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उपचरित ३३२
उपशा उपचरित–संज्ञा, पु० (सं० उप---चर् - क्त) उपज-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० उपजना) उपासित, सेवित, पाराधित, लक्षण से उत्पत्ति, उद्भव, पैदावार, ( खेत की उपज ) जाना हुआ।
नई उक्ति, उद्भावना, सूझ, मनगढन्त बात, उपचर्या-संज्ञा स्त्री० (सं० उप + चर् + गाने में राग की सुन्दरता के लिये उसमें क्यप् ) चिकित्सा, रोगों का उपशम, प्रति- बँधी हुई तानों के सिवा अपनी ओर से कार, सुश्रूषा।
कुछ तानों का मिला देना, स्फूर्ति, स्फुरण । उपचार-संज्ञा, पु० (सं० उप---चर् +घञ्)| उपजना-(अ० कि० (दे०) (सं० उत्पव्यवहार, प्रयोग, विधान, उपाय, चिकित्सा द्यते, प्रा. उप्पज्जते ) उत्पन्न होना, पैदा दवा, इलाज, सेवा, तीमारदारी, धर्मानुष्ठान होना, उगना, अंकुरित होना। उपकरण, पूजन के अंग या विधान जो उपजाऊ-वि० दे० ( हिं० उपज । पाऊमुख्यतः सोलह माने गये हैं (षोडशोपचार) प्रत्य० ) जिसमें अच्छी और अधिक उपज
खुशामद, घूस, रिशवत, दिखावा, उपक्रम, हो, उर्वर, (भूमि ) जरखेज़ । उत्कोच, विसर्ग के स्थान पर स या श हो | उपजाति-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) इंद्रवज्रा जाने वाली सन्धि विशेष, जैसे—निश्छल, और उपेन्द्रवज्रा, तथा इंद्रवंशा और वंशस्थ निःछल । “ जेते उपचारु चारु मंजु सुखदाई | के मेल से बनने वाले वर्णिक ( गणात्मक) हैं "-ऊ. श. "..... उपचारः कैतवं । वृत्त । " स्यादिन्द्रवत्रा यदितौ जगा भवति-"
उपेन्द्रवज्रा जतजस्त ततोगी । अनन्तरो उपचारक-वि० (सं०) उपचार या सेवा
दीरित लक्ष्मभाजी पादौ यदीयाउपज करने वाला, विधान करने वाला, चिकित्सा
तयस्ताः "-- करने वाला।
उपजाना-स० कि० दे० (हिं० उपजना का उपचारित-वि० (सं० ) उपचार किया
सं० रूप) उत्पन्न करना, पैदा करना, उगाना। हुआ, जिसका उपचार किया गया हो।
"भलेहु पोच विधि जग उपजाये''-रामा० । उपचारछल-संज्ञा, पु० यौ० ( स० ) वादी के कहे हुए वाक्य में जान-बूझ कर अभिप्रेत
उपजित -- वि० ( दे० ) उत्पन्न हुआ, अर्थ से भिन्न अर्थ की कल्पना करके दषण उपजा हुआ। निकालना।
उपजिह्वा-संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) छुद्र जीभ, उपचारना* -- सं० क्रि० (दे० ) व्यवहार __ छोटी जीभ । में लाना, विधान करना, काम में लाना, उएजोवन--संज्ञा पु. ( सं० ) जीविका, प्रयोग करना।
रोज़ी, निर्वाह के लिये किसी अन्य व्यक्ति उपचारी-वि० (सं० उपचारिन ) उपचार
का अवलम्बन । वि०-उपजीवक (सं.) करने वाला, चिकित्सा करने वाला। स्त्री०
उपजीविका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) जीविका, उपचारिणी। उपचित-वि० (सं० उप + चि+क्त) समृद्ध,
वृत्ति, जोवनोपाय अवलम्ब ।। वर्धित, संचित, इकठ्ठा । संज्ञा, पु० (सं० )
उपजीवी-वि० (सं० ) दूसरे के सहारे पर उपचयन - वि० उपचयनीय।
गुज़र करने वाला। यौ० परभाम्योपजीवी उपचित्र-संज्ञा, पु० (सं० ) एक वर्द्धि
-अन्याश्रित व्यक्ति । समवृत्त ।
उपज्ञा-ज्ञा, स्त्री. (सं०) प्रथम ज्ञान, उपचित्रा—संज्ञा, स्त्री० (सं०) १६ मात्राओं उपदेश के बिना ईश्वरदत्त पूर्वज्ञान, का एक छंद।
श्राद्यज्ञान।
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