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दाबदार
दबाने का भाव, भार, बोझा, धाक, श्रातंक, श्रधिपत्य । दाबदार—वि० (हि० दाब + दार फ़ा०) रोब दार, आतंक रखने या धाक जमाने वाला । दाबना -- स० क्रि० दे० (हि० दबाना ) ऊपर से भार या बोझा डालना, पीछे हटाना, भूमि के तले गाड़ना, दफ़नाना, बल डाल कर विवश करना, हरा देना, कुछ करने न देना, दमन या शांत करना, किसी की किसी वस्तु पर अन्याय से अधिकार जमाना, किसी को असहाय, समर्थ या विवश कर देना । दाब रखना -- स० क्रि० यौ० ' हि० दाब + रखना) छिपाना, लुकाना ढकना, aftart या रोब या आतंक रखना । दाभ - संज्ञा, पु० दे० (सं० दर्भ) कुश, कुशा, LTH (ग्रा० ) ।
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दाम - संज्ञा, पु० (सं०) रस्सी. रज्जु, साला, हार, लड़ी, राशि संसार | "काम झूलै उर मैं उरोजन पै दाम भूले" - पद्मा० । संज्ञा, पु० ( फा० मिलाओ सं०) जाल, पाश, फंदा, रुपया, पैसा, मोल । वि० दे० (हि० दमरी) एक पैसे का पचवाँ भाग । " बंक बिकारी देत ज्यों, दाम रुपैया होत " - वि० । 'ताहि व्याल सम दाम " - रामा० । महा० दाम-दाम भर देना = कौड़ी-कौड़ी चुका देना, कुछ उधार बाकी न रखना। दाम के दाम पर - भूल्य पर बिना लाभ के मुहा०-- दास खड़ा करना - मूल्य भर ले लेना । दाम चुकाना — मूल्य दे देना, मोल ठहराना, मोल भाव ठीक करना । दाम भरना - डाँड़ या हानि का प्रतिकार भर देना। मुहा० - नाम के दाम चलाना - मौका पाकर मन-माना अंधेर करना । या ०. [० - दान प्रीति ! दामन -- संज्ञा, पु० ( फा० ) अँगरखे श्रादि के नीचे का भाग, पर्वतों के पास की नीची भूमि । " फैलाइये न हाथ ना दामन पसारिये" - जौक ।
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दाय
दामनगीर- वि० ( फा० ) दामन पकडने - वाला, पीछा न छोड़नेवाला दावादार, "कहँ दिल्ली को दामनगीर शिवाजी” – भू० । दामनी - संज्ञा, स्त्री० (सं० दाम) रस्सी, डोरी । दामरि-दामरी - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दाम) डोरी, रस्सी, रज्जु, दमड़ी । दामलिप्त - संज्ञा, पु० (सं०) ताम्रलिप्त देश | दामवती - संज्ञा स्त्री० (सं० ) फूलों की
माला या हार |
दामा - संज्ञा, खो० (सं० दावा) दावाग्नि, दावानल | दामाँवन- संज्ञा, पु० (सं०) घोड़े की पिछाड़ी, घोड़े के पीछे के पैरों में बाँधने की रस्सी । दामाद संज्ञा, पु० दे० (फ़ा०, सं० जामातृ) जामाता, दमाद वाई 1
दामासाह- संज्ञा, पु० (दे०) जिसका दिवाला निकल गया हो जिसका माल-टाल व्योहरों में बँट गया हो । दामासाही -संज्ञा, खो० (दे०) यथार्थ या उचित भाग के कार्य । दामिनी, दामिनि-संज्ञा, स्रो० (सं० ) बिजली, त्रियों के सिर का एक गहना. बेंदी, टिकुली, दाँवनी (ग्रा० ) । " सेा जनु प्रभु दामिनी दमका " " दामिनि दमक रही घन माहीं" - रामा० ।
दाभी - संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० दाम) महसूल, कर, मालगुजारी वि० बहुमूल्य, क्रीमती ! दामीयात - संज्ञा, पु० (दे०) वह वस्तु जिससे रक्त-विकार हो ।
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दामोदर - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्री कृष्ण, भगवान, एक जैन तीर्थंकर । दामोदर गुप्त - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कश्मीरनिवासी एक कवि |
दामोदर मिश्र संज्ञा, पु० (सं०) राजा भोज की सभा के एक कवि जिन्होंने "हनुमन्नाटक " का संग्रह किया ।
संज्ञा स्त्री० (दे०) दाँयँ, बार. देव (ग्रा० ) दायक संज्ञा, पु० दे० हि० दावें, दफ़ा, बार, मरतबा, बारी, पारी, श्रौसर, मौक़ा | संज्ञा,
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