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या ख्याति को नष्ट करना। लुटिया डुबाना चित्त घबराना या व्याकुल होना, बेहोश (डूबना )- बड़ाई या इज्ज़त मिटाना। हो जाना, ग्रहों का अस्त होना, जैसे सूर्य डुबाव -संज्ञा, पु० दे० ( हि० डूबना ) डूबने । डूबना, चौपट या नष्ट होना, खराब या योग्य, पानी की गहराई।
बरवाद होना, बिगड़ जाना । मुहा०-नाम डुबोना-स. क्रि० (हि० डुबाना) दुबाना । डूबना-बड़ाई या प्रतिष्ठा नष्ट होना, इभकौरी-संज्ञा, स्त्री० ( हि० डुबकी+बरी) इज्जत मिटना, बदनामी होना । किसी को बिना तली हुई उर्द की बरी।
उधार दिये या किसी धंधे में लगाये हुए डुरियाना-स० कि० (दे०) चलाना, फिराना, धन का नष्ट हो जाना, चिन्ता में मग्न ले चलना, रस्सी में बाँधकर घुमाना, घोड़े । होना, लीन या तन्मय या लिप्त होना । को बागडोरी के द्वारा ले चलना ।। डूबा-वि० दे० (हि० डूबना) डूबा हुआ, इलना-अ.क्रि० दे० ( हि० डालना ) | निमग्न । संज्ञा, पु. पानी का अधिक पाना. हिलना, चलना, काँपना।
बूड़ा (ग्रा.), बाढ़, मूर्छा । " डूबा बंस डुलाना-स० कि० दे० (हि. डोलना) | कबीर का, उपजे पूत कमाल "-कबी०।
चलाना, हटाना. हिलाना, भगाना, घुमाना, डेंडसी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० टिंडिस ) फिराना । “ विजन डुलाती थीं वे बिजन | टिंड, टिंडसी, ककरी सी एक तरकारी। डुलाती हैं ''-भू.।
डेउढ़-संज्ञा, पु० (दे०) बन्दूक की बाढ़, इंगर-संज्ञा, पु० दे० (सं० तुंग) मिट्टी डेवढ़ा, डेढ़ । डेउढ़ा-संज्ञा, पु० दे० (सं०
आदि का ढेर, पहाड़ी टीला, भीटा, । अध्यर्द्ध) आधा और एक, ड्योढ़ा । स्त्री० ( ग्रा.)। इंगर को घर नाम मिटावे " डेउढी, ड्योढ़ी। -प्रेम० । एक जाति ।
डेउढ़ी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) दरवाजा, फाटक डंगरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तुंग, हि० पौर, ड्योढ़ी (ग्रा.)। "डंगर) छोटा टीला याभीटा, छोटी पहाड़ी। डेग-संज्ञा, पु० (दे०) देग, पद, पग, दो ईंगी-संज्ञा, पु० दे० (सं० तुंग ) चम्मच, | पैरों के बीच की भूमि जो चलते समय "डोंगा, रस्सी का गोल लच्छा।
छूटती जाती है। इँडा-वि० (दे०) छोटे या बिना सींग | डेगना-संज्ञा, पु० (दे०) ठेकुर, डेंगना, अडया एक सींग का बैल, श्राभूषण-रहित स्त्री गोड़ा, चौपायों के अगले पैरों के बीच में का हाथ । स्त्री. डॅडी । लो०-" डंडी लटकाई गई लकड़ी जिसमें वे भाग न सकें। गइया सदा कलोर।"
डेठी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) डंडी, नाल ! वि. डूबना-अ. क्रि० दे० (अनु० डुब डुब)। डेउदी। पानी आदि द्रव पदार्थों में घुस जाना, डेडहा-संज्ञा, पु० दे० (सं० डुडुभ ) पनिहाँ समा जाना, मग्न होना, बूड़ना, गोता | साँप । खाना । मुहा०-डूब मरना-लजा के | डेढ़-वि० दे० (सं० अध्यर्द्ध) एक पूरा मारे मुख न दिखाना। "गर बाँधि कै । और उसी का प्राधा, सार्द्ध । मुहा०-डेढ़ सागर डूबि मरौ"-राम० । चुल्लू भर
ईट की मसजिद (दीवाल) बनानापानी में डूब मरना-बहुत लजित होना मारे शेखी के सब से अलग काम करना । किसी को अपना मुख न दिखाना। (मन | डेढ़ (ढाई ) चावल की खिचड़ी में ) इबना-उतराना-चिन्ता-मग्न होना, ! पकाना-अपनी सम्मति या राय सब से सोच विचार में पड़ जाना। जी डूबना- | पृथक रखना। भा. श. को.-१..
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