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द्वित्व ६४०
द्वीप द्वित्व-संज्ञा, पु० (सं० ) दोहराना, दो बार | द्विरुक्त-वि० (सं०) दो बार कहा हुआ। करना, दो का भाव ।
द्विरुक्ति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) दो बार कहना, द्विदल-वि० यौ० (सं० ) वह वस्तु जिसमें काव्य में एक ही अर्थ वाला शब्द जो दो
दो दल, पत्ते, या परत हों। संज्ञा, पु० (सं०) । बार श्रावे तो पुनिरुक्ति दोष माना जाता है। वह अनाज जिसमें दो दालें हों, जैसे-चना। 'वीप्सायां द्विरुक्तिः"। द्विदेवत्या-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) विशाषा द्विरूढ़ा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) दो बार नक्षत्र, जिसके दो देवता हैं।
व्याही स्त्री। द्विधा-कि० वि० ( सं० ) दो तरह, भाँति, द्विरूढ़ा पति - संज्ञा, पु० यो० (सं०) विधवा
प्रकार, विधि से, दो भागों या टुकड़ों में। स्त्री का पति या स्वामी। द्विप-संज्ञा, पु० (सं० द्वि-+पा-+ ड्-प्रत्य०) द्विरूपो-संज्ञा, पु० यौ० (सं० द्विरूपिन ) हाथी, गज, द्विरद्, करी। यौ० द्विपेन्द्र- द्विमूर्ति, दूसरा रूप धरने वाला। गजेन्द्र, ऐरावत ।
द्विरेफ-संज्ञा, पु० (सं०) भौंरा, भ्रमर । "इत्थं द्विपथ-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० ) दो रास्ते.. विचिंतयति कोषगते द्विरेफे"- दो भोर का मार्ग।
द्विजन-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) दोबारा द्विपद-वि० यौ० (सं०) जिसके दो पाँव हों, भोजन ।
मनुष्य, देवता, दैत्य, दानव, राक्षस । द्विवचन- संज्ञा, पु. यो० ( सं० ) जिस पद द्विपदी, द्विपदा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) से दो अर्थों का ज्ञान हो।
दो पदों का छंद (पिं०) दोपद का गाना। द्विविद-संज्ञा, पु० (सं०)एक वानर । "द्विविद, द्विपाद-वि० यौ० (सं०) मनुष्य, पक्षी आदि मयन्द, नील, नल वीरा"- रामा० । दो पैरों के प्राणी।
द्विविध-संज्ञा, पु० या ० (सं०) दो भाँति या द्विपास्य-संज्ञा, पु. (सं०) गज-बदन तरह का । क्रि० वि० दो भाँति या प्रकार से ।
गजानन, हाथी के से मुख वाले गणेश। द्विविधा* -- संज्ञा, पु० (सं० द्विविध) दुविधा। द्विभाषी-संज्ञा, पु० यौ०, वि०(सं०द्विभाषिन् ) द्विवेदी-संज्ञा, पु. ( सं० द्विवेदिन् ) दुबे।
दो भाषाओं का ज्ञाता पुरुष । दुभाषिया द्विशिर-वि० यौ० (सं० द्वि- शिर ) जिस दुभाषी (दे०) । स्त्री० द्विभाषिणी । जीव के दो शिर हों, दो शिर वाला। द्विमुख-संज्ञा, पु० (सं०) दे मुखी या दुमुँहा मुहा०-कौन द्विशिर है-किसके अधिक साँप।
या फालतू सिर है, किसे मारने का डर द्विमुखी-वि० स्त्री० (सं० ) दो मुखवाली, नहीं है । “केहि दुइ लिर केहि जम चह वि. पु. (सं०) दो मुखवाला साँप, दुमुंहाँ लीना"- रामा०। साँप
द्विस्वभाष- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दुफसली। द्विरद-संज्ञा, पु. यौ० (सं० )दुरद (दे०), ज्योतिष की एक लग्न, हाँ, नाहीं।।
हाथी । वि. ( सं० ) दोदाँतों वाला। द्विहायन, द्विहायनी-संज्ञा, स्त्री० पु. यो. द्विरदंतक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सिंह, बाघ । (सं० ) दो वर्ष का बालक और बालिका । द्विरसना-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० द्वि-+ रसना द्वींद्रिय-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दो इन्द्रियों
=जीभ ) दो जीभों वाला, साँप, विषधर वाला जंतु । जीव । वि० झूठ-सच बोलने वाला, छली। द्वीप-संज्ञा, पु० (सं० टापू, जज़ीरा, बड़े द्विरागमन-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) गौना, द्वीप-लंबु, लंका, शाल्मलि, कुश, क्रौंच, दोंगा (प्रान्तो०)।
शाक, पुष्कर (पु०) दीप (दे०)।
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