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तत्ववेत्ता
तन
तत्ववेत्ता - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) तत्वज्ञानी, दार्शनिक |
तदानीम-श्रव्य (सं०) उस समय, उस काल । तदासक- संज्ञा, पु० ( ० ) प्रबंध, पेशबंदी, सजा, दंड, जाँच |
तत्वावधान - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) परीक्षा, जाँच पड़ताल, देखरेख, निगरानी ।
तदीय-- सर्व ० (सं० तत् +इयम् ) उसका |
संज्ञा, पु० बल, शक्ति, तत्व ।
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तत्थ - वि० दे० (सं० तत्व) मुख्य, प्रधान । तदुक्ति -- संज्ञा, खो० यौ० (सं०) उसकी बात तदुक्ति: परिभाव्यच १ – सि० कौ० । तदुत्तम - वि० यौ० (सं०) उससे बढ़ कर । तदुत्तर - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) उसका जवाब | तदुपरान्त - क्रि० वि० यौ० (सं०) उसके बाद, उसके पीछे, तत्पश्चात् । तदुपरि - श्रव्य यौ० (सं०) उसके ऊपर | तदेकचित्त - वि० यौ० (सं०) उसके समान स्वभाव, उसका प्रेमी, अनुरक्त, अनुवर्ती । तदेव - श्रव्य० यौ० (सं०) वही । तद्गत — वि० यौ० (सं०) उसके बीच में या व्याप्त, उससे संबंध रखने वाला । तद्गुण - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक अलंकार, जिसमें कोई वस्तु अपनी समीपवर्ती अन्य वस्तु का गुण ग्रहण करती है ( श्र० पी० ) उसी का गुण ।
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तत्पर - वि० (सं०) संनद्ध, उद्यत, चतुर, निपुण | संज्ञा, स्त्री० (सं०) तत्परता । तत्परता - संज्ञा, स्त्री० (सं०) संनद्धता, दक्षता, चतुरता, मुस्तैदी ।
तत्पुरुष - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) परमेश्वर, भगवान, एक रुद्र, एक समास ( व्या० ) । तत्र – क्रि० वि० (सं०) वहाँ, उस ठौर । तत्रभवान - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) माननीय, पूज्य, श्रीमान् ।
तत्रापि - अव्य० यौ० (सं०) तथापि, तिस पर भी, वहाँ भी, तब भी ।
तत्सम - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) संस्कृत का वह
शब्द जो भाषा में भी शुद्ध ही प्रयुक्त हो ।
तथा, तथैव- - अव्य० (सं०) उसी प्रकार, वैसा
ही । यौ० तथास्तु - ऐसा ही हो, एवमस्तु । तथागत - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) गौतम बुद्ध । तथापि - (- प्रव्य० यौ० (सं०) तो भी, तब भी । तथ्य - वि० सं०) यथार्थ, सत्य | संज्ञा, स्त्री० (सं०) तथ्यता । यौ० - तथ्यातथ्य |
तद्
- वि० (सं०) वह, जो । + क्रि० वि० ( सं० तदा ) तब, उस वक्त । तदंतर- तदनंतर - क्रि० वि० यौ० (सं०) उसके पीछे या उपरान्त ।
तदनुरूप - वि० यौ० (सं०) उसी के समान, या उसी रूप का ।
तदनुसार- तदनुकूल - वि० यौ० (सं०) उसके
अनुसार या अनुकूल ।
तदपि - अव्य० यौ० (सं०) तो भी, तिस पर भी । ( विलो० - यदपि )
तदवीर - संज्ञा, त्रो० (प्र०) युक्ति, उपाय । तदा- क्रि० वि० (सं०) उस वक्त, तब । तदाकार - वि० यौ० (सं०) वैसा ही, उसी आकार का, तन्मय, तद्रूप ।
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तद्वन - वि० यौ० (सं०) वही धन, उतना ही धन, कंजूस, सूम ।
तद्धित - संज्ञा, पु० (सं०) संज्ञाओं में प्रत्यय लगाकर संज्ञायें बनाने का विधान ( व्या० ) जैसे, पुत्र से पौत्र । यौ० -- १० -- उसका हित । तदुभव - संज्ञा, पु० (सं०) संस्कृत का वह शब्द जिसका अपभ्रंशरूप भाषा में प्रचलित हो, जैसे- कपाट का किवाड़ । तद्यपि - अव्य० (सं०) तथापि, तो भी । तद्रूप - वि० यौ० (सं०) सदृश, समान, रूपकालंकार का एक भेद ( श्र० पी० ) । तद्रूपता - संज्ञा, त्रो० यौ० (सं०) सादृश्य,
समानता, समरूपता ।
तद्वत् — वि० (सं०) उसी के समान, तत्तुल्य, तत्सदृश, तत्समान ।
तन
- संज्ञा, पु० दे० (सं० तनु ) शरीर, गात, देह | "तन पुलकित मन परम उछाहू"रामा० । मुहा० - तन को लगना - हृदय
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