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नकन्याना
नकेल
नकन्याना-अ० क्रि० (दे०) नाकों दम होना, -एक नाक से गर्मी के कारण रक्त बहना। हैरान होना। "अब तो हम नकन्याय गये- मुहा०-नकसीर भी न फूटना-थोड़ी न"-प्रता।
भी हानि या कष्ट न होना। नकफूल-संज्ञा, पु० यौ० दे० (हि. नाक+ | नकाना*-अ० क्रि० दे० (हि. नकियाना) फूल ) नाक में पहनने का एक गहना, कील हैरान होना, नाकों दम पाना या होना। या लोग।
स० कि० दे० ( हि० नकियाना ) नाकों दम नकब-संज्ञा, स्त्री. (अ.) सेंध, दीवाल में या बहुत हैरान करना, नाक से बोलना। चोरों का बनाया छेद।
नकाब-संज्ञा, स्त्री० पु० (अं०) परदा, घू घुट, नकबानी-संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० हि० ) | मुख छिपाने का वस्त्र । यौ० नकाब पोश=
नाक + बानी) नाकों दम, हैरानी, परेशानी, मुख पर पर्दा डाले हुए। नाक से बोलना, नाक का शब्द।। नकार-संज्ञा, पु० (सं०) न, अक्षर या वर्ण, नकबेसर-सज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (हि. नाक न, ना, नहीं, इनकार, अस्वीकार ।
+बेसर) नथ नामक नाक का गहना, बेसर। नकारना-अं० क्रि० दे० (हि० नकार --ना नकमोती--संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि. प्रत्य०) नमानना, अस्वीकार या इन्कार नाक+ मोती) लटकन, नाक में पहिनने का करना, नाहीं करना । मोती, बुलाक।
नकारा-वि० दे० ( फा० नाकारः ) व्यर्थ, नकल-संज्ञा स्त्री० (अ० : अनुकरण, नकल बेकाम, निकम्मा, खराब । स्त्री० नकारी। (दे०) अनुकृति, एक लेख के अनुसार दूसरा नकाशना-नकासना-स० क्रि० दे० लिखना, प्रतिलिपि, पूर्ण रूप से अनुकरण, | (अं०-नक्काशी ) पत्थर, लड़की या धातु स्वाँग, अनोखा और हँसी के योग्य आदि पर खोद खोद कर बेल-बूटे या फूल रूप बनाना, हँसी का छोटा-मोटा किस्सा, आदि बनाना । चुटकुला । वि०-नकलनी, नकलो। नकाशी-नकासी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( अ० नकलनवीस-संज्ञा,पु. यो० ( अं० नकल+ | नक्काशी ) किसी चीज़ पर बेल-बूटे आदि खोद फ़ा. नवीस ) दूसरे के लेखों की प्रति- __ कर बनाना, नक्काशी। लिपि करने वाला, मुंशी । संज्ञा, स्त्री०- नकियाना-अ० दे० कि० (हि. नाक --- नकलनवीसी।
पाना--प्रत्य० ) नाकों दम होना, बहुत ही नकलची--संज्ञा, पु० (दे०) बहुरूपिया, नकल हैरान या दुखी होना। करने वाला । वि० नकाल।
नकीब-संज्ञा, पु०, (अ.) भाट, चारण, नकली-वि. (अ०) जो नकल करके बनाया बंदीजन, कड़खैत ।
गया हो, बनावटी, भूठा, कृत्रिम, खोटा। नकुया संज्ञा, पु० (हि. नाक ) नाक, नेकुषा नकश -- संज्ञा, पु० दे० ( अं० नक्शा ) नक्शा, (ग्रा.) । मुहा०-- नकुअन जीप (दम) चित्र, ताश का एक खेल ।।
पाना (करना)- बहुत हैरान हो उब नकशा-संज्ञा, पु० (अं० नक्श) जो बनाया | उठना ( हैरान कर उबाना )। या लिखा गया हो, नक्श, किया या खोदा | नकुल-संज्ञा पु० (सं०) नेवला जंतु, सहदेव गया हो, चित्र । यौ० नकशाकशी। का बड़ा माई, पांडु-पुत्र । स्त्री०-नकुली। नकसीर-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (हि. नाक + नकेल -संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. नाक + एलसं० सीर = पाती) नाक से बिना चोट लगे प्रत्य०) मुहरा, ऊँट के नाक की रस्सी । रक्त या खून बहना । यौ०-नकसीर फूटना। मुहा०-किसी की नकेल हाथ में होना
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