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घुड़चड़ा
घुरकना -मूठ मूंठ डर दिखाना, आँख चढ़ा कर द्वारा अनाज लकड़ी श्रादि का खाया जाना, डराना, घुड़की में न आना, न डरना। दोष से भीतर ही से छीजना।। घुड़चढ़ा-संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि० घोडा+ घुनिया-वि० (दे० ) घुना, छली, कपटी। चढ़ना ) घोड़े का सवार, अश्वारोही। ।
घुन्ना-वि० दे० ( अनु० घुनघुनाना ) ( स्त्री० घडचढी-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० ( हि । घुन्नी ) जो अपने क्रोध, द्वेष आदि भावों घोड़ा + चढ़ना ) विवाह में दूल्हा के घोड़े
| को अपने मन ही में रखे, चुप्पा । पर चढ़ कर दुलहिन के घर जाने की रस्म | धुप-वि० दे० (सं० कूप वा अनु० ) गहरा एक प्रकार की तोप, घुड़नाल ।
अँधेरा, निविड़ अंधकार। घडदौड - संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि. घोडा-+- घुमक्कड़-वि० दे० ( हि० घूमना + अकड़दौड़ा) घोड़ों की दौड़, एक प्रकार का जुश्रा,
प्रत्य० ) बहुत घूमने वाला। घोड़े दौड़ाने का स्थान या सड़क, एक प्रकार
घुमघुमा-संज्ञा, पु० (दे०) घुमाव, टाल, की बड़ी नाव ।
फिर फिर वही।
घुमघुमाना-स० कि० (दे०) घुमाना, घुड़नाल-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( हि० घोड़ा ।
फिराना, बात फेरना या उलटना । नाल ) एक प्रकार की तोप जो घोड़े पर चलती है।
घुमटा-संज्ञा, पु० दे० (हि० घूमना+टा
प्रत्य०) सिर का चक्कर, जी घूमना, घुड़वहल-संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि. घोड़ा+
घुमरी (ग्रा.)। बहल ) वह रथ जिसमें घोड़े जोते जायें ।
धुमड़ --- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० घुमड़ना) घुड़साल-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (हि.
बरसने वाले बादलों की घेरघार । घोड़ा+शाला ) घोड़ों के बाँधने का स्थान,
घुमड़ना-१० कि० दे० (हि० घूम-|-अड़ना) अस्तबल (दे०)।
बादलों का घूम घूम कर इकट्ठा होना, मेघों घुड़िया-संज्ञा, स्त्री० दे० घोड़िया, घोड़ी। का छा जाना । घुमरना-घुमरानाघुडित्ता-संज्ञा, पु० दे० ( हि० घोड़ा+ (घुम्मरना ) ( अनु० घम घम) घोर शब्द इला–प्रत्य० ) ) कोटा घोड़ा, टाँघन। करना, बजना। घुणाक्षर-न्याय-संज्ञा, पु० यौ० (सं० घुमरी-घुमड़ी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) तिमिरी, घुण + अक्षर+न्याय) ऐसी कृति या रचना | चक्कर, धुर्नी, मूर्छा रोग, परिक्रमा । जो अनजान में उसी प्रकार हो जाय जिस घुमाना--स० क्रि० (हि. घूमना ) चक्कर प्रकार धुनों के खाते २ लकड़ी में अक्षर
देना, चारो ओर फिराना, इधर उधर से बन जाते हैं।
टहलाना, सैर कराना, किसी विषय की धुन-संज्ञा, पु० दे० (सं० घुण ) अनाज, ओर लगाना, प्रवृत्त करना । लकड़ी आदि में लगने वाला छोटा कोड़ा। घुमाघ-संज्ञा, पु० दे० ( हि. घुमाना) घूमने मुहा०-धुन लगन!--धुन का अनाज
या घुमाने का भाव, फेर, चक्कर, मोड़ । लकड़ी आदि का खाना, भोतर ही भीतर मुहा०-घुमाव शिराव की बातकिसी वस्तु का क्षीण होना । धुनजाना- पेंचीली, हेर फेर की बात । घुमावदारघुन से नष्ट होना, क्षीण हो जाना।
वि० (हि. घुमाव + दार ) चक्कर दार । घुनघुना-संज्ञा, पु० दे० झुनझुना । घरकना-स० कि० दे० घुड़कना। संज्ञा स्त्री० घुनना-अ० क्रि० दे० (हि० घुन ) घुन के | धुरकी-घुड़की, धमकी।
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