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जीला
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जीवात्मा जीला*-वि० दे० (सं० झिल्ली) झीना, + हि. बूटी ) मरे हुए को जिलाने पतला, महीन । संज्ञा, पु० (दे०) ज़िला। वाली एक पौधा या बूटी, संजीवन मूरि, स्त्री. जील्ली।
संजीवनी। जीवंत-वि. (सं०) जीता-जागता। जीवनमूरि-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० जीवन जीवंती-संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक लता जिसकी +मूल ) जीवनबूटी, पत्यन्त प्रिय वस्तु । पत्तियाँ औषधि के काम में आती हैं। अमियमूरि (दे०)। मीठे मकरंद वाले फूलों की एक लता। जीवना- अ. क्रि० (दे०) जीना। बढ़िया पीली हड़, बाँदा, गुडूची। जीवनी-- संज्ञा, स्त्री० ( जीवन -- ई-प्रत्य०) जीव-संज्ञा, पु. (सं०) प्राणियों का चेतन | जीवन भर का वृत्तान्त, जीवन-चरित्र । तस्व, जीवात्मा. श्रारमा, प्राण, जीवन तस्व, |
जीवनोपाय-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जीविका, जान, प्राणी, जीवधारी, स्वामी, राजा ।
रोज़ी, रोज़गार। "कहि जय जीव दूत सिर नाये"-रामा।| जीवनोषधि-संज्ञा, पु० (सं०) जिस औषधि यौ०-जीवजन्तु-जानवर, प्राणी. कीड़ा
से मरे हुये भी जी जाते हैं, जीवन रक्षामकोड़ा । " जीव-जंतु जे गगन उड़ाही" कारी, जीवनोपाय, उपजीविका। -रामा०।
जीवन्मुक्त-- वि० यौ० (सं०) जो जीवित जीवक-संज्ञा, पु. (सं०) प्राण धारण करने | दशा में ही श्रात्म-ज्ञान-द्वारा साँसारिक वाला, क्षपणक, सँपेरा, सेवक, व्याज से | माया-बंधन से छूट गया हो। जीविका चलाने वाला, सूदखोर, पीतशाल जीवन्मृत--वि• यौ० (सं०) जिसका जीवन वृक्ष, अपवर्ग के अन्तर्गत एक जड़ो या सार्थक या सुखमय न हो, दुखद जीवन पौधा, पेड़।
वाला, दुखिया। जीवखानि- संज्ञा, पु. (सं.) परमात्मा। | जीव-मंदिर--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शरीर। जीवट-संज्ञा, पु० दे० (सं० जीवथ ) हृदय | जीवयोनि--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) जीव, की दृढ़ता, जिगरा, साहस ।
जन्तु । " लख चौरासी जीवयोनि में भटकत जीवदान- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अपने वश |
फिरत अनाहक "-वि.।। में आये हुये शत्रु या अपराधी को न मारने | जीवरा-8 संज्ञा, पु. ( हि० जीव ) जीव। का कार्य, प्राणदान।
जीवरि- संज्ञा, पु० (सं० जीव या जीवन ) जीवधारी-संज्ञा, पु० (सं०) प्राणी, जानवर। जीवन-संज्ञा, पु. (सं०) ( वि० जीवित )
जीवलोक--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जीवों का जन्म और मृत्यु के बीच का काल, ज़िन्दगी,
लोक, भूमि, ज़मीन । जीवित रहने का भाव, जीवित रखने वाली जीवहत्या- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) जानवरों वस्तु, परमप्रिय, जीविका, पानी, वायु । या जीवों का मारना । जीवन-चरित्र-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) जीवन जीवहिंसा--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) जीवों में किये हये कार्यों श्रादि का वर्णन, ज़िन्दगी का सताना, जीवों का मार डालना। का हाल । जीवन-वृत्त- यौ० (सं.)। जीवा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) धनुष की डोरी, जीवनधन-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) सब से पृथ्वी, जीवन । प्रिय व्यक्ति या वस्तु, प्राण-प्रिय । जीवात्मा-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) परमारमा जीवनबूटी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० जीवन | से भिन्न, जीव ।
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