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निकारना
निकौनी मुण्ड, निकाया (दे०)। " लव निमेष | निकाह पढ़ना ( पढ़ाना) ब्याह करना महँ भवन निकाया'-रामा०।
(कराना)। निकारना* --स० क्रि० दे० (हि. निकालना) | निकियाना--स० कि० (दे०) नोच-नाच कर निकालना।
टुकड़े टुकड़े या धज्जी-धज्जी अलग करना । निकालना--स० कि० दे० (सं० निष्कासन ) निकिट-वि० दे० (सं० निकृष्ट) नीच भीतर से बाहर लाना, मिलित को अलग | तुच्छ, अधम । करना, पार करना, ले जाना, निश्चित या निकंज-संज्ञा, पु० (सं०) ताभवन, लताप्रारम्भ करना, खोलना, चलाना, अलग | गृह, घनी लताओं से आच्छादित स्थान । करना, घटाना, छुड़ाना, बरखास्त करना, "गतोऽपि दूरे यमुना-निकुंजे"- स्फु० । हटाना, बेंचना, सिद्ध करना, जारी | निकुंभ - संज्ञा, पु० (सं०) कुम्भकरण का या आविष्कृत करना, ऋण निश्चित या
पुत्र, रावण का मंत्री, कुम्भ का भाई, एक बरामद करना, पशुओं को सवारी आदि शिवगण, एक विश्वेदेव । “कुभोदरं नाम ले चलने की रीति सिखाना, सुई से बेल-बूटे | निकुम्भ-तुल्यम्"--रघु० । “निकुम्भ कुम्भ धादि कपड़े पर बनाना।
धावहीं'-स्फु०। निकाला-संज्ञा, पु० दे० ( हि निकालना ) निकभिला-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मेघनाद का निकालने का कार्य, किसी स्थान से निकाले |
यज्ञ-स्थान, राक्षसों का देवालय । जाने की सज़ा, निकालन (यो --देश |
निकुत्र-संज्ञा, पु० (दे०) बड़हल । निकाला)।
निटी - संज्ञा, स्त्री० (सं०) छोटी इलायची। निकास-संज्ञा, पु० दे० (हि. निकासना ) निकृति --संज्ञा, स्त्री० (सं०) अधर्म, पाप, निकासने की क्रिया का भाव, द्वार, दरवाजा,
कुकर्म, बुरा काम । मैदान, उद्गम, कुटुम्ब का मूल, रक्षा का
| निक]- वि० (सं०) नीच, तुच्छ, अधम । यत्न छुटकारे का उपाय, निर्वाह की रीति,
निकृष्टता-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) नीचता, सिलसिला, प्राप्ति की रीत, निकासी, लाभ । निकासी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. निकास )
। तुच्छता, बुराई। निकालने का भाव या कार्य, रवानगी,
निकेत-संज्ञा, पु० (सं०) भवन, मंदिर, घर, प्रस्थान, कूच, मालगुजारी देने पर ज़मींदार स्थान, निकेता, निकेतू (दे०)। को लाभ, मुनाफा, माल की रवानगी, बिक्री, निकेतन-संज्ञा, पु. (सं० मन्दिर, भवन, चुङ्गी, वर या बारात का ब्याह के लिये घर
घर, मकान, स्थान, जगह । से प्रस्थान (रीति)।
निकोना, निकोलना-स० क्रि० (दे०) निकासना-स० कि० दे० (हि. निकालना) छीलना, उपर का छिलका हटाना । निकालना।
| निकोरना-स० क्रि० (दे०) चुटकी काटना, निकासू -वि० (दे०) निकाला हुआ, वहि
| नोचना। कृत, निष्कासित । संज्ञा, पु० (दे०) द्वार, निके:सना-स० क्रि० वि० (दे०) खिसियाना, निकास।
दाँत दिखाना, अपमान करना । निकास्ता-संज्ञा, पु० (दे०) थूनी, टेक, निकोनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. निकाना) स्तंभ, खम्भा, थाम (प्रान्ती.)।
निकाने का कार्य या मजदूरी, निकाई, निकाह-संज्ञा, पु० (अ.) मुसलमानों के निकवाई । “कहत की बात लजौनी । ब्याह या विवाह की रीति । मुहा०- सब से बुरी निकौनी-~-लो। मा. श. को०-१२६
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