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गौणी
गोशाला न हो, साधारण, अप्रधान, सहायक, गोरता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) गोराई, गोरापन, सहचारी, गौणी वृत्ति से बोधित अर्थ । सफ़ेदी गौणी-वि० (सं० ) अप्रधान, साधारण, गौरव संज्ञा, पु० सं०) बड़प्पन, महत्व,
जो मुख्य न मानी जाय । संझा, स्त्री० (सं०) । बड़ाई, गुरुता, भारीपन, सम्मान, श्रादर, एक लक्षणा जिसमें किसी एक वस्तु का उत्कर्ष, अभ्युत्थान, इउज़त । संज्ञा, स्त्री० गुण दूसरी पर आरोपित किया जाता है। गौरवता ( दे०) “गौरवता जग में गौतम-संज्ञा, पु. ( सं० ) गोतम ऋषि लहैं-७०। । के वंशज ऋषि, बुद्धदेव, सप्तर्षि-मंडल के गौरांग संज्ञ', पु० यौ० (सं० ) श्वेतवर्ण, तारों में से एक तारा।
गोरे रंग वाला, पीतवर्ण, यूरोपियन, गौतमी -- संज्ञा, स्त्री. (सं०) गौतम ऋषि की विष्णु, श्रीकृष्ण, चैतन्य महाप्रभु।
स्त्री, अहिल्या, कृपाचार्य की स्त्री, गोदावरी गौरा -- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० गौर ) गोरे नदी, दुर्गा, शकुन्तला की सेहली। यौ० रंग की स्त्री, पार्वती, गिरिजा, हल्दी। गौतमनारी- गौतमनारी सापवस " गौरिका - संक्षा, स्त्री. (सं० ) पार्वती, --रामा० ।
आठ वर्ष की कन्या। गौदुमा-वि० (दे०) गावदुम ।
गारिया-- संज्ञा, स्त्री० दे० (१) काले रंग गौनां- संज्ञा, पु० (दे०) गमन “गौन रौन का एक जल पक्षी, मिट्टी का बना हुआ एक
रेती सौं कदापि करते नहीं 'ऊ० श०। प्रकार का छोटा हुक्का । गौनहाईवि० स्त्री० दे० (हि. गौना -। हाई गोरिला--संज्ञा, स्त्रो० (सं०) पृथ्वी, धरणी, (प्रत्य० ) ) जिस स्त्री का गौना हाल में गोरिल्ला । संज्ञा, पु० ( अफ्री० ) एक प्रकार हुआ हो । “आई गौनहाई वधू सासु के | का वन मानुन या बनैला।। लगति पाय"।
गौरी-संज्ञा, स्त्री० (२०) गोरे रंग की गौनहार--संज्ञा, स्त्री० दे०) ( हि० गान-- |
स्त्री, पार्वती, गिरिजा, आठ वर्ष की कन्या, हार---प्रत्य० ) वह स्त्री जी दुलहिन के | “ अष्टवर्षाभवेद्गौरी" - हल्दी, तुलसी, साथ उसकी ससुराल जाय ।।
गोरोचन. सर्फ़द रंग की गाय, सफ़ेद दूब, गौनहारिन-गौनहारी--संज्ञा, स्त्री० दे०
पृथ्वी, गंगानदी । गौरि --- " बहुरि गौरि (हि. गावन --- हार -- प्रत्य०) गाने के पेशे |
कर ध्यान करेहू"-- रामा० । वाली स्त्री, गाने वाली, गावनिहार ( ब्र०)।
गौरीशंकर--संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) गौना-संज्ञा, पु० दे० (सं० गमन ) विवाह ।
महादेव जी, शिव, पार्वती, हिमालय पर्वत के पीछे की रस्म जिसमें वर वधू को अपने |
की सब से ऊँची चोटी। घर ले जाता है, द्विरागमन, मुकलावा
गौरीश-गौरोस-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) (प्रान्ती०)।
महादेव, शिव । गौर-वि० ( सं० ) गोरे चमड़े वाला, गोरा, श्वेत, उज्वल, सफ़ेद । " स्याम गौर किमि
गरिया- संज्ञा, स्त्री० ( दे० ) गौरिया
चिड़िया। कहौं बखानी"-रामा० । संज्ञा, पु० (सं०) लालरंग, पीला रंग, चन्द्रमा, साना,
गालिमक-संज्ञा, पु० (सं० ) एक गुल्म या केसर । संज्ञा, पु० (दे०) गौड़।
३० सिपाहियों का नायक या स्वामी । गौर-संज्ञा, पु. (अ.) सोच-विचार, गौशाला- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० गोशाला) चिंतन, ध्यान, ख़्याल ।
गायों के रहने का स्थान ।
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