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कनैया
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कपड़कोट कनैया-संज्ञा, पु. ( दे० ) कर्णबेधन, कन्याभाव - कुमारीत्व । पंचकन्याकनछेदन ।
५ पवित्र स्त्रियाँ “अहिल्या, द्रौपदी. तारा, कनौजिया-वि० दे० (हि. कनौज+ इया कृती मंदोदरी तथा " -- पुराण । -~-प्रत्य० ) कन्नौज निवासी, जिनके पूर्वज | कन्याकुमारी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) कन्नौजवासी रहे हों। संज्ञा, पु० (दे०)। भारत के दक्षिणी नोक पर एक अंतरीप, कान्यकुब्ज ब्राह्मण । लोको०-" पाठ | रासकुमारी ( रामेश्वर के निकट )। कनौजिया नौ चूल्हा"-1
कन्यादान--संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) विवाह कनौडा-वि० दे० (हि. काना-+-ौड़ा- में वर को कन्या देने की रीति । यौ० पु. प्रत्य० ) काना, अपंग, कलंकित, निदित, कन्यादाता-~-कन्यादान करने वाला। लज्जित । संज्ञा, पु० (हि. कनिना - मोल | कन्याधन-संज्ञा, पु० (सं०) अविवाहिता या लेना+ौड़ा-प्रत्य०) मोल लिया दास, कन्यावस्था में मिलने वाला धन, स्त्री-धन । कृतज्ञ या तुच्छ मनुष्य । स्त्री० कनौड़ी। कन्यारासी - वि० ( सं० कन्याराशिन् ) कनौती-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. कान :- जिसके जन्म-समय में चन्द्रमा कन्या राशि
ौती --प्रत्य० ) पशुओं के कान या उनकी में हो । चौपटा, निकम्मा निकृष्ट, हीन । नोंक, कान उठाने का ढंग, बाली।। कन्यापति - संज्ञा, पु० (सं० ) जमाता, "चलत कनौती लई दबाई".-ल०सि०। दामाद, उपपति, व्यभिचारी। कन्ना-संज्ञा, पु० दे० (सं० कर्ण --प्रा० | कन्यावानी-संज्ञा, स्त्री० (हि. कन्या + करण ) पतंग की डोर जिसका एक सिरा पानी) कन्या के सूर्य के समय की वर्षा । काँप और ठड्ड के मेल पर और दूसरा | कन्हरीया--संज्ञा, पु. ( दे० ) माँझी, पुछल्ले के ऊपर बँधा रहता है, किनारा, कर्णधार, मल्लाह। कोर। संज्ञा, पु. (सं० कण ) चावल का कन्हाई कन्हैया ---संज्ञा, पु० दे० (सं० कृष्ण) कन, वनस्पतियों का कीड़े पड़ने का श्रीकृष्ण-प्रिय-व्यक्ति, सुन्दर लड़का, कन्हा एकरोग । मु०-कन्ने से मटना (काटना) । (दे० ) कंधेया (दे०)। मूल से अगल करना। कन्ना खाना- | कन्हावर-संज्ञा, पु० (दे०) कंधे पर डालने पतंग का किसी ओर भुकना।
का चादर । बैल की गर्दन पर रहने वाला कन्नी-संज्ञा, स्त्री० (हि. कना) पतंग के | जुए का भाग। किनारे, पतंग को सीधा उड़ाने के लिये कपट -- संज्ञा, पु० (सं० क+पट --- अल ) उसमें बाँधी जाने वाली धज्जी, किनारा, इष्ट साधनार्थ हृदय की बात छिपाने की वृत्ति, हाशिया । संज्ञा, पु० (सं० करण ) राजगीरों छल, प्रतारण, दंभ, दुराव । वि० कपटीका एक औज़ार।
छली, धोखेबाज़, धूर्त । संज्ञा, स्त्री. कन्यका-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) वारी लड़की, कपटता-शठता । यौ० कपटवेशपुत्री, बेटी।
मिथ्या वेश । कपटभू-संज्ञा, पु. ( सं०) कन्या-संज्ञा, स्त्री० (सं०) अविवाहिता माया भूमि, छल जनिता ।। लड़की, कुमारी, सुता। पुत्री, बेटी, बारह | कपटना-~-स० क्रि० दे० (सं० कल्पन् ) राशियों में से छठवीं । धीकार, बड़ी काटना छांटना, खोंटना । इलायची, एक वर्णवृत्त । ( ४ गुरु वर्गों का ) | कपड़कोट - संज्ञा, पु० दे० ( कपड़ा- कोट) बाराही कंद । यौ० कन्याकाल---रजोदर्शन तम्बू , खेमा ।मु०-कपड़कोट करनाके पूर्व की अवस्था या वाल्यकाल । चारों ओर कपड़ा लपेटना ।
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