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चौहरा
छक चौहरा-वि० दे० (हि० चौ --चार - हरा) च्यवनप्राश-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) एक जिसमें चार फेरे या तहें हों, चार परत- प्रसिद्ध पौष्टिक अवलेह (वैद्य०)। वाला। चौगुना, जो चार वार हो। च्युत-वि० ( सं० ) गिरा या झड़ा हुआ, चौहान--संज्ञा, पु० ( दे० ) क्षत्रियों की एक भ्रष्ट, अपने स्थान से हटा हुआ, विमुख, प्रसिद्ध शाखा।
परांमुख । संज्ञा, पु० च्युतक, यथा-मात्रा चों हैं-क्रि० वि० दे० (हि. ची ) चारों । च्युतक, वर्ण च्युतक।
ओर। संज्ञा, स्त्री० चौह चउँ हैं (दे०) जबड़ा। च्युति --- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) गिरना, झड़ना, च्यवन - संज्ञा, पु. ( सं० ) चूना, झरना, गति उपयुक्त स्थान से हटना, चूक, भूल, टपकना, एक ऋषि का नाम ।
कर्तव्य-विमुखता।
स्थान तालु है।
ई-हिन्दी या संस्कृत की वर्णमाला में ईद- संज्ञा, पु० (सं० छंदस) वेदों के वाक्यों चवर्ग का दूसरा अक्षर, जिसका उच्चारण का वह भेद जो अक्षरों की गणना के अनु
सार किया गया है, वेद-वाक्य, जिसमें वर्ण छंग -- संज्ञा, पु० (दे० ) उछंग । या मात्राओं की गणना के अनुसार विराम छगा-छंगू-वि• 'पु. (दे०) छः अँगु- ! आदि का नियम हो, पद्य, वर्ण या मात्रा लियों वाला।
की गणना के अनुसार पद या वाक्य वगुनिया-उँगुली--संज्ञा, स्त्री० (दे०) रखने की व्यवस्था, पद्य बन्ध, छंदों के कनिष्टका, हाथ या पाँव की सब से छोटी लक्षणादि की विद्या, इच्छा, स्वेच्छाअँगुली।
चार, बन्धन, गाँठ, जाल, संघात, समूह, उँछौरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० छाछ - वरी) कपट । “छंद-प्रबन्ध अनेक बिधाना''एक पकवान जो छाँछ में बनाया जाता है। रामा० । यौ०-- छलछंद-कपट, धोखेटना-प्र. क्रि० दे० (सं० चटन ) कट बाज़ी, चाल, युक्ति, रंग-ढंग, आकार, चेष्टा, कर अलग होना, दूर या छिन्न होना, पृथक अभिप्राय। संज्ञा, पु० दे० (सं० छंदक) हाथ होना, चुन कर अलग कर लिया जाना । | का एक गहना। मुहा०-Jटा हुआ---चुना हुआ, चालाक, छन्दोबद्ध-वि० यौ० (सं० ) श्लोक-बद्ध, चतुर, धूर्त । साफ होना, मैल निकलना,
जो पद्म के रूप में हो। क्षीण या दुबला होना। रवाना--स० कि० दे० ( हि. छांटना
वंदोभंग संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) छंद
द का प्रे० रूप) करवाना, चुनवाना, छिलवाना।
रचना का एक दोष जो मात्रा, वर्णादि के ईंटाई-संज्ञा. स्त्री० दे० (हि. छाँटना )
नियम के न पालन से होता है। छाँटने का काम, भाव, मजदूरी। छः - वि० दे० ( सं० षट् प्रा० छ) पाँच से उड़ना-स० क्रि० दे० (हि. छोड़ना )। एक अधिक । संज्ञा, पु. पाँच से एक अधिक छोड़ना, स्यागना, अन्न को श्रोखली में डाल की संख्या, इसका सूचक अंक, छ । कर कूटना, छाँटना, चरना (ग्रा०) काँड़ना। छ-संज्ञा, पु० (सं०) काटना, ढाँकना, उड़ाना* ----स० कि० दे० ( हि० छुड़ाना) आच्छादन, खंड, टुकड़ा घर।। छीनना, छुड़ा ले जाना।
छक-संज्ञा, स्त्री० (दे०) लालसा, अभिलाषा,
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