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दूत
गैर । त्रो० दुजी । "कहु सठ मों-समान को दूजा " - रामा० ।
दूत - संज्ञा, पु० (सं०) बसीठ, चर । (स्त्री० दूती ) " दूत पठाये बालि कुमारा" रामा० । दूत के तीन भेद हैं ( १ ) निसृष्टार्थ (२) मितार्थ (३) सन्देश- हारक । दूतकर्म संज्ञा, पु० यौ० (सं०) समाचार या संदेशा पहुँचाना, दूत का कार्य या काम, दूतत्व, दूतता ।
दूतता - संज्ञा, स्त्री० (सं०) दूतत्व, दूत का कर्म | संज्ञा, पु० (सं०) दूतत्व | संज्ञा, पु० (हि०) दूतपन ।
बूतर - 8 / - वि० दे० (सं० दुस्तर) दुस्तर, दुर्गम, कठिन ।
दूतावास - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दूसरे राजा के दूत का घर, निवास-स्थान, दूतागार, दूत भवन । दूतिका-ती-संज्ञा, स्रो० (सं०) कुटिनी, कुट्टिनी, सारिका, संचारिका, सन्देश वाहिनी, समाचारहारिणी, प्रेमी और प्रेमिका या नायक नायिका को मिलानेवाली, इसके भी उत्तमा, मध्यमा, अधमा तीन भेद हैं। यौ० स्वयं दूतो ( स्वयंदृतिका ) - अपने ही लिये दूत कर्म करने वाली नायिका । दूत्य -- सज्ञा, पु० (सं०) दूत - कर्म, दूत का काम, दौत्य, दूतत्व |
दूध - संज्ञा, पु० दे० (सं० दुग्ध) दुग्ध, पय, तीर, स्तन्य । लौ० - दूध का जला मठा फूंक फूंक कर पीता है । " जैसे दाभ्यो दूध को, पीवत छाँछहि फँकि ” – वृ० 1 मुहा०दूध उतरना - स्तनों में दूध भर जाना । दूध का दूध और पानी का पानी करना -ठीक ठीक न्याय करना । "न्याय मैं हंसिनि ज्यों बिलगावहु, दूध को दूध यौ पानी को पानी” – प्र० ना०मि० | दूध की मक्खी की तरह निकालना या निकाल कर फेंक देना- किसी को अपने पास से इकबारगी तुच्छ समझ कर अलग कर निकाल भा० श० को ०११६
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दूनर
या भगा देना | दूध के दाँत न टूटना - बचपन बना रहना (होना) । दूध नहाओ पूतों फलो - धन-पुत्र की बढ़ती हो । ( आशी० ) दूध फटना - दूध का सारांश और पानी अलग अलग हो जाना या दूध का बिगड़ जाना । माता के दूध को लजाना - अकरणीय या बुरा काम करना । स्तनों में दूध भर आना - बच्चे के स्नेह या ममता के कारण स्तनों में दूध
भर थाना ।
दूध पिलाई - संज्ञा, त्रो० यौ० दे० (हि० दूध + पिलाना) दूध पिलाने वाली दाई या धाई, धाय, व्याह की एक रीति ।
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दूध-पूत - संज्ञा, पु० यौ० दे० (हि० दूध + पूत) धन- पुत्र "दूध-पूत हम से लेव" लइ -- प्र० ना० मि० । दूधाधारी, दूधाहारी - वि० दे० यौ० (दे०) केवल दूध पीकर रहने या जीने या निर्वाह करने वाला, दुग्धाहारी, दुग्धभोजी (सं० ) पायसहारी पयहारी ।
दूधा भाती - संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० ( हि० दूध + भात) दूध और भात, व्याह के चौथे दिन वर-कन्या का भोजन ( रीति ) । दूधमुख - वि० यौ० दे० (हि० दूध + सं० मुख) दुधमुहाँ, छोटा बच्चा दूध पीता हुआ बच्चा, " सूध दूध-मुख करिय न कोहू'- - रामा० । दूधिया - वि० दे० (हि० दूध + इया - प्रत्य० ) दुग्ध सम्मिलित दूध से बना हुआ, दूध के रंग का | संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक पत्थर, एक घास, दुधिया, दूधी (ग्रा० ) । दून- संज्ञा, स्त्री० (हि० दूना) दूने का भाव । मुहा० - दून की लेना या हाँकनाडींग मारना, बहुत बढ़ बढ़ (बढ़-चढ़ ) कर बातें करना | संज्ञा, पु० (दे०) घाटी, तराई । दूनर (* - वि० दे० (सं० द्विनम्र ) जो झुक कर दुगुना हो गया हो । "दूनर कै चूनर निचोर है".
--रसा० ।
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