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गैना मार्ग। संज्ञा, पु० (दे०) गगन । " सुख गैरा-संज्ञा, पु. ( दे०) घास का पूला, पैइयो तो बिरमियो, नहिं करि जैयो गैन'। शाँटी, मुट्ठा। गैना-संज्ञा, पु० (दे०) नाटा बैल, राह। । गैरिक -संज्ञा, पु० (सं०) गेरू, सोना। गैनी–वि. स्त्री. ( 40 ) गामिनी। "नैन भये जोगी लाल लाल गैरिकरंग"। गैब -संज्ञा, पु. (अ.) परोक्ष, जो सामने | गैरेय-संज्ञा, पु० (सं० ) शिलाजीत । न हो । “स्यों ही आई गैब से ऐसी निदा" | गैल-संज्ञा, स्त्री० ० ( हि० गली ) मार्ग, -हाली ।
रास्ता, गली। " गैल गहिबे को हठि"... गैबी-वि० (अ० गैब ) गुप्त, छिपा हुआ, रवा० । महा०-गैल बताना-दग़ाबाजी अजनबी, अज्ञात।
करना । “घायल के प्यारे अब गैल बतरावै गैयर -संज्ञा, पु० दे० (सं० गजवर ) | हैं-ऊ. हाथी । “मन मतङ्ग गैयर हनै'-कवी०। गैहरी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) दण्ड, रोकने गैया-संज्ञा, स्त्री० दे० (७०) (सं० गो) का दण्ड, अर्गल, बेड़ा। गायी, गाय, धेनु । " उनबिन लगत न गेइिंठा - संज्ञा, पु० (दे० ) कंडा, उपला, मोरी गैया "-सूर० ।
गोहरा (प्रान्ती०)। गैर- वि० (प्र. ) अन्य, दूसरा, अजनवी, | गांइँड, गेइिँडा- संज्ञा, पु० (दे० ) गाँव अपने समाज या कुटम्ब से बाहर का पुरुष, की तटवर्ती भूमि। पराया। “गैर से है प्रेम हमसे बैर है"। | रोठ-संज्ञा स्त्री० दे० (सं० गोष्ट) कमर स्फु० । विरुद्ध अर्थवाची या निषेधवाची
पर धोती की लपेट, मुरी, गाँठ (दे०) शब्द, जैसे-औरमुमकिन, गैरहाज़िर । संज्ञा, |
"गोठमों दाम सब काम सिद्धि जानिये'। स्त्री० ( अ० ) अत्याचार, अँधेर ।
गांठना-स० कि० दे० (सं० कुंठन ) किसी गैरत--संज्ञा, स्त्री. (अ.) लजा, हया ।।
वस्तु की कोर या नोक गुठला देना, "हमसे मिलने में है गैरत उसे श्राती
गोझे या पुवे की कोर को मोड़ कर उभड़ी लेकिन ।”
हुई लड़ी के रूप में करना । स० क्रि० दे० गैर मनकूला-वि० यौ० (अ.) जिसे
(सं० गोष्ट ) चारो ओर से घेरना।। एक स्थान से उठा कर दूसरे स्थान न ले जा सकें, स्थिर, स्थायी, अचल, जड़ ।
गांड-संज्ञा, पु० (सं० गाड़ ) मध्यप्रदेश की गैरमामूली - वि० (अ.) असाधारण ।।
एक असभ्य जाति, बंग और भुवनेश्वर के गैर मिसिल-कि. वि. (अ.) बेतर
बीच का देश । संज्ञा, पु० गोंडवाना। तीबी से, अनुचित जगह में । " गैरमिसिल
| गोंडराई-संज्ञा, पु० दे० (सं० कुंडल ) ठादो कियो"-भू०।
(स्त्री. गोंडरी ) लोहे का मँडरा जिस पर गैर मुनासिब - वि० या० (अ०) अनुचित ।
मोट का घरसा लटकता है, कुंडल के गैर-मुमकिन-वियो. (म०) असम्भव ।
। आकार की वस्तु, मंडल, गोल घेरा। गैर वाजिब ---वि० ( अ ) अयोग्य, गोंडा*-संज्ञा, पु० दे० (सं० गोष्ट ) बाड़ा,
अनुचित, अनुपयुक्त, नामुनासिब । घेरा हुआ स्थान (विशेषतः ) चौपायों का गैर हाज़िर-वि० ( ० ) श्रनपस्थित, पुरवा, गाँव, खेड़ा । " निकसि घरतें गयीं अविद्यमान, नामौजूद।
गोंड़े"-सू०। गैर हाज़िरी--संज्ञा, स्त्री० (अ.) अनुप- गांद-संज्ञा, पु० दे० ( सं० कुंदरू या हि. स्थिति, अविद्यमानता, नामौजूदगी। गूदा ) पेड़ों के तने से निकला हुआ चिप
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