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कुलघाती
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कुलबधू कुलघाती-वि० (सं०) कुल-नाशक, कल- अध्यापक, दस हजार विद्यार्थियों को अन्न घालक ।" हम कुल घालक सत्य तुम..." ( भोजन ) और विद्या देने वाला ऋषि । रामा०।
कुल-पालक-वि० (सं० ) वंश का पालन कुलच्छन-संज्ञा, पु० (दे० ) कुलक्षण पोषण करने वाला, कुल-पति। "..'कुल
(सं० ) वि० कुलन्छनी स्त्री० पु०। पालक दससीस'—रामा० । कुलचा (कुरचा )- संज्ञा, पु. ( दे०) कल-परम्परा--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० )
बचत पूँजी, मूलधन, कोरचा (दे० )। । वंश, प्रणाली, कुल की बहुत समय से कुलज-वि० (सं० ) कुलीन, सवंशीय । चली आई हुई रीति, परिपाटी। कुलज्ञ-संज्ञा, पु० (सं० ) कुलाचार्य, भाट । कुल-पूजक-संज्ञा. पु. यो० (सं०) वंश कलट–वि. पु. (सं० ) व्यभिचारी, बद- की पूजा करने वाला, वंश का पूज्य, चलन, औरस के अतिरिक्त अन्य प्रकार का | पुरोहित, कुल-देव ।। पुत्र, जैसे दत्तक ।
कुल-पूज्य–वि० (सं० ) कुल-परम्परा से कुलटा-वि० स्त्री० (सं० ) छिनाल, बहुत जिसका मान या पूजन होता आया हो, पुरुषों से प्रेम रखने वाली स्त्री, परकीया | कुल गुरु, कुल-देव । नायिका जो कतिपय पुरुषों में अनुरक्त हो। कुलफ-कलुफ -संज्ञा, पु० दे० ( अ. "कोऊ कहौ कुलटा, कुलीन, अकुलीन कहो" कुफुल ) ताला। -मीरा।
कुलकत-संज्ञा, स्त्री० (अ.) मानसिक कुलतारण ( कुलतारन )-वि० सं० । व्यथा, चिंता। (दे०) कुल को तारने वाला। स्त्री०
| कुलफा--संज्ञा, पु० दे० ( फा० खुर्की ) एक
साग, बड़ी जाति की श्रमलौनी। कुलथी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कुलस्थ, कली —संज्ञा, स्त्री० (हिं. कलफ़) पेंच, टीका कुलत्थिका ) एक प्रकार का मोटा अन्न । श्रादि का चोंगा जिसमें दूध भर कर बर्फ़ कुल-देव-संज्ञा पु० (सं० ) किसी कुल की जमाते हैं, इस प्रकार जमा दूध, मलाई आदि। परम्परा से जिस देवता की पूजा होती आई | कुलबुल-संज्ञा, पु. ( अनु०) छोटे छोटे हो, कुलदेवता ।
जीवों के हिलने-डोलने की श्राहट । स्त्री० कुल-द्रोही-वि० (सं० ) वंश-दूषक, वंश- कुलबुली-चुलचुली। इषी, कुमार्गी।
कुलबुलाना-अ. क्रि० ( अनु० ) बहुत कुल-धर्म-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) कुल- से छोटे जीवों का एक साथ मिल कर हिलनापरम्परा से चला आया कर्तव्य-कर्म, कुला- डुलना, इधर उधर रेंगना, चंचल होना, चार, वंश-व्यवहार।
श्राकुल होना, कलम लाना । कुल-नाश-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सन्तान
कुलबुलाहट-संज्ञा, पु. ( अनु० ) कुलहीनता, कुल-भ्रष्टता। वि० कुल-नाशक- बुलाने का भाव। वंश का नाश करने वाला।
कुलबोरन-वि० ( हि० कुल + बोरना) कलना-अ. क्रि० दे० (हि. कल्लाना )। कुल-कानि को भ्रष्ट या नाश करने वाला, दर्द करना, टीस होना।
कुल-कलङ्क । स्त्री० कलबोरनी। कुल-पति-संज्ञा, पु. ( सं० ) घर का | कुल-बधू-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) कुलवती, मालिक, विद्यार्थियों का भरण-पोषण | सच्चरित्रा स्त्री, पतिव्रता, वंश-मर्यादा रखने करता हुआ शिक्षा देने वाला गुरु या । वाली स्त्री।
कुलतारनी।
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