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नानारूप
नाम नानारूप-संज्ञा, पु० (सं०) अनेक भाँति या नापाक-वि० (फ़ा०) अपवित्र, मैला-कुचैला, प्रकार । " सुन्दर खग रव नाना रूपा"- | अशुद्ध । संज्ञा, स्त्री० नापाकी । रामा०।
नापित-संज्ञा, पु० (सं०) नाऊ, नाई, हज्जाम। नानार्थ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अनेक अर्थ ।
नाफ़ा-संज्ञा, पु. (फ़ा०) कस्तूरी की थैली । नाना-विधि-वि० यौ० (सं०) अनेक प्रकार
नाबदान-संज्ञा, पु० ( फा० ना+भाव+ या उपाय । “नाना बिधि तहँ भई लड़ाई" दान) नरदा नरदवा, पनाला, पनारा(दे०)। रामा०।
नाबालिग़-वि० (अ.+फा०) जो जवान नानाशास्त्रज्ञ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विविध
न हुआ हो, न्यून, युवा । संज्ञा, स्त्री. नाबाविद्या-विशारद, षट् शास्त्री।
लिगी। नानिहाल-संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि. नानी
नाबूद-वि० (फा०) नष्ट-भ्रष्ट, ध्वस्त । +पाल = घर ) नाना या नानी का घर
नाभ-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० नाभि ) नाभि, या स्थान, नेनाउर, ननिहाल, ननियाउर | नाभी, तोंदी, ढोंढी, शिव जी, एक राजा, नानी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) माता की माता,
अस्त्री का एक संहार । "पद्मनाभं सुरेशम् "
-- रामा० । मातामही। मुहा०-नानी याद आना
नाभादास-संज्ञा, पु० (दे०) भक्तमाल-लेखक या मर जाना-श्राफ़त सी आ जाना, दुख सा पड़ जाना।
एक वैष्णव साधु । नानुकर-संज्ञा, पु० दे० (हि. ना+करना)
नाभाग-संज्ञा, पु० (सं० ) एक सूर्यवंशीय नाही या इन्कार करना ।
राजा। नान्हा-वि० दे० ( सं० न्यून ) नन्हा, लघु, नाभि-संज्ञा, स्त्री० (सं०) गाड़ी के पहिये के छोटा, महीन, पतला, नीच, तुच्छ । मुहा०
बीच का खंड, चक्र-मध्य, नाभी, तोंदी, -नान्ह ( नन्हा ) कातना-बहुत ही
कस्तूरी । संज्ञा, पु० प्रधान राजा, व्यक्ति या महीन बारीक या हलका कायें करना,
पदार्थ, गोत्र, क्षत्रिय । महा कठिन या दुष्कर कार्य करना । नामंज़र-वि० (फ़ा०) अस्वीकार, जो माना नान्हक-संज्ञा, पु० ( दे० नानक) नानक । | न गया हो । संज्ञा, स्त्री० नामंजूरी। नान्हरिया *--वि० दे० (हि. नान्ह ) नाम-संज्ञा, पु० (सं० नामन्) संज्ञा, भारव्या, छोटा।
किसी पदार्थ का बोधक शब्द, नाँव (प्रा.)। नान्हा -वि० दे० (हि० नन्हा ) नन्हा, वि० नामी । मुहा०-नाम उछालनाछोटा।
बदनामी या निन्दा कराना । नाम उठ नाप-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० मापन ) माप,
जाना-चिन्ह मिट जाना। किसी बात तौल, परिमाण ।
का नाम करना-कोई कार्य नाम मात्र नाप-जोख-नापतौल-संज्ञा, स्री० यौ०
को करना, पूर्ण रूप से न करना । किसी (हि०) नापना+जोखना=तील ) मात्रा या परिमाण, जो तौल-नाप कर ठहराई जावे ।
का नाम करना (होना)-किसी की नापना-स० क्रि० दे० (सं० मापन) मापना ।
ख्याति या प्रशंसा करना (होना)। नाम का मुहा०-सिर नापना-सिर काटना ।
-नाम-धारी, कहने भर को | नाम के रास्ता नापना-चलते बनना । किसी
लिये या नाम को-थोड़ा सा, कहने भर पदार्थ का परिमाण जानना।
को, यथार्थ । नाम चढ़ना (चढ़ाना)नापसंद-वि० (फा०) अप्रिय, जो अच्छा न नामावली में नाम लिख (लिखा) जाना। लगे, अरोचक।
नाम चलना-नाम की याद बनी रहना। भा० श. को०-१२५
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