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सिक्का।
कार्पास
४४९
कालकूट कास-संज्ञा, पु० (सं० ) कपास, रुघा- | कार्याध्यक्ष - संज्ञा, पु. यो० (सं० ) मुख्य वृक्ष, सूती कपड़ा।
| कार्य-कर्ता । कार्याधीश । कार्मण-संज्ञा, पु० (सं०) मंत्र-तंत्रादि का कार्याधिकारी-संज्ञा, पु० यो० (सं.) कर्मप्रयोग, कर्म-दक्ष । ® (दे० ) कार्मना- | चारी, कार्य-भार-वाहक । कृत्या, मंत्र, तंत्र, मोहनादि प्रयोग। कार्यार्थी- वि० (सं० ) कार्य की सिद्धि कार्मिक-वि० (सं.) कारचाबी के वस्त्र, चाहने वाला, ग़रज रखने वाला 'मनस्वी बुनावट में ही बेल-बूटे या शंख-चक्रादि कार्यार्थी न गणयति दुःखं न च सुखम्" । बनाये गये वस्त्र ।
कार्यालय-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) जहाँ कोई कामुक-संज्ञा, पु० (सं० ) धनुष, चाप, काम होता हो. दफ्तर, कारखाना । परिधि का एक भाग, इन्द्र-धनुष, बाँस, कार्य-संज्ञा, पु० (सं०) क्षीणता, दुर्बलता, सफेद खैर, बकायन, धनु राशि (६ वीं०) कृशता। कर्म संपादन करने वाला। " रामः करोति | कार्षाक -संज्ञा, पु. ( सं० कृष्- गाक् ) शिव-कार्मुकमाततज्यम् "..--ह० न०। । कृषक, किसान । कार्य-संज्ञा, पु० (सं० कृ+ ण्यत् ) काम, कर्षापण—संज्ञा, पु० (सं० ) एक प्राचीन कृत्य, व्यापार, कारज (दे०) धंधा, कारण का विकार या फल, कर्ता का उद्देश्य, फल, | काल-संज्ञा, पु० (सं० कल्+घञ् ) वह परिणाम । वि० यौ० कार्य-कुशल
संबंध-सत्ता जिसके द्वारा, भूत, भविष्य, कार्य-पटु ।
वर्तमान की प्रतीति हो, समय, वक्त, कार्य-कर्ता-संहा, पु. यौ० (सं० ) काम अवसर बेला।
करने वाला, कर्मचारी, कार्यकार। मुहा०-काल पाकर-कुछ दिनों के कार्य-कारक-वि० कार्य-दक्ष-कार्य चतुर । पीछे, यथा समय। अंतिम समय, मृत्यु, कार्य-कलाप-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कार्य- नाश का समय, यमराज, यम-दूत, उपयुक्त
समय, मौक़ा, अकाल । शिव का एक नाम, कार्यक्षम-वि० (सं० ) कार्य करने की महाकाल, शनि, साँप, नियत समय । वि. योग्यता वाला, कृती।
काला। क्रि० वि० (दे०) कल, काल्ह, कार्य-कारण-भाव--संज्ञा, पु० या० (सं० ) काल्हि । “काल दसहरा बीतिहै "-। कार्य-कारण-सम्बंध ।
काल-कंठ-संज्ञा पु० यौ० (सं०) महादेव, कार्यतः-क्रि० वि० (सं० ) कार्यरूप से, मोर, नीलकंठ पक्षी, खंजन, खिडरिच । यथार्थतः।
कालक-संज्ञा, पु० (सं०) ३३ प्रकार के कार्य-प्रद्वेष-संज्ञा, पु० यो० (स०) पालस्य ।
केतुओं में से एक, आँख की पुतली, दूसरी कार्यवाही-संज्ञा, सी० (सं० ) काररवाई।
अव्यक्त राशि ( बीजग० ) पानी का साँप, कार्यहन्ता-वि० (स० ) प्रतिबंधक, कार्य
यकृत। पाधक।
कालका-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) दक्ष प्रजा. कार्यसम--संज्ञा, पु. (सं० ) न्याय की २४ ।
पति की कन्या जो कश्यप को व्याही थी। जातियों में से एक, इसमें प्रतिवादी किसी काल-कील---संज्ञा, पु. (सं० ) कोलाहल, कारण से उत्पन्न कार्य के सम्बन्ध में वादी- हरबरी, राड़बढ़ी। द्वारा कही हुई बात के खंडन का प्रयत्न वैसे कालकृट-संज्ञा, पु० (सं० ) एक भयंकर हो और कार्य बताकर करता है जिनमें वह / विष, काला बच्छ नाग, चित्तीदार सींगिया बात नहीं पाई जाती।
जाति का एक पौधा हलाहल । भा० श० को०-५७
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