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जीना
जी, जीउ
७३३ न रहना, व्याकुल होना। जी दुखना-- जीगन- संज्ञा, पु० (दे०) जुगनू । चित्त को कष्ट पहुँचना। जी देना मरना, जीजा-संज्ञा, पु० दे० (हि. जीजी) बड़ी अत्यन्त प्रेम करना। जी धंस। जाना- बहिन का पति, बड़ा बहनोई। जी बैठ जाना । जी धड़कना-भय, जीजी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० देवी ) बड़ी आशंका से चित्त स्थिर न रहना, कलेजा बहिन । अव्य० ( वीप्सार्थ ) हां हां। धक धक करना। जी निठाल होना - जीत--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० जिति ) युद्ध चित्त का स्थिर या ठिकाने न रहना।। या लड़ाई में विपक्षी के विरुद्ध सफलता, जो पर पाबनना--प्राण बचाना कठिन | जय, विजय, कार्य में विपक्षी के रहते हो जाना । जो (जान) पर खेलना-जान | सफलता, लाभ, फ़ायदा । को पात में डालना, मरने को तैयार होना। जीतना-स. क्रि० दे० (हि. जीत-नाजी बहलना--चित्त का श्रानन्द में लीन प्रत्य० ) युद्ध में विपक्षी पर विजय प्राप्त होना, मनोरंजन होना। जी बिगड़ना - करना, दो या अधिक परस्पर विरुद्ध पक्ष जी मचलाना, के करने की इच्छा होना। के रहते काय में सफलता, दाँव ( जुआ) (किसी की ओर से) जी बरा करना- में सफल होना। किसी के प्रति अच्छा भाव न रखना, घृणा जीता - वि० (हि. जीना ) जीवित, तौल या क्रोध करना । जो भरना-म० क्रि० या नाप में ठीक से कुछ बढ़ा हुआ, विजयी। चित्त संतुष्ट होना, तृप्ति होना । जी भरना | जीन*-वि० दे० (सं० जोर्ण) जर्जर, पुराना, -- क्रि० दूसरे का सन्देह दूर करना, | कटाफटा, वृद्ध, बूढ़ा। खटका मिटाना । जी भर कर-मनमाना, | जीन-संज्ञा, पु० ( फा० ) घोड़े पर रखने की यथेष्ट । जी भर याना-चित्त में दुःख गद्दी, चारजामा, काठी, पलान, कजावा या करुणा का उद्रेक होना, दया उमड़ना। __ (ग्रा.), एक बहुत मोटा सूती कपड़ा। जी मचलाना या मतलाना-उलटी या “जगमति जीन जड़ाउ जाति से "कै करने की इच्छा होना। जी में आना-- रामा०। चित्त में विचार उत्पन्न होना, जी चाहना। जीनपोश--- संज्ञा, पु० यौ० ( फा० ) जीन के (किसी का) जा रखना-मन रखना, ढकने का कपड़ा। इच्छा पूर्ण करना, प्रसन्न या संतुष्ट करना। जोन सवारी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (फा०) जी लगना--मन का किसी विषय में योग घोड़े पर जीन रखकर चढ़ने का कार्य । देना, (किसी से ) जो लगाना-किसी जोना-अ० क्रि० दे० ( सं० जीवन ) जीवित से प्रेम करना। जो से-जीजान से-- | या जिंदा रहना । मुहा०-जीता-जागता जी लगा कर, ध्यान देकर। जी से उतर --जीवित और सचेत, भला-चंगा, स्वाभाजाना----दृष्टि से गिर जाना, भला न | विक, साक्षात, साकार। जीती मक्खी अँचना । जी से जाना-मर जाना।। निगलना-जान-बूझ कर कोई अन्याय अध्य० दे० (सं० जित् या श्रीयुत् ) एक | या अनुचित कर्म करना, हानिकारक कार्य सम्मान-सूचक शब्द जो किसी के नाम के | करना । जीते जी मर जाना—जीवन में आगे लगाता है या किसी बड़े के कथन प्रश्न ही मृत्यु से अधिक कष्ट भोगना। जीना या संबोधन के उत्तर में सक्षिप्त प्रतिसंबोधन | भारी हो जाना--जीवन का आनन्द या स्वीकृति के रूप में प्रयुक्त होता है। जाता रहना । प्रसन्न या प्रफुल्लित होना। जीश्र, जीउ*--- संज्ञा, पु० (दे०) जी, जीव। संज्ञा, पु० दे० (फा० जीनः ) सीढ़ी।
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