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छान
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छायादान छान-संज्ञा स्त्री० दे० (सं० छादन ) छप्पर, उसके खुदे या उभरे हुये चिन्हों को चिन्हित
छानी । यो०-द्वान बीन-खोज । करना ठप्पे से निशान डालना, मुद्रित या छानना–स० कि० दे० (सं० चालन, क्षरण) अंकित करना, काग़ज़ प्रादि को छापे की चूर्ण या तरल पदार्थ को महीन कपड़े या कल में दबाकर उस पर अक्षर या चित्र
और किसी छेददार वस्तु के पार निकालना अंकित करना । (दे०) गिरी हुई दीवाल जिससे उसका कूड़ा-करकट निकल जाय ।। | पर मिट्टी चढ़ाना, घेर या दबा लेना। छाँटना, बिलगाना, अलगाना, जाँचना छापा-संज्ञा पु० दे० (हि. छापना ) साँचा ढंदना, अनुसंधान करना, भेद कर पार जिस पर गीली स्याही आदि पोत कर करना, नशा पीना। स० क्रि० (दे०) छादना। उसके खुदे चिन्हों को किसी वस्तु पर उताछान-बीन-संज्ञा स्त्री० यौ० (हि० छानना+ रते हैं। ठप्पा, मुहर, मुद्रा, ठप्पे या मुहर से बीनना) पूर्ण अनुसंधान या अन्वेषण, जाँच- उतारे चिन्ह या अक्षर, शुभ अवापरों पर पड़ताल, गहरी खोज, पूर्ण विवेचना, विस्तृत हलदी श्रादि से छापा गया ( दीवार, कपड़े विचार, गहन गवेषणा।
श्रादि पर ) कर चिन्ह, रात में बेख़बर लोगों छाना - स० क्रि० दे० (सं० वादन ) किसी पर आक्रमण, हमला । मुहा॰—छापा वस्तु पर दूसरों का फैलाना कि वह पूरी ढक मारना-हमला करना। जाय, पाच्छादित करना, पानी, धूप आदि छापाखाना-- संज्ञा पु० यौ० ( हि० कापा-+ से बचाव के लिये किसी स्थान के ऊपर कोई फा० खाना) पुस्तकादि छापने का स्थान, वस्तु तानना या फैलाना, बिछाना, फैलाना मुद्रालय, प्रेस ( अं० ) शरण में लेना। अ० कि. (दे० ) फैलना, छार-वि० (दे० ) नाम । पसरना, बिछ जाना, घेरना, डेरा डालना, कामादरी* --- वि० स्त्री० यौ० (दे०)क्षामोदरी। रहना ..." रहो प्रेम-पुर छाय"... तु०। छायल-संज्ञा पु० (दे० ) एक ज़नाना पह छानि-छानी--- संज्ञा स्त्री० दे० ( सं० छादन ) नावा ।..." छायल बंद लाए गुजराती" घास-फूस का छाजन, छप्पर । " कलि में | -५०।। नामा प्रगटियो ताकी छानि छवावै''-सूर० । छाया-संज्ञा स्त्री. ( सं० ) उजाला रोकने " विधि भाल लिखी जुपै टूटियै छानी" वाली वस्तु के पड़ जाने से उत्पन्न अंधकार या -नरो।
कालिमा, साया, भाड़ या आच्छादन के छाप-संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० छापना ) छापने कारण धूप, मेह आदि का प्रभाव, स्थान का चिन्ह, मुहर का चिन्ह, मुद्रा, शंख-चक्र जहाँ श्राड़ के कारण किसी आलोकप्रद वस्तु श्रादि के चिन्ह जिन्हें वैष्णव अपने अंगों का उजाला न हो, परछाई, प्रतिबिम्ब, पर गरम धातु से अंकित कराते हैं, मुद्रा, अक्स, तप वस्तु, प्रतिकृति, अनुहार, वह अँगूठी जिसमें अक्षर श्रादि खुदे हों, पटतर, अनुकरण, सूर्य की एक पली, कवियों का उपनाम । मुहा० छाप कांति, दीप्ति शरण, रक्षा, अंधकार, प्रभाव, हाना-प्रभाव होना । छाप लगाना -.. श्रा- छंद का एक भेद, भूत प्रेत का विशेषता या प्रभाव लाना । छाप रखना भाव । क्रि० वि० ( हि० छाना ) घिरा । प्रभाव या उपनाम रखना ।
छायात्राहिणी --संज्ञा स्त्री० यौ० (सं० ) छापना-स० कि० दे० (सं० चपन ) स्याही समुद्र फांदते हुये हनुमान जी को छाया
आदि लगी वस्तु को दूसरी पर रखकर उसकी पकड़ खींचने वाली राक्षसी । प्राकृति उतारना, किसी साँचे को दबाकर छायादान--संज्ञा पु० यौ० (सं० ) घी या
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