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गुंधवाना
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गुजर-बसर गंधवाना-सं० कि० दे० (हि. [धना जिससे राल या धूप निकलती है। "मदन का प्रे०) गूधने का काम दूसरे से कराना। सैंधव गुग्गुल गैरिकाह्य . " वै० जी० । स० कि० ( प्रे० रूप ) गुंधाना ( दे.)। गुच्ची-संज्ञा, स्त्री० ( अनु० ) वह छोटा गँधाई-संज्ञा, स्त्री० ( हि० गूंधना ) गधने गड्ढा गोली या गुल्ली-डंडा खेलने का। या माड़ने की क्रिया या भाव, गँधने या वि० स्त्री० बहुत छोटी, नन्ही । वि. पु. माँड़ने की मजदूरी । बालों को सँवारना। गुच्चा, गुब्बू (प्रान्ती०)। गँधावट-संज्ञा, स्त्री० (हि. धना) गँधने गुच्चीपारा, गुच्चीपाला-संज्ञा, पु० दे० या गूंथने की क्रिया या ढंग।
(हि. गुच्ची = गड्ढा -- पारना = डालना ) एक गुंफ- संज्ञा, पु. ( सं० ) उलझना, फँसाव,
खेल जिसमें लड़के एक छोटा सा गड्ढा
बना कर उसमें कौड़ियाँ फेंकते हैं। गुस्थम-गुत्था (दे०)। गुच्छा, दाढ़ी, गल
गुच्छ, गुच्छक-संज्ञा, पु० (सं० ) एक मुच्छ, कारणमाला, नामक एक अलंकार
में बँधे हुये फलों फुलों या पत्तियाँ का (अ० पी० ) । ( वि० गुंफित )।
समूह, गुच्छा, घास की पूरी, पत्तियाँ या गुफन -संज्ञा, पु० (सं०) (वि० गंफित)
पतली लचीली टहनियों वाला पौधा, उलझाव, फँसाब, गुत्थमगुत्था (दे०) गूंथना, |
झाड़, मोर की पूँछ, स्तवक (सं.)। गाँछना । वि० गुंफनीय।
गुच्छा -संज्ञा, पु० दे० (सं० गुच्छ ) एक गुंबज-संज्ञा, पु० दे० ( फा० गुंबद )
में लगे या बँधे हुए कई पत्तों या फूलोंऊपर उठी हुई गोल छत, गुंबद। फलों का समूह, गुच्छ, एक में लगी या बँधी गॅबजदार-वि० ( फा० गुंबद + दार ) हुई छोटी वस्तुओं का समूह, जैसे-कुंजियों जिस पर गुंबज हो।
का गुच्छा। गुंबद -संज्ञा, पु. ( दे० ) गुंबज । गुच्छी --संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० गुच्छ ) गबा-संज्ञा, पु० दे० (हि० गोल + अंब = | करंज, कंजा, रीठा, एक तरकारी, (स्त्री० ग्राम ) चोट से उत्पन्न कड़ी गोल सूजन, अल्प०) गुच्छा। गुलमा (ग्रा.)।
गुच्छेदार-वि० (हि. गुच्छा+दार-फा० गुंभी संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० गुफ) प्रत्य० ) जिसमें गुच्छा हो। अंकुर, गाभ।
गुजर-संज्ञा, पु. ( फा०) निकास, गति, गुश्रा-संज्ञा, पु० दे० ( सं० गुवाक ) चिकनी
पैठ, पहुँच, प्रवेश, निर्वाह, कालक्षेप । संज्ञा, सुपारी, सुपारी।
पु० (फा०) गुज़ारा-जीवन-निर्वाह को वृत्ति । गुइयां-संज्ञा, स्त्री० पु० दे० (हि० गाहन )
गुजरना-अ० कि० (फा० गुज़र + नासखी, सहेली, साथी, सखा, मित्र, सहचरी।
प्रत्य॰) समय व्यतीत होना, कटना, बीतना,
निकल जाना गुखरू-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० गाक्षुर ) एक महा-किसी पर गुजरना-किसी पर काँटेदार बेल, गोखुरू नामक औषधि ।
आपत्ति ( संकट या विपत्ति ) पड़ना। गुगुलिया संज्ञा, पु० ( दे०) मदारी। किसी स्थान से होकर आना या जाना। गुग्गुर-गुग्गुल संज्ञा, पु० दे० (सं० गुग्गुल) मुहा०—गुजर जाना-मरजाना, निर्वाह एक काँटेदार पेड़ जिसका गोंद सुगंधि के होना, निपटना, निभना। लिये जलाते और औषधि के काम में लाते गुजर-बसर- संज्ञा, पु० यौ० ( फ़ा० ) हैं, गूगुल, गूगुर (दे० ) सलई का पेड़ ! निर्वाह, गुज़ारा, कालक्षेप।
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