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जानकार ७२५
जानी तत्व, अच्छा या सुन्दर करने वाली वस्तु, जानमनि--संज्ञा, पु. यौ० दे० (हि. जान + शोभा बढ़ाने वाली वस्तु । मुहा०—जान मणि ) ज्ञानिया में श्रेष्ठ, ज्ञानमणि । पाना- शोभा बढ़ना : जान में जान जानराय--संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि. जान + आना-धैर्य या ढाढ़स होना, सान्त्वना राय) जानकारों में श्रेष्ठ, बड़ा बुद्धिमान । प्राप्त होना।
जानवर-संज्ञा, पु० ( फा० ) प्राणी, जीव, जानकार---वि. ( हि० जानना+कार- पशु, जंतु । प्रत्य० ) जाननेवाला, अगिज्ञ, विज्ञ, चतुर । | जानहार - वि० दे० ( हि० जाना-- हारसंज्ञा, जानकारी।
प्रत्य० ) जाने वाला. जनैया ( दे० ) गमनजानकी--संज्ञा, स्त्री. (सं०) जनक पुत्री,
शील । सीता। " तब जानकी सासु पग लागी"
जान* -- भव्य० दे० (हि० जानना) मानो, - रामा।
जानौ, जनु । विधि० स० वि० “जीव चराजानकी जानि----संज्ञा, पु० यौ० (सं०) राम
चर में सब जानहु" --रामा । चन्द्र । " लखन-जानकी-सहित उर. बसहु
जाना ० क्रि० दे० (सं० यान) एक जानकी-जानि"---रामा० ।
स्थान से दूसरे स्थान पर प्राप्त होने के लिये जानकी-जीवन - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) राम
गति में होना, गमन करना. बढ़ना, हटना, चन्द्र जी । “ जानकी जीवन की बलि
प्रस्थान करना कि० वि०-जाना हुआ, जैहौं',-विनय ।
( हि० जानना )। मुहा०-जाने दोजानकीनाथ----संज्ञा, पु. (सं०) रामचन्द्र जी,
क्षमा करो, माफ़ करो चर्चा या प्रसंग जानकीश, जानकी-पति ।
छोड़ो । किसी बात पर जाना- किसी जादार- वि० ( फा० ) जिसमें जान हो, |
बात के अनुसार कुछ अनुमान या निश्चय सजीव, जीवधारी।
करना. तदनुकूल चलना या करना । अलग जाननहार-संज्ञा, पु० (दे०) जानने वाला। या दूर होना हाथ या अधिकार से निक
"जानि लेय जो जाननहारा"---रामा० ।। लना, हानि होना, खो जाना गुम हो जाना, जानमा- स० क्रि० दे० (सं० ज्ञान ) ज्ञान | बीतना, गुज़रना नष्ट होना। मुहा० --- प्राप्त करना, अभिज्ञ या परिचित होना, गया घर-दुर्दशा प्राप्त घराना । गयामालूम करना, सूचना पाना, खबर रखना, बीता-दुर्दशा प्राप्त. निकृष्ट । बहना, जारी अनुमान करना, सोचना ।
होना। --स० क्रि० दे० (सं० जनन ) जानपद---संज्ञा, पु० (सं०) जनपद सम्बन्धी उत्पन्न या पैदा करना. जन्म देना । वस्तु, जनपद का निवासी, लोक, मनुष्य, जानि-संज्ञा, स्त्री. (सं०) स्त्री, भार्या । देश, लगान ।
पू० का स० क्रि० समझ कर । जानपना- संज्ञा, पु. ( हि जान - पन- जानी-वि. ( फ़ा० ) जान से सम्बन्ध रखने प्रत्य० ) बुद्धिमत्ता, चतुराई। स्त्री० जान- वाली । यौ० -- जानी दुश्मन- जान पनी । “ दमदानदया नहिं जानपनी" लेने को तैयार दुश्मन । जाली दोस्त-रामा० ।
दिली दोस्त, पूर्ण मित्र । संज्ञा, स्त्री० ( फा० जान पहचान-संज्ञा, पु० यौ० (हि० जान + जान ) प्राणधारी । स० क्रि० (हि. जानना) पहचान ) चिन्हार परिचित । जाना-पहि- जान ली समझ ली “हम जानी तुम्हारि चाना (दे०) जाना माना।
मनुजाई "- रामा०।
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