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उबहन
उभयतोमुखी म्यान से निकालना, शस्त्र उठाना, पानी -सं० ) जी भर जाने पर अच्छा न लगना, फेंकना, उलीचना, ऊपर की ओर उठाना, उबीठना (दे०) भ० कि० ( दे.) उभरना। स० क्रि० दे० (सं० उद्वहन) जोतना ऊबना, घबराना, . . . . दिन राति नहीं " दादू ऊपर उबहिकै" । वि० दे० (सं० रतिरंग उबीठे" ---देव । उपाहन ) बिना जूते का, नगा।
उबोधना—अ० कि० दे० (सं० उद्विद्ध ) उबहन-संज्ञा, पु० दे० ( सं० उद्वहन ) कुएँ फँसना, उलझना, धंसना, गड़ना, विद्ध हो
से पानी खींचने की रस्सी । स्त्री० उबहनी।। जाना। उबांत --संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० उद्वांत ) उबीधा--वि० दे० (सं० उद्विद्ध ) धंसा उलटी, वमन, कै।
हुआ, गड़ा हुआ, काँटों से भरा हुश्रा, उबाना-प्र० कि० (दे०) बोना, रोपना, झाड-झंखाड़ वाला। लगाना, तंग करना, ऊबना, किसी के लिये उबेना--वि० दे० ( हि उ = नहीं + उपानाह पाकुल होना। वि० नंगे पैर, बिना जूतों के, -सं०) नंगे पैर, बिना जूते के, " तबलौं उपानह । संज्ञा, पु० दे० कपड़ा बनने में उबेने पाँय फिरत पेटै खलाय"- कवि । राछ के बाहर रह जाने वाला सूत, बह ।। उबेरना-स. कि. (दे०) उबारना, " भोर ही भुखात है हैं, घर को उबात उद्धार करना, बचाना।
उबहना-स० क्रि० दे० (सं० उद्वेधन ) उबार---संज्ञा, पु० दे० (सं० उद्वारण) जड़ना, बैठाना, पिरोना। विस्तार, छुटकारा, उद्धार, श्रोहार, रक्षा, उभ---संज्ञा, पु० (सं०) ऊर्ध्व, ऊपर, द्वि, दो। पर्दा । " नहिं निसिचर-कुल केर उबारा" उभइ--वि० दे० (सं० उभय ) दोनों, उभै -रामा०।
। (दे०)। उबारना–स० कि० दे० (सं० उद्वारण) उभक--संज्ञा, पु० दे० (प्रान्ती०) रीछ, भालू । उद्धार करना, छुड़ाना, मुक्त करना, बचाना, । उभड़ना---अ० कि. (दे० ) ऊपर उठना, रक्षा करना, " लाखागृह ते जात पांडु-सुत। उकसना, प्रगट होना, बदना, उभरना। बुधि-बल नाथ उबारे"- सू० ।
(दे० ) किसी तल या सतह का श्रास पास उबाल--संज्ञा, पु. (हि. उबलना ) पाँच । की सतह से ऊँचा होना, उकसना, फूलना, पाकर फेन सहित उपर उठना, उफान, ऊपर निकलना, उत्पन्न होना, पैदा होना, उफाल, उद्वग, क्षोभ, जोश ।
खुलना, प्रकाशित होना, अधिक या प्रबल उबालना-स० क्रि० दे० (सं० उद्वालन ) होना, चलदेना, हट जाना, जवानी पर तरल या द्रव पदार्थ को आँच पर रख कर पाना, गाय, भैंस आदि का मस्त होना। इतना गरम करना, कि वह फेन के साथ उभना---० क्रि० (दे०) उठना उभड़ना। ऊपर उठने लगे, खौलामा, चुराना, जोश उभय--वि० (सं० ) दोनों, दो, युग्म, देना, पानी के साथ भाग पर चढ़ा कर गरम । युगुल, उभै (दे०)। " उभय भाँति करना, उसेना, पकाना, । वि० उबला, स्त्री० देखेसि निज मरना"- रामा० । उबली।
उभयतः-कि० वि० (". ) दोनों ओर उबासी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० उश्वास ) से, पार्श्वतः। जभाई।
। उभयतोमुखी-वि. (सं० ) दोनों ओर उबाहनासस० कि० (दे० ) उबहना। मुंह वाला। यौ० उभयतामुखी गोउबिठना-स० कि.० दे० ( सं० अव + इष्ट । व्याती हुई गाय जिसके गर्भ से बच्चे का
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