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चमकी
६४१ चमकी-संज्ञा स्त्री० दे० (हि. चमक )| चमत्कार-संज्ञा पु० (सं.) (वि. कारचोबी में रुपहले या सुनहले तारों के चमत्कारी, चमत्कृत) आश्चर्य, विस्मय, छोटे छोटे गोल चिपटे टुकड़े, सितारे, तारे। आश्चर्य का विषय या विचित्र घटना, कराचमकीला-वि० दे० (हि० चमक+ईला मात, अनूठापन, विचित्रता । प्रत्य०) जिसमें चमक हो, चमकनेवाला, | चमत्कारी-वि० (सं०) (स्त्री० चमत्काभड़कीला, शानदार । (स्त्री० चमकीली)। रिणी) विलक्षण, अद्भुत चमत्कार या चमकौवल-संज्ञा स्त्री० दे० (हि. चमक+ | करामात दिखाने वाला।
औवल-प्रत्य० ) चमकाना या मटकाना। चमत्कृत-वि० (सं०) श्राश्चयित, विस्मित। चमको-संज्ञा स्त्री० दे० (हि. चमकना ) चमत्कृति-संज्ञा स्त्री० (सं०) आश्चर्य । चमकने या मटकने वाली स्त्री, चंचल और चमन-संज्ञा पु० (फा० ) हरी क्यारी, फुलनिर्लज स्त्री, कुलटा या झगड़ालू स्त्री। | वारी, छोटा बगीचा। चमगादड़ चमगादड़-चमगीदुर-संज्ञा पु० चमर-संज्ञा पु० (सं०) (स्त्री० चमरी) दे० (सं० चर्मकटक ) रात में उड़ने वाला |
सुरागाय की पूंछ का बना चँवर, चामर । एक जंतु जिसके चारों पैर परदार होते हैं। चमरख-संज्ञा स्त्री० दे० (हि. चाम+रक्षा) चमचम-संज्ञा स्त्री. (दे०) एक बँगला | मुंज या चमड़े की बनी हुई चकती जिसमें मिठाई। क्रि० वि० (दे०) चमाचम से होकर चरखे का तकला घूमता है। उज्वल, चमकदार।
चमर-शिखा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० चमचमाना-प्र० कि० दे० ( हि० चमक) | चामर-शिखा ) घोड़े की कलगी। चमकना, दमकना । क्रि० वि० चमकाना,
" | चमरौटी-संज्ञा स्त्री० (दे० ) चमारों की चमक लाना । संज्ञा, स्त्री० चमचमाहट।। चमचा-संज्ञा पु० दे० (फा० मि० सं०
बस्ती। चमस ) एक प्रकार की छोटी कलछी, चम्मच
| चमरौधा--संज्ञा पु० (दे०) चमौवा (ग्रा०)
चमारों का। डोई (ग्रा० ) चिमटा, (स्त्री० अल्पा० चमची, चिमची।
चमला-संज्ञा पु० (दे०) ( स्त्री. अल्पा० चमजूई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० चर्ममूल ) |
चमली) भीख मांगने का टोकरा या पात्र । एक किलनी, पीछा न छोड़ने वाली वस्तु । | | चमस-संज्ञा पु० (सं०) (स्त्री. अल्पा. चमड़ा-संज्ञा, पु० दे० (सं० चर्म) प्राणियों | चमसी) सोमपान करने का चम्मच जैसा के सारे शरीर का श्रावरण, चर्म, स्वचा, | यज्ञ-पात्र, कलछा, चम्मच। खाल, जिल्द, चाम ( ग्रा०), छाल, चमाउ-संज्ञा पु० दे० (सं० चामर) चँवर । छिलका । मुहा०-चमड़ा उधेड़ना या चमार-संज्ञा पु. ( सं० चर्मकार ) खींचना-चमड़े को शरीर से अलग करना, | (स्त्रो. चमारिन, चमारी) एक नीच बहुत मार मारना, चमड़ी उखाड़ना। जाति जो चमड़े का काम बनाती है । वि. प्राणियों के मृत शरीर पर से उतारा हुआ | -नीच, दुष्ट । चर्म जिससे जूते, वेग आदि बनते हैं, खाल, चमारी-संज्ञा स्त्री० दे० (हि० चमार) चमार चरसा । मुहा० चमड़ा सिझाना-चमड़े की स्त्री, चमार का काम,बुरा काम, शरारत । को बबूल की छाल, सज्जी नमक आदि के | चमू-संज्ञा स्त्री० (सं.) सेना, फौज जिसमें पानी में डाल कर मुलायम करना । संज्ञा ७२६ हाथी, ७२६ रथ, २१८७ सवार, स्त्री० चमड़ी।
। ३६४५ पैदल हों। भा० श० को.-1
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