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चलपत्र
चलितव्य
लो.--" चलनी में गाय दुहै कमैं दोस न भेजे जाने या चलने की क्रिया, अपराधी देय।
का पकड़ा जाकर न्यायार्थ न्यायालय में चलपत्र-संज्ञा, पु. यो० (सं० ) पीपल भेजा जाना, माल का एक स्थान से दूसरे का पेड़, चलदल।
पर भेजा जाना, भेजा या आया हुमा चलपंजी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि.) चलधन, माल, बीजक, सूचनार्थ भेजी हुई वस्तुओं एक स्थान से दूसरे स्थान में ले जाने योग्य | की सूची। धन, जंगम, संपत्ति, जैसे, रुपया पैसा | चलाना–स० कि० ( हि० चलना ) किसी आदि।
को चलने में लगाना या प्रेरित करना, चलफेर- संज्ञा, पु० यौ० (दे० ) धूमधाम गति देना, हिलाना-डुलाना, प्रचलित गमन, गति ।
करना (सिक्का प्रस्तादि) । मुहा०-अपनी चलवाना-स० क्रि० (हि. चलता का प्रे० | ही चलाना-अपनी ही बात कहना । रूप ) चलाने का कार्य दूसरे से कराना। किसी की चलाना-किसी के बारे में चलविचल-वि० यो० (सं० चल + विचल) कुछ कहना । आँख चलाना-आँखें जो ठीक जगह से इधर उधर हो गया
इधर-उधर घुमाना। मुह चलाना-भोजन हो, उखड़ा-पुखड़ा, बे ठिकाने, व्यतिक्रम, करना । जवान चलाना-बकवाद करना, अव्यवस्थित, घबड़ाया हुआ। संज्ञा, स्त्री० । गाली देना । हाथ चलाना-मारने के किसी नियम या क्रम का उल्लंघन ।
लिये हाथ उठाना, मारना, पीटना। काम चलविधरा--संज्ञा, वि० (दे० ) अड़ियल,
चलाना---निर्वाह करना, कार्य निर्वाह में
समर्थ करना, निभाना, प्रवाहित करना, मचलने वाला, कालज्ञ, मौका जानने
बहाना, वृद्धि या उन्नति करना, किसी वाला। चलवैया-संज्ञा, पु० ( हि० चलना ) चलने
कार्य को अग्रसर या प्रारम्भ करना,
छोड़ना, जारी रखना, बराबर काम में या चलाने वाला, चलैया।
लाना, टिकाना, व्यवहार में लाना, लेन-देन चला -- संज्ञा, स्त्री. (सं० ) बिजली, पृथ्वी, |
के काम में लाना, प्रचार करना, व्यवहृत या भूमि, लघमी । “लक्ष्मी चला रहीम कह" ।
प्रयुक्त करना, तीर गोली श्रादि छोड़ना, चलाऊ-वि० दे० (हि. चलना ) जो
किसी चीज़ से मारना। बात चलानाबहुत दिनों तक चले, मज़बूत, टिकाऊ ।
जिक्र करना । संज्ञा, पु० चलावा यात्रा। चलाका-* संज्ञा, स्त्री० (सं० चला ) | चलायमान-वि० (सं०) चलने वाला, बिजली, चालाक।
चञ्चल, विचलित । चलाचल* --- संज्ञा, स्त्री० या० (हि० चलना) | चलावा-संज्ञा, पु० दे० हि० चलना) रीति. चलाचली, गति, चाल । संज्ञा, पु. यौ० रस्म. रिवाज. याचरण ।
रस्म, रिवाज, श्राचरण, चाल-चलन, ( सं० ) जंगम-स्थावर । वि० (सं०) द्विरागमन, गौना, मुकलावा, (ग्रा०) गाँवों चञ्चल, चपल ।
में भयंकर बीमारी के समय किया गया चलावली—संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि० चलना) उतारा (दे०)। चलते समय की घबराहट, धूम या तैयारी, चलित-वि० (सं० ) अस्थिर, चलायमान, रवा-रवी, बहुत से लोगों का प्रस्थान वि० चलता हुआ। (दे० ) जो चलने के लिये तैयार हो। चलितव्य-वि० (सं० ) चलने योग्य, चलान-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० चलना) गमन करने के उपयुक्त ।
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