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टनाना
टरकना
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टनाना-स. क्रि० (दे०) फैलाना, तनाना, | पड़ना, सहायता करना, बिना सोचे-समझे पसारना, ज़ोर से बाँधना।
किसी काम को उठा लेना। टप-संज्ञा, पु० दे० (हि. टोप) फिटन, टपरा--संज्ञा, पु० (दे०) छप्पर, झोपड़ा। टमटम आदि का सायवान जो इच्छानुसार क्रि० वि० (दे०) अधिक, पूर्ण । चढ़ाया या गिराया जाय, लटकाने वाले टपाटप-कि० वि० (अनु०) लगातार पानी लैंप की छतरी। संज्ञा, पु० दे० ( अनु०) आदि का टप टप शब्द करके या बूंद बूंद कर पानी आदि के टपकने का शब्द, एक बारगी के गिरना, शीघ्रता से एक एक कर पाना । ऊपर से गिरे हुये पदार्थ का शब्द । संज्ञा, टपाना-स. क्रि० दे० (हि. तपाना ) पु० दे० (अं० टब ) नाँद जैसा बरतन, खिलाये-पिलाये बिना ही पड़ा रहने देना, नवीन कर्ण-भूषण, मुर्गियों के बंद करने का
व्यर्थ भरोसे में रखना । क्रि० वि० दे० (हि. बाँस का टोकरा।
टपना) फाँदना, कूदना। टपक-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. टपकना) टप
टप्पर-संज्ञा, पु० दे० (हि. छप्पर ) ठाठ, कने का भाव, बूंद बूंद गिरने का शब्द, रुक |
छप्पर, टट्टर। रुक कर होने वाला दर्द, टीस ।
टप्पा-संज्ञा, पु० दे० ( हि० टाप) मार्ग में टपकना-अ० कि० दे० (अनु० टप टप) पड़ाव, टिकान, उछाल, कूद, फलाँग, नियत पानी आदि का बूंद बूंद गिरना, पाम आदि । दूरी, दो स्थानों का अन्तर, एक प्रकार का का पेड़ से गिरना, एक बारगी ऊपर से नीचे गाना ( ग्रा.)। आना, किसी भाव का प्रगट होना, झल.
टब-संज्ञा, पु. ( अं० ) नाँद जैसा पानी कना, घाव आदि का ठहर ठहर कर दर्द
रखने का बरतन । करना, चिलकना, टीस मारना । प्रे० रूप
ट-बर-संज्ञा पु० (दे०) परिवार, गोत्र । टपकाना, टपकवाना।
टभक-संज्ञा, स्त्री० (दे०) दर्द, पीड़ा, पानी टपका-संज्ञा, पु० दे० (हि० टपकना) पानी
| में पानी गिरने का शब्द।। आदि के गिरने का भाव, टपकी वस्तु, श्राप टभकना-अ० कि० (दे०) चूना, टपकना, से श्राप गिरा पका फल प्राम, ठहर ठहर | घाव में दर्द होना। कर होने वाला दर्द । चीता जन्तु ।
टमकी-संज्ञा स्त्री० (दे०) डुगडुगिया । टपका-टपकी-संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (हि.
टमटम-संज्ञा, स्त्री० दे० ( अं० टैंडम ) एक टपकना ) फुहार, हलकी झड़ी, पेड़ से पके
हलकी खुली दो पहियों की घोड़ा-गाड़ी। फलों का लगातार गिरना ।
टमटी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक बरतन । टपकाना-स० कि० दे० (हि. टपकना ),
टमाटर-संज्ञा पु० दे० (अ. टोमैटेा) विलापानी आदि का बूंद बूंद गिराना, चुवाना
यती बैगन । भबके से अर्क उतारना।
टर-संज्ञा स्त्री० दे० (अनु०) दुखद या कर्कश टपजाना-अ० कि० (दे०) कूद पड़ना, शब्द, कड़वी बोली, टर्र (दे०) । मुहा०उछल जाना, भागे होना।
टर टर करना ( लगाना)-ढिठाई से टपना-अ० क्रि० दे० (हि. टपना ) खाये- बोलते ही जाना, मेढ़क की बोली। कड़ी पिये बिना पड़े रहना, व्यर्थ के भरोसे पर बातें, ऐंठ, हठ । अ० क्रि० (दे०) टर्राना। बैठा रहना।
टरकना-अ. क्रि० दे० (हि० टरना ) टल टप पड़ना- क्रि० (दे०) बीच में कूद जाना, हट या खिसक जाना।
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