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ख्वाह
गंज
ख्वाह-अव्य० (फा० ) या, अथवा, ख्वाहिश-संज्ञा, स्त्री० (फा०) इच्छा, चाह, यातो। यो० ख्वाहमख्वाह-चाहे कोई आकांक्षा । वि० ख्वाहिशमंद-(फा० ) चाहे या नहीं, बलात्, हठात्, अवश्य । इच्छुक, अभिलाषी।
ग–व्यंजनों में कवर्ग का तीसरा अक्षर, जो गंगाधर--संज्ञा, पु. ( सं० ) महादेव जी, गले से बोला जाता है। संज्ञा, पु० (सं०) शिव जी। गीता, गंधर्व, गणेश, गाने वाला, जाने गंगापुत्र-संज्ञा, पु. यो० (सं० ) भीष्म, . वाला, गुरु मात्रा।
गांगेय, एक तरह के ब्राह्मण जो नदियों के गंग-संज्ञा पु. ( सं० गंगा ) एक हिन्दी कवि किनारों पर दान लेते हैं, एक वर्ण संकर ( १७ वीं सदी) एक मात्रिक छंद । स्त्री० जाति । एक नदी, जाह्नवी, भीष्म-माता । यौ०--- गंगा-यात्रा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) मरणगंग-सुत-भीष्म पितामह ।
सन्न पुरुष का मरने के लिये गंगातट पर गंगबरार-संज्ञा, पु. ( हि० गंगा+फा० जाना, मृत्यु । - बरार ) वह ज़मीन जो किसी नदी की धारा गंगाल-संज्ञा, पु. ( सं० गंगा-- प्रालय )
के हट जाने से निकल आती है। पानी रखने का बड़ा बर्तन, कंडाल । गंग-शिकश्त-संज्ञा, पु. ( हि० गंगा+ । गंगा लाभ-संज्ञा, पु० यो० (सं० ) मृत्यु, शिकश्त-फा०) वह जमीन जिसका कोई मौत, गंगा-प्राप्ति । नदी काट ले गयी हो।
गंगा-सागर-संज्ञा, पु. यौ० ( हि० गंगा+ गंगा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) भारत को एक सागर ) एक तीर्थ स्थान जहाँ गंगा नदी मुख्य नदी, भीष्म की माता।
समुद्र से मिलती है, टोंटी दार बड़ी भारी। गंगा-जमनी--वि० यौ० (हि० गंगा+जमुना) गङ्गीभूत- वि० (सं० ) पवित्र, पावन । मिला-जुला, दो रंग का संकर वर्ण । सोना. गंगेरन-संज्ञा स्त्री. (सं० गांगेरकी) चार चाँदी, ताँबा-पीतल दो धातुओं का बना | प्रकार की बला नाम की औषधियों में से हुश्रा । काला-उजला, स्याह-कबरा, सफेद, एक नागबला । अबलक रंग का। गंगा-यमुनी (सं०) गंगोदक-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० गंगा+ गंगा-जल--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) गंगा का उदक ) गंगाजल, २४ अक्षरों का एक छंद ।
पानी, गंगोदक । एक महीन सफेद कपड़ा। गंज-संज्ञा, पु. ( सं० खंज वा कंज) सिर गंगाजली-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० गंगा-जल) के बालों के उड़ जाने का रोग, सिर में छोटी वह शीशी या सुराही जिसमें लोग गंगा-जल छोटी फुनसियों का रोग। चाई, चंदवा, भर कर ले जाते हैं, धातु की सुराही। चॅदलाई, खल्वाट (सं०) बालखोरा फा०)। (दे० ) गंगा-जलिया।
संज्ञा, स्त्री० (फा०, सं० ) ख़ज़ाना, कोष, मुहा०—गंगा-जली उठाना - शपथ ढेर, अंबार, राशि, अटाला, समूह, मुंड (कसम) खाना । गंगाली पर कहना- अनाज की मंडी, हाट, बाज़ार, गोला, वह गंगा की शपथ खाकर कहना।
चीज़ जिसके भीतर बहुत सी काम की गंगा-द्वार--संज्ञा, पु० यौ० (सं.) हरिद्वार ।। चीजें हों।
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