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पुरजन ११४१
पुरस्कृत समर्थन, तरफदारी, प्रेरणा, पक्षपात । | पुरबिया-पुरबिमा-वि० दे० ( हि० पूरब ) पुरजन - संज्ञा, पु० यो० (सं०) नगर-वामी। पूर्व देश का निवासी या उत्पन्न, पूर्व का, 'पुरजन, परिजन, जाति-जन" - रामा०। । पूर्वीय ( सं० ) । ( स्त्री० पुरवनी)। पुरजा, पुर्जा-संज्ञा, पु. (फ़ा०) भाग, खंड, | पूरबी, पूरवी-वि० (दे०) पूर्वीय (सं.)। टुकड़ा, पर्चा, काग़ज़ का टुकड़ा. अंश, अंग, पुरवट --संज्ञा, पु० दे० ( सं० पूर ) चरसा, धज्जी, कतरन, रुक्का, यंत्र या कल का अव- चरस, मोट, सिंचाई के लिये कुएँ से पानी यव, कत्तल । मुहा०-पुरजे पुरजे करना खींचने का चमड़े का बड़ा डोल । या उड़ाना----टुकड़े टुकड़े या खंड खंड पुरखना * -२० क्रि० दे० (हि. पूरना) करना । मुहा०-चलता-पुरजा- चालाक भरना, पुजाना, पूरना, पूरा करना। मुहा०मनुष्य । यो०-कल-पुरजा।
साथ पुरवना-साथ देना । अ० कि० पूरा पुरट-संज्ञा, पु० (सं०) पुरण, सोना, सुवर्ण। या पर्याप्त होना, काम भर को होना, पूर्ण या
"पुष्ट-कोट कर परम प्रकाशा"--रामा० । यथेष्ट होना। पुरत:- अव्य० (सं०) संमुख, सामने, आगे,, पुरवा--संज्ञा, पु० दे० (सं० पुर ) खेड़ा,
"नीरस तरिहि विलसति पुरतः" -। पुरा, छोटा गाँव, पूर्वा या पूर्वाषाढ़ नक्षत्र पुरत्राण-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० ) परकोटा (ज्यो०)। संज्ञा, पु० दे० (सं० पुटक) प्राकार, शहर पनाह. नगर-कोट ।
मिट्टी का सकोरा या कुल्हड़ । संज्ञा, पु० दे० पुरना-स. क्रि० (दे०) भर जाना, बंदहोना, | (सं० पूर्व । वात) पूर्व दिशा से चलने वाली पूरा या पूर्ण होना। स० कि० पुराला, वायु, पुरवाई, पुरवैया ( ग्र०) “उठति प्रे० रूप पुरधाना।
उसाँस सोझकोर पुरवा की है"-ऊ. श० । पुरनियाँ-संज्ञा, पु०, वि० दे० ( सं० पुराण ) "जो पुरवा पुरवाई पावै'-घाघ । प्राचीन, पुराना, बूढ़ा, वृद्ध एक नगर, पुरधाई-पुरवैया-पुरवइया - संज्ञा, स्त्री० दे० पुनिया ( बंगाल )।
(सं० पूर्व + वायु ) पूर्व दिशा से चलने पुराल, पुरपालक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) | वाली हवा । नगर-रक्षक, कोतवाल, जीव ।
पुरश्चरण --संज्ञा, पु० (सं०) किसी कार्य की पुरबला, पुरखुला। वि० दे० (सं० | सिद्धि के लिये अनुष्ठान, नियम पूर्वक कार्यपूर्व + ला-प्रत्य) पूर्व या प्रथम का, पहले | सिद्धि के लिये स्तोत्र या मंत्रादिका पाठ या जन्म का, प्रथम. पहले या पूर्व का । ( स्रो० जप करना, पूजा या प्रयोग करना (तन्त्र)। पुरवली, पुरखुली) "कौन पुरवुले पु.षा-संज्ञा, पु० दे० ( सं० पुरुष ) पुरखा । पाप ते, बन पठये जग-तात".- गिर० ।। पुरमा- संज्ञा, पु० दे० ( सं० पुरुष ) साढ़े पुरबहु-पुरवहु--स० क्रि० (दे०) पुरवना, | चार या पाँच हाथ की एक नाप । पूर्ण या पुरा करो, भरदो, पुजा दो । “पुर- | पुरस्कार - संज्ञा, पु. (सं०) पारितोषिक, वहु सकल मनोरथ मोरे '-रामा० । इनाम, श्रादर. सत्कार या प्रतिष्ठा-पूर्वक पुरबा, पुरघा-संज्ञा, पु. (दे०) पुरवा, करई, दान, उपहार, पूजा, अच्छे कार्य का बदला,
चुकट्टा, पूरब की हवा, पुरवाई, पूर्वा नक्षत्र। धन्यवाद, आगे करना, प्राधान्य, स्वीकार । पुग्बासी-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) नगर (वि० पुरस्कृत, पुरस्करणीय)। निवासी, पुरजन । " यह सुधि सब पुर- पुरस्कृत --- वि० (सं०) पूजित. भारत, सम्माबासिन पाई "-रामा० ।
| नित, स्वीकृत, जिसे पुरस्कार, पारितोषिक,
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