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कटौती ३८८
कठिन करौती-संज्ञा. स्त्री० (हि. काटना ) किसी पुतली ) तार-द्वारा नचाई जाने वाली काठ रक्रम के देते समय हक या धर्मार्थ काटा की गुड़िया। संज्ञा, पु०-कठपुतलाजाने वाला हिस्सा।
दूसरे के कहने पर काम करने वाला व्यक्ति । कट्टर-वि० (हि० काटना ) काटने वाला, कठड़ा संज्ञा पु० दे० (हि० कटघरा ) कटकटहा. अपने विश्वास के प्रतिकूल बात को | हरा, कठघरा-काठ का बड़ा सन्दूक, या न सहने वाला, अंध-विश्वासी हठी, दुरा- बरतन, कठौता । स्त्री० कठड़ी। ग्रही, पक्का । संज्ञा, स्त्री० कट्टरता। कठबंधन संज्ञा, पु० (हि. काठ + बंधन) कट्टहा-संज्ञा, पु० (सं० कट = शव-हा- हाथी के पैर में डाली जाने वाली काठ की प्रत्य०) महापात्र, महा ब्राह्मण, कटहा बेड़ी, अँडुआ। (दे०) कट्टिया।
कठबिस्की -संज्ञा, स्त्री० (दे०) भेक, कट्टा-वि० (हि. काठ) मोटा-ताज़ा, हद्दा- उखर साँड़ा। कहा, बली । संज्ञा, पु०-जबड़ा, कच्चा। । कठवाय--संज्ञा, पु० ( दे०) सौतेला बाप । मु०-कट्टे लगना-दूसरे के कारण कठमलिया -- संज्ञा, पु. ( हि० काठ -+-माला) अपनी वस्तु का नष्ट होना या उस दूसरे के काठ की माला या कंठी पहिनने वाला, हाथ लगना।
वैष्णव, झूठमूठ कंठीवाला, बनावटी साधु, कट्याना अ० कि० (दे०) कंटकित होना, झूठा संत ।.... । रही-सही कठमल्लिया प्रेमानन्द से रोमांच होना।
कहिगा ---"। कहा-संज्ञा, पु० ( हि० काठ ) पाँच हाथ का स्त-वि० (हि. काठ । मस्न-फा० ) चार अँगुल के प्रमाण की एक भू-माप, मंड मुसंड़, व्यभिचारी । संज्ञा, स्त्री० विस्वा । मोटा या खराब गेहूँ।
कठमस्ती-मुसंडपन, मस्ती। कठ-संज्ञा, पु० (सं० ) एक ऋषि, यजुर्वेदीय करा--संज्ञा, पु. ( हि० काट । रा ) उपनिषद्, कृष्ण यजुर्वेद की शाखा। संज्ञा, कठहरा, कठघरा, काठ का संदूक या बरतन, पु० (सं० काष्ठ ) ( सामासिक पदों में ) कठौता, चहबच्चा । स्त्री० कठरी।। काठ, लकड़ी, जैसे कठपुतली. ( फल श्रादि कठला-कठुला–संज्ञा, पु० दे० (सं० कंठ+ के लिये ) जंगली, निकृष्ट जाति का--जैसे | ला-प्रत्य०) काठ की एक प्रकार की माला कठकेला।
जो बच्चों को पहिनाई जाती है। " उर कठकेला-संज्ञा, पु० दे० (हि. काठ + केला) | बघनहाँ कंठ कठुला मँडूले बार--सूर० । सूखे और फीके फलवाला एक प्रकार | कठबल्ली--संज्ञा, पु० (सं० ) कृष्ण यजुर्वेद का केला।
की कठ शाखा का एक उपनिषद् । कठकोला-( कठफोड़वा -संज्ञा, पु० | कठहंसी—संज्ञा, स्त्री. (दे०) अकारण (दे०) हि० ( काठ+कोलना या फोड़ना) | शुष्क ( नीरस ) हास । पेड़ों की छाल छेदने वाली एक ख़ाकी रंग | कठारा-संज्ञा, पु० ( दे० ) नदी आदि का की चिड़िया।
किनारा। कठन्दर-संज्ञा, पु० (दे० ) काष्टोदर (सं०) | कठारी-संज्ञा, पु० (दे०) काठ का कमंडलु। एक रोग (पेट का )।
कठिन-वि० ( सं० कठ् + इन् ) कड़ा, कठताल-संज्ञा, पु. ( दे० ) करताल सस्त, कठोर, निष्ठुर मुश्किल, दुष्कर, नामक बाजा।
दुःसाध्य, दृढ़, स्तब्ध, “परो कठिन रावन कठपुतली-संज्ञा, स्त्री. ( हि० काठ+ ! के पाले"- रामा० ।
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