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गिरिधारी
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गिलहरी गिरिधारी-संज्ञा, पु. ( सं० गिरिधारिन ), जाय, “तिमिर तरुन तरनिहिं सक गिलई" श्री कृष्ण ।
रामा०। गिरि-नंदिनी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) गिलकार-संज्ञा, पु. ( फा० ) गारा या पार्वती, गंगा नदी ।... ... "गिरि-नंदिनी- पलस्तर करने वाला। नन्दन चले"-मैथि।
गिलकारी- संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) गारा लगाने गिरिजाथ-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) महादेव, वा पलस्तर करने का कार्य । शिव, शम्भु।
| गिलगिल-संज्ञा, पु० (सं० ) एक जलजंतु, गिरिराज-संज्ञा, पु० दे० (सं० ) बड़ा- ० (फा०-गिल) पिलपिला. गीला। पर्वत, गिरिपति, हिमालय, गोवर्धन
गिलगिलिया-संज्ञा, स्त्री० (अनु०) सिरोही सुमेरु पर्वत ।
चिड़िया, गलगलिया ( दे०)। गिरिव्रज-संज्ञा, पु. ( सं० ) केकय देश की राजधानी, जरासंध की राजधानी जिसे
गिलगिली-संज्ञा, पु. (दे०) घोड़े की
एक जाति । राजगृह कहते हैं।
| गिलट - संज्ञा, पु० दे० ( अं० गिल्ड ) सोना गिरि-सुत- संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) मैनाक
। चढ़ाने का काम, चाँदी सी सफ़ेद बहुत पर्वत ।
हलकी और कम मूल्य की एक धातु । गिरि-सुता-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं० )
१० | गिलटी-संज्ञा, स्त्रो० दे० (सं० ग्रंथि ) देह पार्वती ।
में संधि स्थान पर चेप की छोटी गोल गाँठ, गिरीन्द्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं.) बड़ा पर्वत, हिमालय, सुमेरु, शिव ।
संधिस्थान की गाँठे, सूजने का रोग । गिरी- संज्ञा, स्त्री० ( हि गिरी) बीज के
गिलत-संज्ञा, पु० (सं० ) ( वि. गिलित ) तोड़ने से उसमें से निकला गूदा जैसे
निगलना, लीलना। नारियल की गिरी।
| गिलना-स० कि० (सं० गिरण) बिना दाँतों गिरीश-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) महादेव, |
से तोड़े गले में उतार जाना, निगलना शिव, हिमालय सुमेरु कैलाश या गोवर्द्धन ।
__ मन ही में रखना, प्रगट न होने देना। पर्वत, बड़ा पहाड़।
गिलबिलाना-अ० क्रि० ( अनु० ) अस्पष्ट गिरैया- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. गेराँव ) उच्चारण से कुछ कहना। छोटा या पतला गेराँव, गिराई (प्रान्ती०), गिलम-संज्ञा, स्त्री० (फा० गलीम = कंवल) गिरवाँ, गरेवाँ (ग्रा०)।
नरम और चिकना ऊनी कालीन,मोटा मुलागिरों-वि० (फ़ा०) रेहन, बंधक, गिरवी। यम गद्दा या बिछौना । " गुलगुले गिलम गिर्द अन्य० (फ़ा) आस पास, चारों ओर। गलीचे हैं'- पद्मा० । वि०-कोमल, नरम ।
यौ०-इर्द-गिर्द -श्रास-पास । गिर्दा- गिलमिल-संज्ञा, पु० (दे० ) एक तरह (ग्रा० ) जैसे-चौगिर्दा ।
का कपड़ा। गिर्दावर--संज्ञा, पु. (फा० ) घूमने या गिलहरा-संज्ञा, पु० (दे०) एक प्रकार दौरा करने वाला, घूम घूम कर काम की का धारीदार कपड़ा। (दे०) बेलहरा, पान जाँच करने वाला, एक प्रकार के कानूनगो। के रखने का केस । संज्ञा, स्त्री०-गिर्दावरी।
गिलहरी- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० गिरि = गिल-संज्ञा, स्त्री. (फा० ) मिट्टी, गारा।। चुहिया ) चूहे का सा एक मोटे रोएँ और गिलई-स० कि० (दे०) निगल या लील लम्बी पूंछ वाला एक जन्तु, जो पेड़ों पर
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