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चेल्हवा
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.... चौधर चेल्हवा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० चिल मछली)। चैत्ररथ-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) कुबेर के एक छोटी मछली।
बाग का नाम । चेष्टा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) शरीर के अंगों | चैद्य-संज्ञा, पु० (सं०) चेदि देश का राजा, की गति, या अवस्था जिससे मन का भाव शिशुपाल । प्रगट हो, उद्योग, प्रयत्न, कार्य, श्रम, चैन-संज्ञा, पु० दे० (सं० शयन ) पाराम, इच्छा, कामना।
सुख । “ रैन-दिन चैन है न सैन इहि चेहरा-संज्ञा, पु० (फा०) सिर का अगला उहिम मैं"- रत्ना० । मु०-चैन उड़ाना भाग जिसमें मुख, आँख, नाक श्रादि रहते | -आनन्द करना । चैन पड़ना-शान्ति हैं. मुखड़ा । (दे०) यौ०-चेहराशाही- या सुख मिलना । वह रुपया जिस पर किसी बादशाह का चैल-संज्ञा, पु० (सं० ) कपड़ा, वस्त्र । चेहरा बना हो, प्रचलित रुपया । मुहा०- चैला-संज्ञा, पु० दे० ( हि. छीलना) चेहरा उतरना---लज्जा, शोक, चिन्ता, कुल्हाड़ी से चीरो हुई जलाने की लकड़ी या रोग आदि के कारण चेहरे के तेज का ___ का टुकड़ा। नाता रहना। चेहरा होना--फ़ौज में चोक—संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० चोख ) वह नाम लिखा जाना । किसी चीज़ का अगला | चिन्ह जो चबन में दाँत लगने से पड़ता है। भाग, प्रागा (दे०)। देवता, दानव, चोंगला-संज्ञा, पु० (दे०) बाँस, कागज या या पशु आदि की आकृति का वह साँचा टीन की नली जिसमें कागज़, पुस्तकें आदि जो लीला या स्वाँग आदि में चेहरे के उपर | रक्खी जाती हैं। पहना या बाँधा जाता है।
| चेांगा-संज्ञा, पु. ( ? ) कोई वस्तु रखने के चै* --संज्ञा, पु० ( दे० ) चय।
लिये खोखली नली, काग़ज़, टीन बाँस चैत-संज्ञा, पु० दे० (सं० चैत्र ) फागुन के आदि की बनी हुई नली । वि० खोखला, बाद और बैसाख के पहले का महीना, चैत्र। मूर्ख, मूढ ।। चैतन्य-संज्ञा, पु. ( सं० ) चित्स्वरूप चोंधना* स० क्रि० (दे०) चुगना। श्रात्मा या जीव, ज्ञान, बोध, चेतन, चेांच-संज्ञा, स्वी० दे० (सं० चंचु) पतियों ब्रह्म, परमेश्वर , प्रकृति , एक प्रसिद्ध के मुख का निकला हुआ अग्र भाग, टोंट, बंगाली महात्मा, गौरांग प्रभु।
तुंड, ( व्यंग०) । मुहा०—दो दो चचें चैती-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० चैत+ई प्रत्य०)। होना-कहा-सुनी या कुछ लड़ाई-झगड़ा वह फ़सल जो चैत में काटी जाय, रबी, होना । वि० मूख । चैत का गाना, चैत सम्बन्धी।
चांडा-- संज्ञा, पु० दे० (सं० चूड़ा) चैत्य-संज्ञा, पु० ( सं० ) मकान, घर. स्त्रियों के सिर के बाल, झोंटा। संज्ञा, पु० भवन, मंदिर , देवालय , यज्ञशाला , | (सं० चुंडा = छोटा कुआँ ) सिंचाई के लिये गाँव में वह पेड़ जिसके नीचे ग्राम-देवता छोटा कुना। की बेदी या चबूतरा हो, किसी देवी-देवता | चेथि---संज्ञा, पु० दे० ( अनु० ) एक बार के का चबूतरा, बुद्ध की मूर्ति, अश्वत्थ का . गिरे गोबर का ढेर। पेड़, बौद्ध सन्यासी या भिन्तुक, भितु-मठ, चेथिना-स० कि० ( अनु० ) किसी वस्तु बिहार, चिता।
में से उसका कुछ भाग बुरी तरह नोचना। चैत्र-संज्ञा, पु० (सं०) सम्वत् का प्रथम मास चेधिर-वि० दे० (हि० चैाधियाना ) जिस चैत, बौद्ध भिक्षु, यज्ञ-भूमि, देवालय। की आँखें बहुत छोटी हों, मूर्ख ।
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