________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-
-
गिरनार
गिरिधारन फालिज गिरना, सहसा उपस्थित या प्राप्त गिरही*-संज्ञा, पु० (दे०) गृही (सं०) होना, युद्ध में मारा जाना।
गृहस्थ, गिरस्त (ग्रा.)। गिरनार-संज्ञा, पु. (सं० गिरि + नार = | गिरी–वि० दे० (फा० गरी ) जिसका दाम नगर ) जैनियों का एक तीर्थ जो गुजरात अधिक हो, महँगा, भारी, जो भला न लगे, में जूनागढ़ के निकट एक पर्वत पर है, अप्रिय । संज्ञा, स्त्री० गिरानी, गरानी।
रैवतक पर्वत । ( वि. गिरनारी)। गिरा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) वाणी की शक्ति, गिरपड़ना-अ. कि. (दे० ) फिसल बोलने की ताकत, जिह्वा, ज़बान, बचन,
जाना, कूद या झुक पड़ना, पतित होना। वाणी सरस्वती देवी। “गिरामुखर तन " गिरफ़्त-संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) पकड़ने का | -रामा०, “गढ़ गिरा सुनि"- रामा० ।
भाव, पकड़, दोष के पता लगाने का ढब । गिराना-स. क्रि० (हि. गिरना का स. गिरफ्तार-वि० ( फा० ) जो पकड़ा, कैद | रूप ) अपने स्थान से नीचे डाल देना, पतन किया या बाँधा गया हो, ग्रस्त ।
करना, खड़ा न रहने देकर पृथ्वी पर डाल गिरफ़्तारी-संज्ञा, स्त्री. ( फा० ) गिरफ्तार | देना, अवनति करना, घटाना, किसी जलहोने का भाव, गिरफ्तार होने की क्रिया।
धारा के प्रवाह को ढाल की ओर ले जाना, गिरमिट-संज्ञा, पु० दे० (अं० गिमलेट) लकड़ी शक्ति या स्थिति आदि में कमी कर देना, में छेद करने का बड़ा बरमा। संज्ञा, पु० किसी वस्तु को उसके स्थान से हटा या ( अं० एग्रीमेंट = इकरारनामा ) इकरारनामा, निकाल देना, ऐसा रोगउत्पन्न करना जिसका शर्तनामा, स्वीकृति या प्रतिज्ञा, इकरार।। वेग ऊपर से नीचे को आता हो, सहसा गिरवर-संज्ञा, पु० (दे०) बड़ा पहाड़। उपस्थित करना, लड़ाई में मार डालना। गिरवान*-संज्ञा, पु० (दे०) गीर्वाण । गिरानी-संज्ञा स्त्री० (फा० ) महँगापन, संज्ञा, पु. (फा गरेबान) गले के चारों ओर | महँगी, अकाल, कहत, कमी, गरानी।
का कुरते के धागे का गोल भाग, गला। गिरापति-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ब्रह्मा, गिरवाना–स० कि. (हि० गिराना का प्रे०) सरस्वती के स्वामी।
गिराने का काम दूसरे से कराना। गिरापित-संज्ञा, पु. यो० दे० (सं० गिरा गिरवी-वि० (फा० ) गिरों रखा हुथा, पितृ ) सरस्वती के पिता ब्रह्मा । बंधक, रेहन ।
गिरावट-संज्ञा, स्त्री० ( हि० गिरना ) गिरने गिरवीदार--संज्ञा, पु. (फा० ) वह व्यक्ति की क्रिया, भाव या ढंग। जिसके यहाँ कोई वस्तु गिरों रखी हो। गिरास-संज्ञा, पु० (दे० ) ग्रास (सं० ) गिरह-संज्ञा, स्त्री. (फा०) गाँठ, ग्रंथि कौर, कवल । (सं० ) जेब, कीमा, ग्वरीता, दो पोरों के गिरासना -स० क्रि० ( दे० ) ग्रसना । जोड़ का स्थान, एक गज़ का सोलहवाँ गिरि-संज्ञा, पु. (सं० ) पर्वत, पहाड़, भाग, कलैया, उलटी, कलाबाजी।..."नाते दश संप्रदायों के अन्तर्गत एक प्रकार
की गिरह ताहि नैननि निबेर दै"-द्विजः। के सन्यासी, परिव्राजकों की एक उपाधि । गिरहकट-वि० यौ० ( फ़ा. गिरह = गिरिजा-संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) पार्वती, गाँड+ काटना-हि० ) जेब या गाँठ में बंधे गौरी, गंगा । “सर-समीप गिरिजा-गृह हुए माल को काट लेने वाला, चालाक। सोहा''-रामा०।। गिरहबाज़ -- संज्ञा, पु. ( फा० ) उड़ते हुए गिरिधर-संज्ञा, पु० (सं० ) श्री कृष्ण । उलटी कलैया खाने वाला एक कबूतर। गिरिधारन*-संज्ञा, पु. (दे० ) गिरिधर
For Private and Personal Use Only