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पंचायती १०४७
पंडुक की पंच मूर्तियों का समुदाय, जैसे राम-पंजाब- संज्ञा, पु० यौ० ( फा० ) १ नदियों पंचायतन ।
का एक देश । पंचायती-वि० दे० (हि. पंचायत) पंचा- पंजाबी-वि० ( फ़ा० ) पंजाब का। संज्ञा, यत का, पंचायत-सम्बन्धी, पंचायत का स्त्री. पंजाब की भाषा (बोली)। संज्ञा, पु० किया हया, साझे का, सब लोगों का। पंजाब का रहने वाला। स्त्री० पंजाबिन । पंचाल--संज्ञा, पु. (सं०) पांचाल, पंजाब पजारा- संज्ञा, पु० दे० (सं० पंजिकार ) देश, पंजाब देश-वासी, पंजाब का राजा, धुनियाँ। शिव जी, एक छंद (पिं०) । स्त्री० पंचाली। पंजिका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) पंचाङ्ग। पंचालिका--संज्ञा, स्त्री. (सं.) पुतली, पंजीरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. पाँच जीरा ) गुड़िया, रंडी, नाचने वाली, नटी । " नवति चीनी-मेवा मिला धी में भुना हुआ पाटा। मंच पंचालिका, कर संकलित अपार" पंजेरी-संज्ञा, पु० दे० (हि. पांजना ) बर्तन -राम ।
जोड़ने वाला। पंचाली-संज्ञा, स्त्री० (सं०) पांचाली, पुतली, पंडल-वि० दे० (सं० पांडुर ) पीला, पाँडु
द्रौपदी, एक गीत, पीपर (औष०)। । वर्ण का। पंचीकरण-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) पाँचों पड़वा-पड़वा --संज्ञा, पु. (दे०) भैंस का भूतों या तत्वों का विभाग।
_बच्चा, पड़ा (ग्रा०)। पंछा-संज्ञा, पु० दे० (हि० पानी +छाला ) पंडा-संज्ञा, पु० दे० (सं० पंडित ) किसी जीवधारियों और वृक्षों से जो पानी टपकता है, मंदिर या तीर्थ का पुजारी, पुजारी। स्त्री० फफोले का पानी, रंग। (प्रांती०) अंगौछा। पंडाइन । पंछी-संज्ञा, पु० दे० ( सं० पक्षी) पक्षी, | पंडाल- संज्ञा, पु० (दे०) सभा की बैठक के चिड़िया। "दस द्वारे का पींजरा, तामैं | हेतु बनाया हुआ मंडप । पंछी पौन"--कवी।
पंडित - वि० (सं०) विद्वान, ज्ञानी, चतुर । पंजर-संज्ञा, पु० (सं०) पिंजरा, ठट्टर, कंकाल, स्त्री० पंडिता, पंडिताइन, पंडितानी। हडियों का समूह या ढाँचा, देह, तन, संज्ञा, पु. ब्राह्मण । शरीर । यौ० अस्थि -पंजर।।
पंडिताई -संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पंडित+ पंजहजारी-संज्ञा, पु० ( फा०) ५ हजार पाई-प्रत्य० ) विद्वता, पांडित्य ।
सैनिकों का सरदार (मुसल०)। पंडिताऊ-वि० दे० (हि. पंडित ) पंडितों पंजा-संज्ञा, पु० दे० (फ़ा० मि० सं० पंचक) के ढंग का सा, पंडितों का सा। हाथ या पैर की पाँचों अँगुलियों का समूह, पंडितानी-संज्ञा, खी० दे० (हि. पंडित ) गाही, पाँच पदार्थों का समूह, चंगुल, पंडिताइन, पंडित की स्त्री विद्वान स्त्री, शिकंजा । मुहा०-पंजे झाड़ कर पीछे। ब्राह्मणी ।। एड़ना या चिमटना-हाथ धोकर पीछे पंडु-वि० ( सं० ) श्वेत, पांडुरोग, पीलापड़ना, जी-जान से तत्पर होना या लगना। पीला मटमैला । संज्ञा, पु० (३०) पांडु राजा। पंजे में (आना पड़ना )---पकड़ में, "पंडु की पतोहू भरी स्वजन-सभा के बीच" मुट्ठी में, आधीन, अधिकार में। जूते का -रत्ना०। अग्रभाग, पाँच बूटियों वाला ताश का पंडुक-संज्ञा, पु० दे० (सं० पांडु) पडुकी, पत्ता । मुहा०-छक्का-पंजा-दाँव-पेंच, पेड़की ( प्रान्ती० ), कबूतर की जाति का चालाकी, छल-प्रपंच ।
। एक पक्षी, पिंडुकी, फास्ता । स्त्री०पंडकी।
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