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दंष्ट्रो
दखीलकार दंष्ट्रो-वि० (सं०) बड़े और हानिप्रद दाँत- प्रवीण, निपुण | संज्ञा, पु. (सं०) चतुर वाले जीव जंतु, हाथी, शूकर, सर्प, बाघ नायक, प्रदक्षिणा, तंत्र का एक मार्ग । श्रादि।
(विलो० --- वाममार्ग )। दम-संज्ञा, पु० दे० ( सं० दंश ) डाँस, डॅसा दक्षिणा- सज्ञा, स्त्री० (सं०) दक्षिण दिशा, (दे०)। "मसक-दंग बीते हिम-त्रासा" दान, पुरस्कार या भेट, चतुर नायका दछिना, -रामा०।
दचिना । यौ० दान-दक्षिणा । दइत-संज्ञा, पु० दे० (सं० दैत्य) दैत्य, दानव, दक्षिणापथ-- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) बिन्ध्यादैत ( ग्रा०)।
चल पहाड़ के दक्षिण का वह भाग जहाँ से दई, दइव, देव-संज्ञा, पु० दे० ( सं० देव ) । दक्षिण भारत को मार्ग जाते हैं। ईश्वर, ब्रह्मा विष्णु, शिव । संज्ञा, पु. ( सं० । दक्षिणायन--वि० यौ० (सं०) भूमध्य रेखा देव) भाग्य, कर्म, दइया ( ग्रा० )। “दई । से दक्षिण की ओर, जैसे दक्षिणायन सूर्य, दई क्यों करत है "- वि० । स० कि० दे० छै महीने का समय जब सूर्य की किरणें ( हि० देना ) दी। "दई दई सुकबूल" दक्षिणीय गोलार्द्ध में सीधी पड़ती हैं। -- वि० । मुहा: ----दई का घाला- दक्षिणावर्त - वि० यौ० (सं०) दक्षिण देश भाग्य का मारा, अभागा । दई दई-हे देव. ! का, दाहिनी ओर को घूमा हुअा। संज्ञा, पु. देव रक्षा करो। प्रारब्ध, अदृष्ट, संयोग से। दाहिनी ओर को घूमा हुथा शंख । दईमारा-वि. यौ० दे० (हि० दई + मारना) । दक्षिणी, दत्तिणीय-संज्ञा, स्त्री० (सं०)
प्रभागा, भाग्य-हीन । स्त्री० ईमारी। दक्षिण देश की भाषा । संज्ञा, पु. दक्षिण दक-संज्ञा, पु० (सं०) पानी, जल, उदक। देश वासी। वि. दक्षिण देश सम्बन्धी. दकीका-संज्ञा, पु. ( ग्र०) उपाय, यक्ति, दक्षिणा के योग्य ! बारीक बात । महा0---कोई दकीका दखन, दखिन, वछिन-संज्ञा, पु० दे० (सं० बाकी न रखना-कोई युक्ति या उपाय दक्षिण) दक्टिन दक्षिण दिशा। “देखि शेष न रखना. सब कर चुकना ।
दखिन दिसि हय हिहिनाही' रामा० । दक्खिन-संज्ञा, पु० दे० (सं० दक्षिणा) एक । दखनी, दखिनी, दछिनी-वि० (सं० दिशा । किवि दक्षिण दिशा की ओर दक्षिणी) दक्षिण-वावी. दक्षिण देश का। दक्षिणीय भारत । " दक्खिन जीति लियो ! दखमा-संज्ञा, पु० (दे०) पारसी लोगों के दल के बल"-भू०।
मृतक के रखने का स्थान । दक्खिनी-वि० दे० (सं० दक्षिणीय दकिवन दखल - सज्ञा, पु० (अ०) प्रवेश, अधिकार,
हाथ डालना, पहुँच । देश का, दक्खिन का। संज्ञा, पु. दक्खिन दखिनहा, दक्खिनिहा- वि० दे० (हि. देश-वापी दक्षिण-संबंधी।
दक्खिन -। हा प्रत्य०) दक्षिण का, दक्षिणी । दत्त, दच्छ (दे०)-वि० (सं०) चतुर, प्रवीण दरवीना - संज्ञा. पु० दे० (सं० दक्षिणा) दक्षिण कुशल, निपुण, दाहिना । संज्ञा, पु० एक से अाने वाली वायु । "प्रीतम बिन सुन री प्रजा-पात, त्रिमुनि, महेश्वर शिव-ससुर । । सखी. दखिना मोहि न सहाय"-मन्ना। दक्षकन्या- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) सती। दखिल-वि० [अ०) अधिकारी, दखल, दक्षता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) चातुय्य, निपु- कबजा वाला। णता, कुशलता, योग्यता।
- दखीलकार-- संज्ञा, पु. (अ० दखिल -- फा० दत्तिण-वि० सं०) दाहिना, अनुकूल, एक कार) किसी भूमि को कम से कम बारह वर्ष दिशा, दच्छिन, दक्खिन, दछिन--चतुर, तक अपने आधीन रखने वाला किसान ।
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