________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
काब
४४३
कामचलाऊ
काफ़री रङ्ग-कुछ हरापन लिए सफेद रङ्ग। काम निकलना । काम होना-मरना, काब-संज्ञा, स्त्रो० (तु. ) बड़ी रकाबी।। कष्ट पहुँचना । कठिन शक्ति या कौशल का काबर-वि० दे० (सं० कर्बुर ----प्रा० कब्बुर) कार्य। चितकबरा, एक प्रकार की भूमि (उमाड़)। मु०-काम रखता है -मुश्किल या काबा-संज्ञा, पु. (अ.) मक्के (अरब) कठिन काम (बात) है । प्रयोजन, मतलब ।
शहर का एक स्थान जहाँ मुहम्मद साहब मु०-काम निकलना-प्रयोजन सिद्ध रहते थे, जहाँ मुसलमान हज करने जाते होना, कार्य निर्वाह होना। श्रावश्यकता हैं, उनका तीर्थ ।
पूरी होना, काम अटकना-अावश्यकता काबिज़-- वि० (भ० ) अधिकारी, दस्त होना, ग़रज़ लगना । ग़रज़, वास्ता । रोकने वाला।
मु०-किसी से काम पड़ना--पाला काबिल-वि० (म०) योग्य, विद्वान । संज्ञा, पड़ना, व्यवहार या संबन्ध होना, ग़रज़ स्त्री० काबिलीयत-योग्यता, विद्वता। पड़ना । काम से काम रखना-प्रयोजकाबिस-संज्ञा, पु० दे० (सं० कपिश) मिट्टी नीय बात पर ध्यान रखना, व्यर्थ की बातों के बरतनों के रँगने का रंग।।
में न पड़ना । उपयोग, व्यवहार । काबुक-संज्ञा, स्त्री० (अ.) कबूतरों का मु०-काम आना-उपयोगी या सहादरबा।
यक होना, सहारा देना । काम काकाबुली-वि० ( हि० काबुल ) काबुल- उपयोगी, व्यवहार का। काम देनावासी, काबुल का।
उपयोग में थाना । काम में लानाकावू-संज्ञा, पु. ( तु०) वश, इख़्तियार, बर्तना, प्रयोग करना । कार-बार, रोज़गार, जोर।
कारीगरी, रचना, बेल-बूटे या नक्काशी का काम-संज्ञा, पु० ( सं० कम् +घञ् ) मदन, | काम, कला-कौशल । कंदर्प, इच्छा, महादेव, इंद्रियों की स्वविषयों | काम-कला-संज्ञा, स्त्री० या० (सं०) मैथुन, की ओर प्रवृत्ति ( कामशा० ) मैथुनेच्छा, | | रति, कामदेव की स्त्री, कामशास्त्र का चार पदार्थों ( अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष ) में प्रयोगात्मक रूप, चन्द्रमा की कला। से एक, वासना, विषय । संज्ञा, पु. (सं० । काम-काज-संज्ञा, पु. यो० (हि.) कारकर्म, प्रा० कम्म) व्यापार, कार्य, काज। बार, व्याह-शादी श्रादि । वि० कामकाजी मु०-काम आना-~~-उपयोग में श्राना, -काम या उद्योग-धन्धे वाला, उद्यमी। लड़ाई में मारा जाना। काम करना- | कामकार-वि० (सं० ) कामी, कामासक्त, प्रभाव या असर करना, फल उत्पन्न करना।। सम्भोगी। काम चलना --निर्वाह होना, काम जारी | कामकान्ता-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं० ) रहना । काम चलाना-निर्वाह करना। कामपत्नी-रति । काम तमाम करना-काम पूरा करना, काम-केलि-काम-क्रीड़ा-संज्ञा, स्त्री० या० मार डालना । काम निकालना--मतलब (सं० ) रति, मैथुन । पूरा करना । काम पड़ना-काम या कामगार--संज्ञा, पु० (दे० ) कामदार, स्वार्थ अटकना, उपयोग में श्राना। काम कारिंदा । वि० बेल-खूटेदार।। में आना--प्रयोग में श्राना, अभीष्ट में | कामचलाऊ-वि० ( हि० काम--चलाना ) सहायता देना । काम लगना-श्रावश्य- जिससे किसी प्रकार कुछ काम निकल सके, कता पड़ना। काम सधना (सरना)- बहुत अंश में काम देने वाला।
For Private and Personal Use Only