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ठिकान-ठिकाना
ठिकान-ठिकाना - संज्ञा, पु० दे० ( सं० स्थान ) ठौर, स्थान, रहने की जगह, घर । स० क्रि० (दे०) ठीक होना। " कहीं भी नहीं मेरा ठिकाना – हरि० । मुहा०— ठिकाने आना - रास्ते पर श्राना, ठीक ठीक जगह पर श्राना, किसी बात का मतलब बड़े सोच-विचार के पीछे समझ में धाना, शुद्ध या ठीक होना, यथोचित रूप में होना । ठिकाने की बात-ठीक या प्रमाणिक बात समझ या अकृ की बात । कौन ( क्या ) ठिकाना - क्या निश्चय या विश्वास (पता) । ठिकाने पहुँचाना या लगाना-ठीक स्थान पर पहुँचाना, मार डालना हटा देना । कुछ ठिकाना है - कोई निश्चय या सीमा है । दृढ़ स्थित ठहराव, बन्दोबस्त, सीमा । ठिकानी - वि० ( हि० ठिकाना ) ठीक ठिकाने वाला, जिसका ठिकाना लग गया हो, जो अपने ठिकाने पर हो ।
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ठीवन
एक एक पर गिरना, धक्कम धक्का करना । ठेलमठेला - (दे० ) ठिलिया - संज्ञा स्रो० दे० (सं० स्थाली ) गगरी, छोटा घड़ा ।
ठिलुआ, ठिलुषा - वि० दे० (हि० निटल्ला) बेकाम, निठल्ला, निकम्मा |
ठिल्ला -- संज्ञा पु० दे० ( हि० ठिलिया ) छोटा घड़ा |
ठिहारी - संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० ठहरना ) निश्चय, समझौता, ठहराव । ठीक - वि० दे० (हि० ठिकाना ) यथार्थ, सत्य, उचित, सही, शुद्ध, अच्छा जिसमें कुछ अन्तर न पड़े, निश्चित । क्रि० वि० (दे० ) जैसा चाहिये वैसा । संज्ञा पु० पक्की बात, निश्चय । मुहा०— ठीक देना - मन में पक्का करना, जोड़, मीज्ञान । ठीकठाक – संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० ठीक ) यथार्थ प्रबंध, पक्की व्यवस्था, निश्चय वि० (दे० ) अच्छी तरह, भली भाँति । ठीकरा - संज्ञा पु० दे० ( हि० डुकड़ा ) मिट्टी के घड़े आदि का टुकड़ा, पुराने धौर टूटे फूटे बरतन, भिक्षा का पात्र । (स्त्री० प्रल्पा० ठीकरी ) ।
ठीकरी - संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० ठीकरा ) मिट्टी
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ठिठक -- संज्ञा, खो० दे० ( ठिठकना ) रुकाव, ठहरावा, आश्चर्य या भय-युक्त, सिकुड़ना । यौ० - ठिक जाना, ठिठक रहनाभया में सुधि बुधि भूल जाना । ठिठकना - ० क्रि० दे० (सं० स्थित + करण ) सहसा रुक जाना, ठहर जाना, दबकना, सिकुड़ना, शंक चित्त होना । ठिठरना-ठिठुरना - ० क्रि० दे० ( सं० स्थित ) जाड़े से सिकुड़ना या ऐंठ जाना । ठिनकना - ० क्रि० ( अनु० ) लड़कों का रुक रुक कर रोना, मचलना ।
घड़े आदि का खंड, तुच्छ वस्तु । ठीका - संज्ञा पु० दे० ( हि० ठीक ) निश्चित धन ले काम करने का वादा, प्रण, जिम्मा, इजारा, पट्टा | ठीकुरी - संज्ञा स्त्री० ( दे० ) परदा, पत्थर । " निज आँखिन पै घरे ठीकुरी, कितने और रहोगे " - सत्य० ।
ठिरना -- स० क्रि० दे० ( हि० टिर) जाड़े से ठिठुरना । अ० क्रि० बहुत सरदी पड़ना । ठिलना- - अ० क्रि० दे० ( हि० टेलना ) ठेला या ढकेला जाना, घुसना, धँसना । ठिलाठिल | - क्रि० वि० दे० ( हि० ठिलना )
ठिर - संज्ञा, स्त्रो० दे० (सं० स्थिर) कड़ा जाड़ा ठीकेदार– संज्ञा पु० दे० ( हि० ठीका + फा० या सरदी | दार ) ठीका लेने वाला, ठीकेदार । ठीलना |- स० क्रि० दे० ( हि० टलना ) किसी को धक्का दे आगे बढ़ाना, ढकेलना, रेलपेल करना, ठेलना (दे० ) | ठीवन - संज्ञा पु० दे० (सं० ष्टीवन ) थूक,
खकार ।
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