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नादना
नानामत नादना-स० क्रि० दे० ( सं० नदन ) बाजा नानक-पंथी - संज्ञा, पु. यौ० ( हि. नानक बजाना । अ० क्रि० (दे०) बजना, गरजना, +पंथ ) सिक्ख । चिल्लाना, शब्द करना। अ० क्रि० (सं० नानाशाही--वि० (हि.) गुरु नानक नन्दन ) लहलहाना, लहकना, प्रफुल्लित संबंधी, नानक शाह का चेला या शिष्य या होना, प्रारम्भ करना।
अनुयायी, लिक्ख, सिख (दे०)। नादविंदु-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विन्दु-सहित नानकार-संज्ञा, पु० (फा०) माफ़ी ज़मीन,
अर्ध चन्द्र, योगियों के ध्यान करने का तत्व: । बिना कर की भूमि । नादलो-संज्ञा, स्त्री० ( अ०) संगयश की नानकीन-संज्ञा, पु० दे० ( चीनी-नानकिङ्) चौकोर टिकिया जो यंत्र के तुल्य बाँधी एक तरह का सूती कपड़ा। जाती है।
नानखताई - संज्ञा, स्त्रो० (फा०) टिकिया सी नादान-वि० ( फा०) मूर्ख, मूढ़, अज्ञान, एक सोंधी ख़स्ता मिठाई। अजान, श्रनारी, बेसमझ । संज्ञा, स्त्री. नानबाई - संज्ञा, पु. ( फ़ा० नानबा, नानबफ) नादानी।
रोटियाँ बना बना कर बेचने वाला। नादार-वि० फा० (संज्ञा, स्त्री० नादारी) नानसरा-संज्ञा, पु० (दे०) ननिया ससुर,
कंगाल, दरिद्र, निर्धन, बुरा, नदार (ग्रा०) पति या स्त्री का नाना ननसार (दे०)। नादित-वि० (सं०) ध्वनित. क्वणित, नाना-वि० ( सं० ) अनेक प्रकार के, बहुत, निनादित-संजात शब्द, शब्दयुक्त। । अनेक । संज्ञा, पु० (दे०) माता का बाप या नादिम–वि. (अ०) शरमिंदा, लज्जित । पिता, मातामह । स्त्री० नानी । स० क्रि० नादिया-संज्ञा, पु. (सं० नंदी) नंदी, शिव (सं० नमन ) झुकाना, लचाना, नीचा गण, वह बैल जिसे साथ लेकर लोग भीख करना, फेंकना, घुसाना । संज्ञा, पु. (अ.) माँगते हैं।
पुदीना । यौ-अर्क नाना-लिरकानादिर-वि० ( फ़ा० ) अनोखा, अद्भुत, सहित पुदीने का अर्क। अजीब ।
नानाकार--संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) अनेक नादिरशाहो---संज्ञा,स्त्री० (फा०) बड़ा अन्याय, रूप के, विविधि भाँति के।
अंधेर, अत्याचार वि० बड़ा कठोर या उग्र। नानाकारण-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) भांति नादिहंद-वि० (फा०) न देने वाला जिससे भाँति के कारण, अनेक प्रकार के हेतु।
धन उसूल न हो सके । नादेहन्द (दे०)। नानाजातीय-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अनेक नादी-वि० (सं० नादिन ) स्त्री० नादिनी प्रकार या तरह के।
ध्वनि या शब्द करने वाला. बजने वाला। नानात्मा—संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्रात्मभेद । नाधना-स. क्रि० दे० ( सं० नद्ध ) जोतना, पृथक पृथक या भिन्न भिन्न श्रात्मा । जोड़ना, संबंध करना, गूंथना या गंधना. नानाध्वनि-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) अनेक प्रारंभ करना या ठानना।
। प्रकार के शब्द, अनेक भाँति की ध्वनियाँ । नाधा-पंज्ञा, पु० (दे०) पानी निकलने का नामाप्रकार-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) अनेक मार्ग, बैलों के जुये में बाँधने की रस्सी।
___ भाँति, विविधि भाँति बहुविधि ।। नान--संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) रोटी, चपाती, वि. नानाभाँति-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) अनेक (दे०) बारीक, महीन, छोटा।
प्रकार, तरह तरह, रंग रंग के। नानक-संज्ञा, पु. (दे०) लिक्ख संप्रदाय के नानामत-संज्ञा, पु० (सं०) भिन्न भिन्न मत । भादि गुरु ।
बहुविधि सिद्धान्त ।
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