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क्रिया-विशेषण
क्रिया-विशेषण-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) वह शब्द जिससे क्रिया के किसी विशेष भाव या रीति से होने का बोध हो ( श्राधु० व्या० ) जैसे- कैसे, धीरे । क्रिया-रूप-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) धातुरूप,
"
थाख्यात ।
क्रिया-लोप- संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) कर्म - निवृत्ति | किसान-संज्ञा, पु० दे० ( ० क्रिश्चियन ) ईसाई | वि०किस्तानी — ईसाइयों का । कीट - संज्ञा, ५० दे० (सं० किरीट ) मुकुट के ऊपर धारण किया जाने वाला ग्राभूषण | क्रीडना प्र० क्रि० (दे० ) क्रीड़ा या खेल करना । प्रभु क्रीडत, मुनि, सिद्ध, सुर, व्याकुल देखि कलेस - रामा० । क्रीडनक - संज्ञा, पु० (सं० ) खेल, खेलने की वस्तु |
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क्रीडान – संज्ञा, स्त्री० (सं० ) क्रीडन, खेल, केलि, कौतुक, ग्रामोद-प्रमोद, खेल-कूद, एक छंद या वृत्त | य० क्रीडा-वन- प्रमोदवन, केलि-कानन | क्रीडामृग -- खेल के पशु, घोड़ा, वानरादि ।
क्रीडाचक संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) ६ गणों का एक वृत्त, महामोदकारी । क्रीडा - कौतुक – संज्ञा, पु० यौ० (सं०) खेल
तमाशा ।
क्रीत - वि० (सं० ) खरीदा हुआ । यौ० कीतपुत्र संज्ञा, पु० (सं०) १२ प्रकार के पुत्रों में से एक, ख़रीदा हुआ पुत्र | क्रीतदास -- संज्ञा, पु० ० (सं०) १५ प्रकार के दासों में से एक मोल लिया हुआ । कीतक संज्ञा, पु० ( ० ) क्रीत पुत्र, धन देकर माता-पिता से लिया गया पुत्र, १२ प्रकार के पुत्रों में से एक ।
क्रुद्ध - वि० (सं० ) क्रोध से भरा हुआ, कोपयुक्त, क्रोधित ।
कुमुक - संज्ञा, पु० (सं०) सुपारी, पुंगीफल । कुश्वा - संज्ञा, पु० (सं०) शृगाल, सियार ।
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क्रोध
कर - वि० (सं०) पर पीड़क, निर्दय, कठिन, तीक्ष्ण,..." एते क्रूर करम अक्रूर है कराये जो " ऊ० श० । संज्ञा, पु० (सं०) १, २, ५, ७, ६, ११ राशि, मति, लाल कनेर, बाज पक्षी, सफ़ेद चील, रवि, मंगल, शनि, राहु, केतु, ( ज्यौ० क्रूर ग्रह ) । स्त्री० क्रूरी | संज्ञा, स्त्री० क्रूरता । क्रूरकर्मा - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) क्रूर काम करने वाला । वि० निष्ठुर दुरात्मा । संज्ञा, पु० (सं०) सूरजमुखी, तितलौकी का पेड़ । करगंध - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) उग्रगंध, गंधक |
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क्रूरता - संज्ञा स्त्री० ( सं० ) निष्ठुरता, निर्दयता, कठोरता ।
करलोचन - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शनिग्रह, कराकार - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) रावण | वि० भयंकर आकार वाला । क्रराचार - संज्ञा, पु० ० (सं० ) निष्ठुर - व्यवहार | वि० क्रराचारी । करात्मा - वि० (सं० ) दुष्ट प्रकृति वाला । क्रेतव्य - वि० सं०) क्रेय, क्रयणीय, ख़रीदने के योग्य ।
क्रेता - वि० (सं०) खरीदार, खरीदने वाला । क्रेय - वि० (सं०) क्रमणीय, ख़रीदने योग्य | क्रोड़ - संज्ञा. उ० (सं०) दोनों बाँहों के बीच का भाग, ( श्रालिंगन में) भुजांतर, वक्षःस्थल, गोद, कोल, अंक ।
कोड-पत्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) किसी पुस्तक या समाचार-पत्र में उसकी पूर्ति के लिये ऊपर से लगाया गया पत्र, परिशिष्ठ, पूरक, ज़मीमा, अतिरिक्त पत्र | क्रोध - संज्ञा, पु० (सं० ) चित्त का वह उग्रभाव जो कष्ट या हानि पहुँचाने वाले या अनुचित कार्य करने वाले के प्रति होता है, कोप, रोष, गुस्सा, ६० संवत्सरों में से ५६ वाँ । यौ० क्रोधमूर्च्छित - संज्ञा, पु० ( सं० ) एक सुगंधित द्रव्य | वि० अत्यंत को से भरा हुआ । क्रोधातुर - वि०
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