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ई
दर्शन, ईक्षण,
-अव्य० (सं०) विषाद, अनुकम्पा, क्रोध, दुःख, भावना, प्रत्यक्ष, सन्निधि | संज्ञा, पु० (सं० ) कन्दर्प, कामदेव | संज्ञा, स्त्री० (सं० ) लक्ष्मी, रमा । ईकार - संज्ञा, पु० (सं० ) ई वर्ण । ईक्ष - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) देखना | ईक्षक संज्ञा, पु० सं० ई + क ) दर्शक, देखनेवाला, श्रवलोकन कर्ता । ईक्षण-संज्ञा, पु० (सं०) दर्शन, देखना, थाँख, जाँच, विचार, विवेचन | ईक्षित - वि० देखा हुआ ।
सं०) दृष्ट, श्रावलोकित,
ईख - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० इतु ) शर जाति की एक घास जिसके डंठलों में मीठा रस रहता है, जिससे गुड़ और चीनी आदि पदार्थ बनाये जाते हैं, गन्ना, ऊख । ईखना* – स० क्रि० दे० देखना |
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संज्ञा, स्त्री० इच्छा ।
ईगुर - संज्ञा, पु० (दे० ) सिंदूर के समान एक लाल वर्ण का पदार्थ या पत्थर, जिसमें पारा भी मिला रहता है ।
ईचना - स० क्रि० दे० ( हि० खींचना ) खींचना |
ईट - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० इष्टका ) साँचे में ढला हुआ, मिट्टी का लंबा, चौकोर, मोटा टुकड़ा जिसे जोड़ कर दीवाल बनाई नाती है। ईटा (दे० ) ।
मु० - ईंट से ईंट बजना – किसी नगर या घर का ढह जाना या ध्वंस होना । ईंट से ईंट बजाना -- किसी नगर या घर को ढहाना या नष्ट करना । ईट चुनना - दीवाल बनाने के लिये ईंट पर ईंट बैठाना, जोड़ाई करना | डेढ या ढाई ईट की मसजिद अलग बनाना -- जो सब लोग कहते या करते हों, उसके विरुद्ध कहना या करना ।
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ईठा
ईंट पत्थर - कुछ नहीं ।
संज्ञा, स्त्री० किसी धातु का चौखूंटा ढला हुआ टुकड़ा, ताश के पत्तों में एक रंग । ईटा - संज्ञा, पु० दे० (सं० इष्टका ) ईंट, ईंट का टुकड़ा । ईडरी - संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० कंडली ) कपड़े की कुंडलाकार गद्दी जिसे बोझ रखते समय सिर पर रखते हैं। गेंडुरी ।
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(सं० ईक्षण ) ईछना* - स० क्रि० दे० (सं० इच्छा ) इच्छा करना, चाहना, देखना । ( सं० ईक्षण ) ।
ईका - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) इच्छा (सं० ) हा ।
ईजति -संज्ञा, स्त्री० दे० ( भ० इज्जत ) मान-सम्मान, मर्यादा ।
दुरी (दे० ) ।
ईंधन- संज्ञा, पु० दे० (सं० इंधन ) जलाने की लकड़ी या कंडा, जलावन, जरनी । ई-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) लक्ष्मी ।
सर्व० दे० (सं० ई – निकटसंकेत ) यह । अव्य० दे० (सं० हि० ) जोर देने का शब्द, ही । ईछन—संज्ञा, पु० दे० (सं० ईक्षण ) देखना ।
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ईजाद - संज्ञा स्त्री० ( अ० ) किसी नई चीज़ का बनाना, नया निर्माण, आविष्कार । ईठ - संज्ञा, पु० दे० (सं० इह ) मित्र, सखा, प्रिय, चाहा हुआ, वांछित । स्त्री० ईठी-सखी, प्रिय ।
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कैर ईठी " - देव० ।
ईठनाक
३- स० क्रि० दे० (सं० इट ) इच्छा करना चाहना ।
ईठा -- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) स्तुति, स्तवन, प्रशंसा, नाड़ी विशेष, प्रतिष्ठा, मर्यादा । ईठि - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० इष्टि, प्रा० इट्ठि) मित्रता, दोस्ती, प्रीति, चेष्टा, यत्न, चाह । " बोलिये न झूठ ईठि मूढ पै न कीजिये " -के०
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