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कान
काना
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कान गण करना, कान खींचना, कान सुनाने के लिये धीरे से कहना । कान में उखाड़ना-कान ऐंठना, किसी काम के न उँगली देना (डालना)-उदासीन होकर करने की प्रतिज्ञा करना । कान करना- सुनना । कान में तेल डाले बैठना सुनना, ध्यान देना, "बालक बचन करिय (सी रहना)-बात सुन कर भी ध्यान न नहि काना".--रामा० । शपथ करना, दाब देना । कान में डाल देना-सुना देना। मानना । कान काटना-मात करना, कान में रस डालना-श्रवण-सुखद मधुर बढ़ कर (होना ) कान का कच्चा- बात सुनाना । कान में पड़ना-सुनाई पड़ बिना विचारे किसी के कहने पर विश्वास जाना, सुनना । कान न हिलाना-कुछ उत्तर कर लेने वाला। कान खड़े करना- न देना, उपेक्षा भाव रखना ! कान लगाना सचेत या सावधान करना ( होना )। --सध्यान सुनने के लिये सावधान होना, कान खाना (खा जाना) बहुत शोर- सचेत हो सुनना । (अपने ही) कान तक गुल या बातें करना, कान खोलना । ( में ) रखना-सुन कर किसी और को सध्यान एवं सावधान होकर सुनना । कान न सुनाना । एक कान से दूसरे में होना फोड़ना (फाड़ना)-शोर करना । कान ----- किसी बात का फैल जाना। कानागरम करना-कान ऐंठना । कान-प्रंक कानी करना-चर्चा करना, अफवाह, दबा कर निकल जाना—चुप चाप या उड़ाना । कान तक पहुँचाना---(पहुँचना) बिना विरोध किए चला जाना। कान बड़े किसी को सुना देना या सुन लेना । कानोहोना-- भयभीत या सचेत होना, । कान कान स्वबर न होना-सुनने में न आना, देना (किसी बात पर ) या धरना....... ज़रा भी ख़बर न होना-आधे कान ध्यान देना, सध्यान सुनना..." सुर-असुर सुनना (न) थोड़ा सुनना ( न ) ऋषि-सुनि कान दीन्हे "-रामा० 1 कान ..." राधे कहूँ श्राधे कान सुनि पावै ना।" पकड़ना-कान उमेठना, अपनी भूल या श्रवण शक्ति, हलके अगले भाग में बाँधने छोटाई स्वीकार करना । (किसी बात से) का लकड़ी का टुकड़ा, कन्ना, कान का कान पकड़ना - पछतावे के साथ किसी | एक गहना, चारपाई का टेढ़ापन, कनेव, काम के फिर न करने को प्रतिज्ञा करना। किसी चीज़ का निकला हुआ कोना जो कान पर नुं न रेंगना-कुछ भी परवा न भद्दा लगे, तराजू का पसंगा, तोप या बन्दूक होना, कान पर हाथ रखना --- इंकार | में रञ्जक रखने और बत्ती देने का स्थान, करना । कान फैकवाना-गुरु-मंत्र लेना। रञ्जकदानी, नाव की पतवार । संज्ञा, स्त्री० कान फेंकना-- मंत्र देना, चेला बनाना, दे० (कानि)-मर्यादा। दीक्षा देना, उलटी-सीधी बात कहना। कानन-संज्ञा, पु० (सं० ) जंगल, वन, घर, कान फूटना - बहरा होना, किसी की | ... " कानन कठिन भयङ्कर भारी" कुछ न सुनना। कान फटना-बड़े शब्द | . रामः । से कानों को कष्ट होना । कान भरना- काना-वि० दे० (सं० काणा ) एक फूटी किसी के विरुद्ध किसी के मन में कोई बात आँख वाला, एकाक्ष । वि० (सं० कर्णक ) बैठा देना, ख़्याल खराब करना, कान फंकना। कीड़ों के द्वारा कुछ खाया हुआ फल । संज्ञा, कान सलना--- दण्डार्थ कान उमेठना, | पु० (सं० कर्ण) श्रा की मात्रा (1) पाँसे की भूल मान कर उसके लिये पछताना। बिंदी, जैसे तीन काने । वि०-तिरछा, टेढ़ा कान में कहना-केवल उसी व्यक्ति को | या निकला हुमा भाग। संज्ञा, पु० कान । भा० श० को०-५६
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