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गर्जना
ग यौ० गर्जन-तर्जन-तड़प, डाँट-डपट । मन्दिर की वह कोठरी जिसमें मूर्तियाँ रखी गर्जना-अ० कि. (दे०) गरजना।
जाती हैं। गर्जित-वि० (सं० ) बादल के शब्द-युक्त, गर्भ-नाल-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) फूलों मतवाले हाथी के शब्द से युक्त ।
के भीतर की वह पतली नाल जिसके सिरे गर्त्त-संज्ञा, पु. (सं० ) गड्ढा, गढ़ा, पर गर्भ-केसर रहता है।
..."वरं गावर्ते गहन जल मध्ये "। गर्भ-पात-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) बच्चे का गर्द-संज्ञा, स्त्री. (फा० ) धूल, राख, पूरी बाढ़ के पहले ही पेट से निकल जाना, गरद (दे०) "... दरद करहै अरी पेट गिरना, गर्भ गिरना। गरद गुलाल की"-गर्दा ( दे०) । यौ० गर्भवतो-वि० स्त्री० (सं०) वह स्त्री जिसके गर्द-गुबार-धूल, मिट्टी, रज-राशि। पेट में लड़का हो, गर्भिणी, गुर्विणी। गर्द-खोर-गर्द-खोरा-वि० (फा० गर्दखोर) गर्भ-सन्धि-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) गर्द और धूलि पड़ने से जल्द ख़राब या नाटक की संधियों के पाँच भेदों में से एक, बरबाद न होने वाला । संज्ञा, पु. पाँव (नाट्य० )। पोछने का टाट या कपड़ा, पायंदाज़ । गर्भस्थ वि० (सं० ) जो गर्भ में हो। गर्दन-संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) गरदन ( दे०) गर्भ-स्त्राव-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) चार गला।
महीने के अन्दर होने वाला गर्भ पात । गर्दभ-संज्ञा, पु. (सं०) गधा, गदहा। गर्भ-स्थापन-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) गर्भ"गर्दभो नैव जानाति · ..."।
स्थिति के लिए मैथुन । गर्दिश-संज्ञा, स्त्री० (फा० ) घुमाव, चक्कर, गीक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) नाटक के विपत्ति, आपत्ति, श्राफ़त । मुहा०-- बीच में किसी घटना विशेष सूचम दृश्य, (वक्त, दिनों को ) गर्दिश--भाग्य चक्र नाटकांक का एक भाग या दृश्य (नाट्य०) ।
का उलट-फेर । यौ०-गर्दिशे अय्याप। गर्भाधान--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मनुष्य के गद्ध-संज्ञा, पु० (सं० गई+अल् प्रत्य०) सोलह संस्कारों में से प्रथम जो गर्भ में स्पृहा, लिप्सा, चाह, पलखा, पाकर। बच्चे के आने के समय होता है, गर्भगर्भ-संज्ञा, पु. (सं०) पेट के भीतर का | | स्थिति, गर्भ-धारण । बच्चा, गरभ-(दे०) हमल । “गर्भन गर्भाशय-संज्ञा, पु० (सं० ) स्त्रियों के पेट के अर्भक-दलन"-रामा० । भीतरी भाग, में बच्चा रहने का स्थान । अदृष्ट स्थान, अज्ञात स्थल, आन्तरिक देश, गर्भिणी-वि० स्त्री० (सं० ) जिसे गर्भ हो जैसे-भविष्य के गर्भ में।
| वह स्त्री, गर्भवती, हामिला, पेटवाली। महा०-गर्भ गिरना-गर्भ के बच्चे का | गर्भित—वि० (सं०) गर्भयुक्त, भरा हुश्रा, पूर्ण वृद्धि के पूर्व ही निकल जाना, गर्भ पूर्ण, पूरा, जैसे-सार गर्भित बात। पात । गर्भ गिराना-बलात् औषधि | गर्रा-वि० दे० (सं० गरहाधिक ) लाख के प्रयोग से गर्भ का पात कराना।
रंग का । संज्ञा, पु० ( दे० ) लाखी रंग, गर्भ-केसर-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) फूलों घोड़े का एक रंग, जिसमें लाही और सफ़ेद में वे पतले सूत जो गर्भ-नाल के भीतर | दोनों रंग मिले होते हैं, इसी रंग का होते हैं।
घोड़ा, लाही रंग का कबूतर । गर्भ-गृह-संज्ञा, पु. यौ० (सं.) घर के गर्ष-संज्ञा पु० (सं०) अहङ्कार, घमंड, मद। बीच की कोठरी, बीच का घर, आँगन, वि. गर्वित (सं.) गीला (हि.)।
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