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जलपाटल
७१८
जलाना
जल के पास पास या समीप रहने वाले उत्सव, समारोह जिसमें खाना-पीना, पक्षी, जल-खग।
गाना-बजाना हो, सभा, समिति श्रादि का जलपाटल-संज्ञा, पु० यौ० (हि० जल+ बड़ा अधिवेशन, बैठक । पटल) काजल ।
जलसेना-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) समुद्र में जलपान- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) थोड़ा और | ___ जहाज़ों पर लड़ने वाली सेना। हलका भोजन, कलेवा, नाश्ता। | जलस्तंभ-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) दैवयोग से जलपीपल-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं० जल+ जलाशयों या समुद्र पर दिखाई देने वाला पिप्पली) पीपल जैसी एक औषधि । । एक स्तंभ, मंत्रादि के द्वारा जल-गति के जलप्रपात- संज्ञा, पु. यौ० (स०) नदी अवरोध की विद्या, (दुर्योधन जानता था)।
आदि का ऊँचे पहाड़ से गिरना, झरना।। पानी बाँधना, जलस्तभन । जलप्रवाह-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पानी का जलहर--संज्ञा, पु० (दे०) जलाशय, जलाहल,
बहाव, नदी में बहा देने की क्रिया। तालाब । “जीवजंतु जलहर बसैं"-क० । जलप्लावन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पानी की जलहरण-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) बत्तीस
बाढ़, एक प्रकार का प्रलय ।-वि० जल- | अक्षरों की एक वर्णवत्ति या दंडक छंद । प्लावित।
जलहरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० जलधरी ) जल-बुझना, जल-भुनना-अ० क्रि० यौ० शिवलिंग का अर्घा, शिव मूर्ति के ऊपर टाँगने (हि.) क्रोध से अधीर होना, प्रतीकार न का मिट्टी का सछिद्र नलघट । कर सकने से अति दुखी होना। जलांजलि-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) प्रेतादि जलबंत-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० जलवेत्र) | के लिये अंजुली में भरकर जल देना।।
जलाशयों के समीप होने वाला बेंत । जलाक-संज्ञा, स्त्री० (दे०) लू, गर्म हवा । जलभंवरा-संज्ञा, पु० यौ० (हि.) एक | "कहै पदमाकर त्यों जेठ की जलाकै तहाँ"। काला कीड़ा, जो पानी पर शीघ्रता से जलाजल-संज्ञा, पु० दे० (हि० झलझल ) दौड़ता है, भौंतुवा ( प्रान्ती०)। गोटे श्रादि की झालर, झलाझल, जलाहल, जलभृत-संज्ञा, पु० (सं०) बादल । (दे०)। वि. जलमय । "सिंधु ते हहैं जलमानुष--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) एक जल- जलाजल सारे"- तोष । जंतु जिसकी नाभी के ऊपर का भाग मनुष्य जलातंक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जलत्रास । का सा और नीचे का मछली का सा होता | जलातन-वि० दे० यौ० (हि. जलना+ है। ( स्त्री० जलमानुषी)
तन ) क्रोधी, बदमिज़ाज, ईर्ष्यालु, डाही। जलयान-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जल पर की जलाधार--- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पुष्करणी, सवारी, नाव, जहाज़ ।
वापी, तड़ाग, जलाशय । जलराशि- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) समुद्र, जलाधिप-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) वरुण, जल का समूह ।
जलाधिपति. जलेश । जलवर्त- संज्ञा, पु० (दे०) जलावर्त, भँवर । जलाधीश-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वरुण । जलवाना-स० क्रि० (हि. जलाना ) जलाने जलाना-स० क्रि० दे० (हि. जलना)
का काम दूसरे से कराना, जलाना। अग्नि-संयोग से अङ्गारे या लपक के रूप में जलशायी-संज्ञा, पु० यौ० (सं० जलशायिन) कर देना, किसी पदार्थ को आँच से भान विष्णु, जल पर सोने वाला।
या कोयले श्रादि के रूप में करना, आँच जलसा-संज्ञा, पु० (अ) आनन्द या | से विकृति या पीड़ित करना, प्रज्वलित या
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