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गदह-पन ५५७
गधा जिसमें मनुष्य को अनुभव कम रहता है, | न हो, अधपका । मोटा गद्दा, गदरा (दे०) अनुभव-शून्य बात या काम ।
क्रि० अ० गदराना-अधपका होना। गदह-पन-संज्ञा, पु. ( हि. गदहा-+-पन | गद्दा-संज्ञा, पु० (हि. गद से अनु० ) रुई प्रत्य०) मूर्खता, बेवकूफ़ी।
आदि से भरा बहुत मोटा और गुलगुल गदह-पुरना - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० गदह = बिछौना, भारी तोषक, गदेला, रुई आदि रोग+पुनर्नवा ) पुनर्नवा नामी पौधा, गदा मुलायम वस्तु से भरा बोझा, किसी पुन्ना ( ग्रामी.)
मुलायम वस्तु की भार गदहा - संज्ञा, पु० (सं० ) रोग हरने वाला, गद्दी-संज्ञा, स्त्री. ( हि० गद्दा का स्त्री०
वैद्य. चिकित्सिक, भिषम् । संज्ञा, पु० दे० और अल्प० ) छोटा गद्दा, वह वस्त्र जो (सं० गर्दभ ) ( स्त्री० गदही ) गधा, गर्धप घोड़े, ऊंट आदि की पीठ पर ज़ीन आदि (सं० ) स्त्री० गधी।
के रखने के पहिले डाला जाता है। मुहा० गदहे पर चढ़ाना-बहुत बेइज्जत व्यापारी आदि के बैठने का स्थान । राजा या बदनाम करना । गदहे का हल
का सिंहासन, किसी बड़े अधिकारी का पद, चलना-बिलकुल उजड़ जाना, बरबाद महन्त आदि का पद । हाथ या पैर के तल हो जाना । वि०-मूर्ख, नासमझ, नादान, | का मांस-भरा भाग। बेवकूफ़ ।
मु०-गद्दी पर बैठना-सिंहासन पर बैठना गदा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) प्राचीन हथियार या उत्तराधिकारी होना। किसी राज-वंश की जिसमें दण्ड़े के सिरे पर एक बड़ा लट्ट पीढ़ी या प्राचार्य की शिष्य-परम्परा । रहता है, यह भगवान विष्णु, हनुमान, और | हाथ वा पैर की हथेली (गदेरी, गदोरी. भीम का मुख्य अस्त्र है । संज्ञा पु० ( फा०) प्रान्ती. ) । मु० - गद्दी जगना-वंश फ़कीर, भीख माँगने वाला, दरिद्र । या शिष्य-परम्परा का चला जाना, गद्दी गदाई-वि० (फा० गद - फकीर + ई प्रत्य०) जगाना-परम्परा का कायम रखना । गदा का काम, तुच्छ, नीचे, ग़रीबी, रद्दी। । गद्दी आबाद रहना-वंश वा राजभीख माँगना, दरिद्रता।
सिंहासन या शिष्य परम्परा का बराबर गदाधर-संज्ञा, पु० (सं०) विष्णु भगवान् । जारी रहना। गदेरी, गदोरी-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) गद्दीनशीन -- वि० (हि. गद्दी+ नशीनहथेली, कर-तल (सं०)।
फा० ) गद्दी या सिंहासन पर बैठना, जिसे गदेला-संज्ञा, पु० (दे०) तोषक, बालक, राज्याधिकार मिला हो, उत्तराधिकारी । बच्चा । ( स्त्री०) गदेली।
संज्ञा, स्त्री० गही नशीनी। गदगदु-वि० (सं०) बहुत हर्ष, प्रेम, गद्य-संज्ञा, पु० (सं० ) वह लेख जिसमें श्रद्धा श्रादि के श्रावेग से पूर्ण, अधिक प्रेम, मात्रा और वर्ण की संख्या, गति, स्थानादि हर्ष आदि के कारण रुका हुआ, अस्पष्ट वा का कोई नियम न हो परन्तु शब्दों का असम्बद्ध, प्रसन्न, खुश । गदगद (दे०)। क्रम व्याकरणानुसार ठीक रहे। वार्तिक, गद्द-संज्ञा, पु० (अनु०) नम्र स्थान पर वाचनिका. पद्य का विलोम । यौ० गद्यकिसी वस्तु के गिरने का शब्द, किसी काव्य-काव्य-गुण पूर्ण गद्य, उपन्यास, गरिष्ठ या शीघ्र न पचने वाली वस्तु के कथादि। कारण पेट का भारीपन ।
गधा-संज्ञा, पु० (दे० ) “गदहा, गर्धप गद्दर-वि० (दे० ) जो भली भाँति पका । (सं.)। स्त्री० गधी ।
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