु० यौ० (सं० पुष्पधन्वन् ) कमल, हाथी की संड का अग्र भाग, वाण, कामदेव, मदन, मनोज मनोभव । श्राकाश, युद्ध, साँप, भाग, पोहकरमूल | पुष्पध्वज-सज्ञा, पु० सं०, कामदेव । (औष०), चम्मच की कटोरी, सूर्य, सारस पुष्पपुर-संज्ञा, पु० (सं०) पटना (प्राची०) चिड़िया, एक दिग्गज, शंकर, विष्णु बुद्ध, पूष्पमित्र-संज्ञा, पु० (सं०) पुष्यमित्र राजा । ७ द्वीपों में से एक (१०), अजमेर के पास पुष्परज-संज्ञा, पु० यौ० (सं० पुष्परजस् ) एक तीर्थ-स्थान · यौ० पुष्कर-क्षेत्र। फूल की धूल पराग। . पुष्करणी संज्ञा, स्त्री० (सं०) छोटा तालाब। पप्पराग-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पुग्वराज पुष्करमूल-संज्ञा, पु. (सं०) पोहकर मणि। "हरित मणिन के मंजु फल पुष्पराग मूल (औष०)।
के फूल"--रामा। भा० श० को.--१४४
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