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गुलाल
गुस्सैल गुलाल-संज्ञा, पु० दे० (फा० गुल्लाल ) | गुल्ली-संज्ञा स्त्री० दे० (सं० गुलिका एक प्रकार की लाल बुकनी या चूर्ण जिसे गुठली ) महुए या किसी फल की गुठली, हिन्दू होली के दिन चेहरों पर मलते हैं। किसी वस्तु का लम्बोतरा छोटा गोल पेट गुलाला--संज्ञा, पु० (दे० ) गुललाला। का टुकड़ा, छत में मधु का स्थान, लड़कों गुलियाना-१० कि० (दे०) दवा आदि के खेलने की अंटी (प्रान्ती०), गुल्लू ।
को बाँस के चोंगे में भर कर पिलाना। | गुवा-संज्ञा पु० (दे०) सुपारी, पूंगीफल । गुलिस्ता-संज्ञा, पु. (फ़ा०) बाग़, बाटिका। गुवाक-संज्ञा पु० (सं०) सुपारी का पेड़, गुली-संज्ञा, स्त्री० (दे०) बाजरे की भूसी। सुपारी। गुलूबन्द-संज्ञा, पु. (फा०) लंबी और गुवाल-संज्ञा. पु० दे०) ग्वाल । प्रायः एक बालिश्त चौड़ी पट्टी जिसे सरदी | गुवालिन-संज्ञा, स्त्री. (दे० ) ग्वालिनी से बचने के लिये सिर, गले या कानों पर | गुवारिन, (व.)। बाँधते हैं, गले का एक गहना । गुविन्द-संज्ञा, पु० (दे०) गोविन्द । गुलेनार-संज्ञा, पु० (दे० ) गुलनार। गुवैया-संज्ञा स्त्री० (दे० ) सखी, सहेली, गुलेल–संज्ञा, स्त्री० दे० (फ़ा. गिलूल )। वयस्या, ग्वय्या, गुइयाँ ( ग्रा०)।
मिट्टी की गोलियाँ चलाने की कमान ।। गुसाई --संज्ञा, पु० ( दे० ) गोसाई गुलेला-संज्ञा, पु० दे. (फा० गुलूला) गोस्वामी, एक प्रकार के साधु, प्रभु । मिट्टी की गोली जिसे गुलेल से फेंक कर गुसा-* संज्ञा पु. ( दे०) गुस्सा । वि० चिड़ियों का शिकार करते हैं।
गुसैल (दे०)। गुल्फ-संज्ञा, पु० (सं० ) ऍड़ी के ऊपर की गुसैयां- संज्ञा पु० (दे०) गोसाँई, ईश्वर । गाँठ।
__ "उपर छत्र गुसैयाँ केर"-पाल्हा।। गुल्म-संज्ञा, पु० (सं० ) ऐसा पौधा जो गुस्ताख-वि० (फा० ) सृष्ट, अशालीन, एक जड़ से कई होकर निकले और जिसमें | अशिष्ट, बे अदब । वि० गुस्ताख़ाना । कड़ी लकड़ी या डंठल न हो, जैसे-ईख, गुस्ताखी-संज्ञा, स्त्री. (फा० ) सृष्टता, शर श्रादि, सेना का एक भाग जिसमें । ढिठाई, अशिष्टता, बे अदबी। ६ हाथी ६ रथ, २० घोड़े, ४५ पैदल रहते | गुरुल-संज्ञा, पु. (अ.) स्नान, नहाना । हैं, पेट का एक रोग।
गुस्लखाना-संज्ञा पु० यौ० (अ. गुस्ल+ गुल्लक-संज्ञा, स्त्री. ( दे० ) गोलक, खाना-फा० ) स्नानागार, नहाने का घर । रुपये-पैसे की छोटी संदूक ।।
गुस्सा -संज्ञा, पु० (अ.) (वि० गुस्सावर, गुल्लर-संज्ञा, पु० दे० (सं० उदम्बर, हि. गुस्सैल ) क्रोध, कोप, रिस । मुहा०गूलर ) उदम्बर, उमर, गूलर, गोली।
गुस्सा उतरना या निकलना--क्रोध गुल्ला-संज्ञा, पु० दे० (हि. गेला ) मिट्टी शांत होना । (किसी पर) गुस्सा
की बनी हुई गोली जिसे गुलेल से फेंकते हैं। उतारना क्रोध में जो इच्छा हो उसे संज्ञा पु० दे० ( अ० गुल) शोर, हल्ला । संज्ञा पूर्ण करना, अपने क्रोध का फल चखना। पु० (दे० ) गुलेल । यौ०-हल्ला-गुल्ला । गुस्सा चढ़ना-क्रोध का श्रावेश होना। गुल्लाला-संज्ञा, पु० दे० (फा० गुलेलाला)| गुस्सा पी जाना-गुस्से को दबा लेना। एक लाल फूल जिसका पौधा पोस्ते के पौधे गुस्सैल-वि० (प्र. गुस्सा+ ऐलसा होता है।
प्रत्य० ) जिसे जल्दी क्रोध भावे, गुस्सावर । भा० श. को०-७१
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