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चिमूकन
ર
चरण
चमूकन - संज्ञा पु० (दे० ) किलनी (प्रान्ती०) चरई -वरही - - संज्ञा स्त्री० (दे०) जानवरों के पानी पीने का कुंड ।
पशुओं का जुवाँ !
चमेटा - संज्ञा पु० (दे० ) चमड़े की थैली जिसमें नायी अपने रखता है, धतुरों की धार पक्की करने का चमड़े का टुकड़ा । चमेली - संज्ञा स्त्री० दे० ( सं० चंपकवेलि ) श्वेत सुगंधित फूलों की एक झाड़ी या लता, मालती लता |
चमोटी-संज्ञा स्त्री० दे० ( हि०चम + मौटी -प्रत्य० ) चाबुक, कोड़ा, पतली छड़ी, कमची, बेंत, चमेटा |
चौवा - संज्ञा पु० दे० ( हि० चाम ) चमड़े सेसिया भद्दा जूता, चमरौधा ( ग्रा० ) । चम्मच - संज्ञा पु० ( फा० मि०, सं० चमस) एक छोटी हलकी कलछी ।
चय --- संज्ञा पु० (सं० ) समूह, ढेर, राशि | धुस्स, टीला, दह ( ग्रा० ) गढ़, क़िला, चहारदीवारी, प्राकार, बुनियाद, नींव, चबूतरा, चौकी, ऊँचा श्रासन |
चयन - संज्ञा पु० (सं० ) इकट्ठा करने या चुनने का कार्य, संग्रह, संचय, चुनाई, यज्ञार्थ अग्नि-संस्कार, क्रम से लगाना या चुनना । संज्ञा पु० (दे० ) चैन । चर - संज्ञा पु० (सं०) अपने या पराये राज्यों की भीतरी दशा का प्रकट या गुप्त रूप से पता लगाने पर नियुक्त राज-दूत, गूढ़ पुरुष, भेदिया, जासूस विशेष, कार्य्यार्थ भेजा हुधा दूत, क़ासिद, चलने वाला, अनुचर, खेचर | खंजन पक्षी, कौड़ी, कपर्दिका, मंगल, भौम, नदियों के किनारे या संगम के स्थान की गीली भूमि जो नदी से बहा लाई मिट्टी से बने, गीली भूमि, दलदल, नदियों के बीच में बालू का टापू विलो० वि० [अवर । यौ० चराचर स्थावरजंगम | वि० (सं० ) श्रापसे चलने वाला, जंगम, स्थिर, खाने वाला (चर गति भक्षणयोः " )
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चरक-संज्ञा पु० (सं० ) दूत, चर, क़ासिद गुप्तचर, भेदिया, जासूस, वैद्यक विद्या के एक प्रधान श्राचार्य, बटोही, पथिक, मुसाफर, वैद्यक ग्रंथ, चरक संहिता । चरकटा - संज्ञा पु० दे० (हि० चारा + काटना) चारा काट कर लाने वाला आदमी । चरका संज्ञा पु० दे० ( फा० चरकः ) हलका घाव, जखम, गरम धातु से दागने का चिन्ह, हानि, धोखा, छल । चरकी - संज्ञा पु० (दे० ) श्वेत कुष्ट रोगी । चरख - संज्ञा पु० दे० ( फा० चर्ख ) घूमने वाला गोल चक्कर, खराद, सूत कातने का चरखा, कुम्हार का चाक, आकाश, आसमान, गोफन, गोफल, ढेलवाँस, सोप की गाड़ी, लकड़बग्घा, एक शिकारी चिड़िया ।
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चरख पूजा – संज्ञा स्त्री० यौ० दे० (सं० चरक एक वैद्य, तांत्रिक-सम्प्रदाय + पूजा ) चैत की संक्रांति में एक उग्र देवी की पूजा | चरखा
-संज्ञा पु० दे० ( फ़ा० चख ) घूमने वाला गोल चक्कर, चरख, लकड़ी का ऊन, कपासादि से सूत कातने का एक यंत्र, रहट कुयें से पानी निकालने का रहँट, सूत लपेटने की गराड़ी, चरखी, रील, घिरनी ( प्रान्ती० ) बड़ा बेडौल पहिया, नया घोड़ा निकालने की गाड़ी का ढाँचा, खड़खड़िया, झगड़े, बखेड़े या कट का काम । चरखी - संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० चरखा का स्त्री० अल्पा० ) पहिये सी घूमनेवाली वस्तु, छोटा चरखा, कपास थोंटने की चरखी, बेलनी, श्रोटनी, सूत लपेटने की फिरकी, कुयें से पानी खींचने की गराड़ी, घिरनी, (दे० ) श्रतशवाजी का एक खेल । चरगा - संज्ञा पु० ( फा० चरग ) बाज़ की जाति की एक शिकारी चिड़िया, चरख,
लकड़बग्घा ।
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