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गृही गृही-संज्ञा, पु. (सं० गृहिन ) (स्त्री० गृहिणी) | गेंदुक-संज्ञा, पु० दे० (सं० गेंडुक ) गृहस्थ, गृहस्थाश्रमी, कुटुम्बी। " गृही तकिया, गेंद, निज भुजलता-" गंदुक विरति ज्यों हर्ष-युत" - रामा० ।
खवितानम्"। गृहीत-विपु. (सं० ) पकड़ा हुघा, गेंदौरा-संज्ञा, पु० ( दे०) एक प्रकार की स्वीकृत । " ग्रह-गृहीत पुनि बात-बस" | मिठाई, चीनी की मोटी रोटी। -रामा।
गेय-वि० (सं० ) गाने के योग्य । गृह्य-वि० (सं० ) गृह-सम्बन्धी, गृहस्थों गेया-संज्ञा, पु० (दे०) मिटनी, बोटा, खंड । के कर्तव्य-कर्म, ग्रहण करने योग्य, कर्मकांड | गेरना-स. क्रि० दे० (७०) (सं० गलन वा के ग्रन्थ, धर्म-संहिता।
गिरण) गिराना, नीचे डालना, उड़ेलना । गृह्यसूत्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) वह वैदिक गेरुया--वि० दे० (हि. गेरू+पा प्रत्य० ) पद्धति जिसके अनुसार गृहस्थ लोग मुंडन, गेरू, मटमैला, गेरू में रंगा, गैरिक (सं०)
यज्ञोपवीत, विवाह आदि संस्कार करते हैं। जोगिया, भगवा (प्रान्ती)। गेठी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० गृष्टि) बाराहीकंद। | गेरुई-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. गेरू ) चैत गेंड-संज्ञा, पु० दे० (सं० कांड ) ईख के की फसल का एक लाल रंग का रोग ऊपर का पत्ता, अगौरा (दे०)।
जो बहुधा गेहूँ के पौधों में होता है। गेडना-स. क्रि० दे० (सं. गंड =चिन्ह, " तरे श्रोद ऊपर बदराई । कहैं घाघ अब हि० गंडा ) लकीर से घेरना, चारो ओर गेरुई खाई"।
घूमना, परिक्रमा या प्रदक्षिणा करना। गेरू-संज्ञा, पु० दे० (सं० गवेरुक) एक प्रकार गेंडना-स० कि० दे० (हि. गेंड़ ) खेतों की लाल कड़ी मिट्टी जो खानों से निकलती को मेंडों से घेर कर हद बाँधना, अन्न रखने है, गिरिमाटी, गैरिक । के लिये गैड बनाना, घेरना, गोंठना। गेह* --संज्ञा पु० ० (सं० गृह ) घर, गेंडली-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कुंडली) मकान । " सुरति रही न रंच देह की
कुण्डल, फेंटा, जैसे-साँप की गेंडली। न गेह की"। गेंडा-संज्ञा, पु० दे० ( सं० कांड ) ईख के | गेहनी*-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० गेह ) घर
ऊपर के पत्ते, अगौरा ईख, गन्ना। वाली गृहणी (सं.)। गेंडा -संज्ञा, पु० दे० (सं० गेंडुक) गेंदुआ, | गेही-संज्ञा, पु० (हि० गेह ) गृहस्थ । उसीस, तकिया, गोल सकिया। गेंदवा | गेहुँअन-संज्ञा, पु० दे० (हि० गेंहू ) मटमैले (दे०)।
रङ्ग का एक प्रति विषैला साँप । गेंडवा-संज्ञा, पु० दे० (सं० गंडुक-तकिया) | गेहुँा -वि० दे० (हि. गेहूँ ) गेहूँ के रङ्ग
तकिया, सिरहाना, बड़ा गेंद । गेंदुक (सं०)। का, बादामी रङ्ग का। गेंडुरी-संज्ञा, सी० दे० (सं० कुंडली) रस्सी | गेहूँ-संज्ञा, पु० दे० (सं० गोधूम) एक प्रसिद्ध
का बना हुआ घड़ा रखने का मेंडरा, इन्डुरी, | अनाज जिसके चूर्ण की रोटी बनती है। विड़वा, फेंटा, कुण्डली।
| गैंडा-संज्ञा, पु० दे० (सं० गटक ) भैंसे के गेंद-संज्ञा, पु० दे० (सं. गेंडुक, कंदुक) आकार का एक पशु जो जंगली दलदलों कपड़े, रबड़ या चमड़े का गोला जिससे | और कछारों में रहता है। लड़के खेलते हैं, कंदुक, कालिब, कलबूत । गैंती-गैती- संज्ञा, स्त्री. (दे०) कुदाल, गेंदा-संज्ञा, पु० दे० (हि. गेंद ) लाल- मिट्टी खोदमे का अस्त्र विशेष, कुदारी। पीले फूलों का एक पौधा।
| गैन -संज्ञा, पु० दे० (सं० गमन ) गैल,
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