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चरु
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चरफराना चरफराना -प्र० कि० (दे०) तड़पना। चराई-संज्ञा स्त्री० (हि. चरना ) चरने का चरब-वि० (फा० चर्व) तेज़, तीखा।। काम, या मज़दूरी। चरबना-संज्ञा पु० (दे०) चबैना। चरावा-संज्ञा पु० (दे०) चरवाहा, चराने चरबाक-चारवाक-वि० दे (सं० चार्वाक ) वाला, एक प्रकार का पती। चतुर, चालाक, शोख, निडर।
चरागाह-संज्ञा, पु. (फा०) पशुओं के वरबा-संज्ञा पु० दे० (फा० चरवः) प्रति
चरने की भूमि, चरनी, चरी। । मूर्ति, नकल, खाका।
चराचर-वि० यौ० (सं० ) चर और अचर, चरबी--संज्ञा स्त्री० (फा० ) प्राणियों के
जड़ और चेतन, स्थावर और जंगम ।
चराना-सं० कि० दे० (हि. चरना का प्रे० देह का सफ़ेद या कुछ पीले रंग का एक
रूप ) पशुओं को चारा खिलाना, बातों में चिकना गादा पदार्थ, पौधों का गाभा, मेद, वसा, पीब । मुहा०-चरबी चढ़ना
बहलाना, चालबाज़ी करना। मोटा होना । चरबी छाना-शरीर में मेव
चरावरा*-संज्ञा स्त्री. (दे०) व्यर्थ की
बात, बकवाद। बढ़ना, मदांध होना। चरम-वि० (सं० ) अंतिम, चोटी का, |
चरिंदा-संज्ञा० पु. ( फा० ) चरने वाला
जीव, पशु, हैवाना। आखिरी, अति उत्कृष्ट । चरमर-संज्ञा पु० दे० (अनु०) तनी या
चरित-संज्ञा पु० (सं०) रहन सहन, पाचरण,
चरित्र, काम, करनी, करतूत, कृत्य, किसी के चीमड़ वस्तु ( जूता, चार पाई ) के दबने
जीवन की घटनाओं या कार्यों का वर्णन, या सिकुड़ने का शब्द ।
जीवन-चरित्र, जीवनी । " राम-चरित कलि चरमराना-अ० कि० दे० ( अनु० ) चरमर शब्द होना । स० कि. चरमर शब्द
कलुष नसावन" रामा० । “ साधु-चरित
सुभ सरिस कपासू"- रामा०। करना।
चरितनायक-संज्ञा पु० यो० (सं०) प्रधान चरवाई -संज्ञा स्त्री० दे० (हि० चराना) चराने
पुरुष जिसका चरित्र लिखा जाय, चरित्रका काम या मजदूरी, चरवाही, (ग्रा० )।
नायक (सं.)। चरवाना-स० कि० (हि. चराना का प्रे०) चरितार्थ-वि० यौ० (सं०) कृतकृत्य, चराने का काम दूसरे से कराना। कृतार्थ, जो ठीक ठीक घटे। चरवाहा-संज्ञा, पु० (हि. चरना+-बाहा = | चरित्तर-संज्ञा पु० दे० (सं० चरित्र) धुर्तता वाहक ) गाय, भैंस, आदि का चराने वाला, की चाल, नखरे बा जी, नकल, चरित्र । चरवैया (दे०)।
चरित्र-संज्ञा पु० (सं० ) स्वभाव, वह जो चरस-चरसा-संज्ञा पु० (सं० चर्म ) भैंस किया जाय, कार्य, करनी, करतूत, चरित या बैल आदि के चमड़े का सींचने को कुएँ (दे०)। यौ० चरित्रनायक। से पानी खींचने का बहुत बड़ा डोल, | चरित्रवान-वि० (सं०) अच्छे चरित्र या नरसा, पुर, मोट, भूमि नापने का एक आचरण वाला। (स्त्री० चरितवती) परिमाण जो २१०० हाथ का होता है। चरी-संज्ञा स्त्री० (सं. चर या हि. चरा) गोचर्म, गाँजे के पेड़ का नशीला गोंद या पशुओं के चराने की ज़मीन, ज्वार के छोटे चेप जिसे चिलम में पीते हैं। संज्ञा पु० हरे पेड़ जो चारे के काम में आते हैं, कड़वी, (फा० चर्ज) आसामी पक्षी (आसाम का ) करबी (ग्रा०)। वनमोर, चीनी मोर।
| चरु-संज्ञा पु० (सं०) हवन या यज्ञ की
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