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दर्शक
दलना, दरना अमावस, द्वितीया तिथि, एक यज्ञ, दरश, दलकन, दलकनि-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. दरस (दे०) । यौ०-दर्श-स्पर्श। दलक ) श्राघात, चोट, दलकने का भाव, दर्शक-संज्ञा, पु. (सं०) देखने या दर्शन करने उद्विग्नता, कंप। वाला, दिखाने वाला।
दलकना-अ० क्रि० दे० (सं० दलन) चिर दर्शन-संज्ञा, पु० (सं०) वह ज्ञान जो देखने या फट जाना, दरार खाना, काँपना, थर्राना, से हो, साक्षात्कार, अवलोकन, भेंट, तत्व- उद्विग्न होना, चौंकना । 'दलकि उठेउ सुनि ज्ञान सम्बन्धी शास्त्र या विद्या जिसमें ब्रह्मा, बचन कठोरू''--रामा० । जीव, प्रकृति का विवेचन है, आँख, स्वप्न, | दलकपाट-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) फूल की ज्ञान, धर्म, शीशा । यौ० दर्शनशास्त्र। हरी पत्ती मिली हुई पंखुरियाँ जिनके भीतर दर्शनप्रतिभू-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) प्रति- कली होती है।। निधि, हाज़िर जामिन जो किसी को समय | दलकोश- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) कुन्द वृक्ष ।
पर उपस्थित करने का भार अपने ऊपर ले। दलगंजन-वि• यौ० (सं०) बड़ा वीर या दर्शनीहुंडी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० दर्शनी शूर, दल का विनाशक ।
+हि० हुडी) वह हुडी जिसे दिखाते ही दलथंभन - वि० दे० यौ० (सं० दलस्तम्भन) रुपया मिल जावे।
सेना को युद्ध में अटल रखने या रोकनेवाला दर्शनीय-वि० (सं०) सुन्दर, मनोहर, देखने सेनापति, कमख़ाब बुनने वालों का एक के योग्य।
हथियार। दर्शनेच्छा--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) देखने | दलदल-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दलब्य) कीच, की इच्छा या आकांक्षा, दरस (दे०) दर्श- कीचड़, पंक, चहला, पाँव धसने योग्य नाभिलाषा।
गीली भूमि । मुहा०-दलदल में फंसना दर्शनेन्द्रिय-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) आँख,
(3साना)-विपत्ति या कठिनता में पड़ना, नेत्र, नयन, लोचन ।
कोई काम शीघ्र पूर्ण या समाप्त न होना, दर्शाना-स० क्रि० दे० (सं० दर्शन) दिख- खटाई में पड़ना। लाना, साक्षात् कराना, प्रकट या स्पट करना,
दलदला-वि० दे० (हिं. दलदल ) जहाँ भली भाँति समझाना ।
दलदल हो, दलदल वाला । स्त्री० दलदलो। दर्शित-वि० (सं०) दिखाया हुआ, प्रका
दलदलाना-अ० क्रि० दे० (हि. दलदल ) शित, प्रकटीकृत ।
काँपना, हिलना, थरथराना, मोटाना । दर्शी-वि० (सं० दर्शिन) देखने या समझने
दलदलाहट-संज्ञा, स्त्री० दे० (हिं० दलदल) वाला। दल-संज्ञा, पु० (सं०) अन्न के दाने के दोनों | कंप, दलक, धमक, मोटाई । विभाग, पौधों का पत्ता, पत्र, फूलों की दलदार-वि० (हि० दल+फा० दार ) मोटे पंखड़ी, समूह, सेना, किसी वस्तु की मोटाई । दल, परत या तह वाली वस्तु । "लगे लेन दल-फूल मुदित मन"-रामा० । दलन-संज्ञा, पु. (सं०) नाश, संहार, नष्ट. यो० तुलसीदल।
भ्रष्ट, दल कर टुकड़े टुकड़े कर देना। दलक-संज्ञा, स्त्री. (अ० दलक) गुदड़ी। 'दलन मोह-तम सो सुप्रकासू-रामा० । संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. ढुलकना ) धमक, कंप, | वि० दलित, दलनीय।। थरथराहट, कपकपी, टीस, चमक । "तुलसी | दलना, दरना स० क्रि० दे० (सं० दलन) कुलिसहु की कठोरता तेहि दिन दलक दली" किसी पदार्थ को टुकड़े करना, चूर्ण कर -गीता।
| डालना, कूचना, रौंदना, दबाना, मसलना, भा० श० को०-१११
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