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जरा
जलचादर जरा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) बुढ़ापा। | जर्जरी- संज्ञा, स्त्री० (सं०) नीर्ण, बेकाम, जरा-वि०, क्रि० वि० (अ० ज़र्रा) थोड़ा, 'देहे जर्जरी भूते रोगग्रस्ते कलेवरे"- स्फु०। कम, न्यून ।
| जर्द-वि० (फा०) पीला, पीत । संज्ञा, स्त्री० जराग्रस्त-वि० यौ० (सं०) बुड्ढा, वृद्ध, (फा०) जर्दी-पीलापन।
यौ० । जराजीर्ण बुढ़ाई से गलित । जरी- संज्ञा, पु. (प.) अणु, परमाणु, जरातुर - वि० यौ० (सं०) जीर्ण, दुर्बल, बूढ़ा। बहुत छोटा टुकड़ा या खण्ड, कण । जरायु-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) वह झिल्ली जर्राह--संज्ञा, पु. (अ.) फोड़ों आदि को जिसमें बँधा हुआ बच्चा उत्पन्न होता है। चीड़कर चिकित्सा करने वाला, शस्त्रगर्भवेष्टन, गर्भाशय, आँवल (प्रान्ती०)। । चिकित्सक। संज्ञा, स्त्री० जर्राही । जरायुज-संज्ञा, पु. (सं०) वह प्राणी जो जलंधर--संज्ञा, पु० (सं०) एक राक्षस जिस
जरायु सहित उत्पन्न हो, पिंडज-भेद। की स्त्री तुलसी अति पतिव्रता और सुन्दरी जराव -वि० (दे०) जड़ाऊ, जड़ाव। थी, भगवान ने इसे मारा और तुलसी को जरावस्था-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) वृक्षा- अपनी भक्ति दी। संज्ञा, पु० (दे०) जलोदर। वस्था, जीर्णावस्था, बुढ़ाई, बुढ़ापा। जल-संज्ञा, पु० (सं०) पानी, उशीर, खस, जरासंध-संज्ञा, पु. (सं० जरा = राक्षसो+ एक नक्षत्र संध =जोड़ा ) मगधदेश का एक प्राचीन जलअलि-संज्ञा, पु. यौ० (सं• जल+ प्रसिद्ध राजा।
अलि ) एक काला कीड़ा जो पानी पर तैरा जरिया --संज्ञा, पु० (दे०) जड़िया।
करता है, पैरौवा, भौंतुका ( प्रान्ती०)। ज़रिया- संज्ञा, पु० (अ.) सम्बन्ध, लगाव,
जलकर--संज्ञा, पु. यौ० (हि. जल+ द्वारा, हेतु, कारण, सबब ।
कर ) जलाशयों या तालाबों में होने वाले जरी-संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) बादले से बुना पदार्थ, जैसे मछली, सिंघाड़ा आदि, उन पर ताश, कपड़ा, सोने के तारों श्रादि से महसूल या लगान, पानी को बनाने वाली बुना हुश्रा काम।
वायु (अं० हैड्रोजन)। जरीब-संज्ञा, स्त्री० (फा० ) भूमिनापने की |
जल-क्रीड़ा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) वह
क्रीड़ा जो जलाशय में की जाय, जल-बिहार। जंजीर। जरीवाना-संज्ञा, पु० (दे०) जुरमाना।
जलखावा-संज्ञा, पु० यौ० (दे०) जलपान,
किलों के चारों ओर की खाँई। जरूर-क्रि० वि० (प्र०) अवश्य, निःसंदेह,
जलघड़ी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि० जल+ जरूर (दे०)।
घड़ी ) समय जानने का प्राचीन यंत्र जिसमें जरूरत-संज्ञा, स्त्री० (०) आवश्यकता,
नौद में भरे जल के ऊपर एक महीन छेद प्रयोजन।
की कटोरी पड़ी रहती थी जो घंटे भर में जरूरी-वि० (फा० ) जिसके बिना काम | जल से भर कर डूबती थी। जलघरिया न चले, प्रयोजनीय, पावश्यक ।
(दे०)। जरौटी*-वि० दे० (हि. जड़ना) जड़ाऊ। जलचर-संज्ञा, पु० (सं०) पानी में रहने जर्क बर्क-- वि० यौ० (फ़ा० ) तड़क-भड़क वाले जंतु, जैसे मछली श्रादि । (स्त्री० जल
वाला, भड़कीला, चमकीला, उज्वल,स्वच्छ। चरी, जलचारी (स.) । “जलचर थलचर जर्जर-वि० (सं०) जीर्ण, पुराना होने से | नभचर नाना".--रामा०। बेकाम, टूटा-फूटा, खण्डित, वृद्ध, बूढ़ा। जलचादर-संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि. जल+
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