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নবান ६७४
नज़रि नत्रवाना-स० क्रि० दे० (हि. नाचना का पसन्द पा जाना, अच्छा लगना, प्रिय होना।
प्रे० रूप ) नाच या नृत्य कराना, नचाना । नज़र पड़ना--दिखलाई देना या पड़ना। नचवैया--संज्ञा, पु० दे० (हि. नाचना + नजर बाँधना--मंत्र के बल से और का
वैया --प्रत्य० ) नाचने वाला, नर्तक, नृत्य- और दिखाना, दृष्टिबंध करना । कृपा दृष्टि या कर्ता, नचैया।
दया की निगाह से देखना, निगरानी, देखनचहि-अ० कि. ब्र. (हि. नाचना) भाल, ध्यान, ख्याल, पहचान, परख, दृष्टि नाचता है. नृत्य करता है।
का बुरा प्रभाव महा०--नजर उतारना नवाना-स० क्रि० दे० (हि. नाचना ) नाच | -बुरी दृष्टि के प्रभाव को मिटा देना। या नृत्य कराना, दिक या हैरान करना । नजर लगाना ( लगना )--बुरी दृष्टि का "सबहिं नचावत राम गोसाई"-रामा० । प्रभाव डालना या पड़ना। संज्ञा, स्त्री० (अ०) मुहा०-नाच नचाना-चलने फिरने या उपहार, भेंट ।
और किसी कार्य विशेष के लिये विवश नज़रना* --अ० क्रि० दे० ( अ० नज़र + ना करके दिक या तंग करना, व्यर्थ इधर-उधर -प्रत्य० ) देखना, नज़र लगाना । घुमाना । "छछिया भर छाँछ पै नाच नचा" नजरबंद-वि० यौ० (अ० नज़र+बंद-फा०) -रस । मुहा०-आँखें (नैन) नचाना वह बन्दी जो कड़ी निगरानी में रक्खा जावे -चपलता से आँखें इधर-उधर घुमाना। कि कहीं जा न सके । संज्ञा, पु० इन्द्रजाल व्यर्थ इधर-उधर दौड़ाना।
का खेल जिसे लोग दिठबंध समझते हैं। नचिकेता-संज्ञा, पु. दे० (सं० नचकेतस् )
| नज़रबंदी-संज्ञा, स्त्री० (अ० नज़र + बंदी एक ऋषि-पुत्र जिसने काल से ब्रह्मज्ञान
फ़ा० ) कड़ी निगरानी. नजरबन्द होने की सीखा था।
दशा, जादूगरी, बाज़ीगरी। नचौहाँ*-वि० दे० ( हि० नाचना-+-ौहाँ
नज़र बाग़-संज्ञा, पु० यौ० (१०) मकान के -प्रत्य०) सदा नाचने और इधर-उधर
चारों ओर या सन्मुख की पुष्पवाटिका या फिरने वाला।
फुलवाड़ी। नछत्र-संज्ञा, पु० दे० (सं० नक्षत्र ) नक्षत्र, भाग्य । "प्रेमिन के नभ मैं नछत्र हैं न
नज़रहाया, नज़रहा- वि० दे० ( अ० नज़र
+ हाया-प्रत्य०) नज़र लगाने वाला। तारे हैं"---रसाल । मुहा०-नछत्र बली (प्रबल) होना-भाग्यवान होना ! नत्र
स्त्रो० नज़रहाई, नजरही। की बात है-भाग्य का खेल है। बुरा
नजरानना -स० क्रि० दे० (अ० नज़र + नछत्र-मन्द भाग्य, बुरा समय ।
हि० प्रत्य० --भानना ) भेंट या उपहार के नछत्री -वि०दे०(सं० नक्षत्र+ई.. प्रत्य०)
ढंग पर देना, नज़र लगाना । भाग्यवान, भाग्यशाली, नक्षत्र वली।
नजराना-- अ० क्रि० दे० ( अ. नज़र + हिं० नजदीक-वि० (फा०) समीप, निकट, पास, पाना-प्रत्य०) नज़र लग जाना, नजरिकरीब । (संज्ञा, वि० नजदीकी) समीपी। । याना । स० क्रि० (दे०) नज़र लगाना । नजम-संज्ञा, स्त्री० (अ. नज्म ) कान्य, संज्ञा, पु. (अ.) भेंट, उपहार । मुहा०---
नजर गुजारना-उपहार देना, आधीनता नजर-संज्ञा, स्त्री. (अ.) दृष्टि, निगाह। स्वीकार करना । मुहा०-नज़र आना- देख पड़ना, दिख- नज़रि, नजरिया*---संज्ञा, स्त्री० दे० ( अ. लाई देना या पड़ना । नज़र पर चढ़ना- नज़र ) दृष्टि, निगाह ।
कविता।
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